आज के समय में भागदौड़ भरी लाइफ में समय की कमी सबसे ज्यादा है, तो ऐसे में टोस्ट और हेल्दी नाश्ता पड़ता है। जैसा कि समय की कमी सबसे ज्यादा है, तो ऐसे में कई बार टोस्ट जल भी जाता होगा। सभी के साथ कभी-कभी ऐसा होता है। लेकिन इसका सेवन शरीर के लिए बहुत नुकसानदेह है। इसे कैंसर जैसी घातक बीमारी के अलावा कई और गंभीर बीमारी भी पैदा हो सकती है। जला हुआ टोस्ट अक्सर किसी न किसी के साथ हो ही जाता है। कई बार होता है कि हम ब्रेड को टोस्टर में सेकने के लिए रख देते हैं, लेकिन भूल जानें कारण टोस्ट जल जाता है। जिसके बाद समय की कमी के चलते की दोबारा टोस्ट करना होगा, इसलिए वही जला हुआ टोस्ट (Burn Toast)) खा लेते हैं, जो कि गंभीर गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। जले हुए टोस्ट (Burn Toast)से पहले रखें इन बातों का ध्यान:
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जानें जले हुए टोस्ट से हेल्थ प्रॉब्लम (Health Problem Causes Burn Toast)
बढ़ सकता है कैंसर का रिस्क (Cancer Risk)
जिन फूड में स्टार्च की मात्रा अधिक पायी जाती है, उन्हें उच्च तापमान पर पकाया जाना, हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें एक्रिलामाइड नाम का केमिकल रिलीज होता है। जिसका सेवन शरीर में कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। इसके अलावा कई रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि ब्राउन ब्रेड सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इसके सेवन से कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी होने का खतरा है। अभी इस शोध पर कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है। लेकिन इससे यह बात जरूर सामने आती है कि ब्रेड को ज्यादा भूनने से उसके रंग में जो परिवर्तन होता है, वह हेल्थ के लिए सही नहीं है।
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हो सकता है इसमें अमीनो एसिड (Amino acids)
कई फूड में, जैसे कि ब्रेड में स्टार्चयुक्त पदार्थों में अमीनो एसिड मौजूद होता है, जिसे एस्पेरेगिन भी कहते हैं। ऐसे में जब स्टार्च युक्त फूउ को हाय टेंपरेचर पर पकाया जाता है, तो इन स्टार्च वाले फूड में मौजूद एस्पेरेगिन के साथ मिलकर एक्रिलामाइड केमिकल भी रिलीज होने लगता है। जोकि शरीर के लिए बहुत ही अधिक नुकसानदेह है। इसके अलावा ब्रेड में कई ऐसे कैमिकल होते हैं, जो सेवन करते है तो उसके बाद ये केमिकल डीएनए में प्रवेश कर जाता है, जो कोशिकाओं को बदल देता है। यह कैंसर का कारण बन सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार एक्रिलामाइड शरीर में एक न्यूरोटॉक्सिन के रूप में भी कार्य कर सकता है। यह शरीर के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं होता है, यह शरीर के लिए एक जहर की तरह होता है, जो तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है।
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जले हुए टोस्ट के ऊपर हुए एक शोध के अनुसार डब्लूएचओ WHO के अनुसार एक्रिलामाइड एक हानिकारक तत्वा है। तो ऐसे में कैंसर के जोखिम से बचने के लिए स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों को कम समय के लिए पकाना चाहिए।
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क्या कहते हैं फैक्ट (Fact)?
एक्रिलामाइड के उच्च स्तर के संपर्क में आने वाले कृन्तकों के अध्ययन के बाद यह चेतावनी आई है कि उनके स्तन, वृषण और थायरॉयड कैंसर के कुछ रूपों के विकास के जोखिम में वृद्धि हुई है।
लेकिन मनुष्यों में कैंसर के साथ संभावित संबंध के साक्ष्य की कई समीक्षाएं अनिर्णायक साबित हुई हैं। कम से कम आंशिक रूप से, क्योंकि मनुष्यों के एक समूह को बेतरतीब ढंग से दो में विभाजित करना और उनमें से आधे को संभावित कैंसर पैदा करने वाले एजेंट को खिलाना नैतिक नहीं होगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक्रिलामाइड को ‘शायद मनुष्यों के लिए कार्सिनोजेनिक’ के रूप में वर्गीकृत किया है। लेकिन कैंसर रिसर्च यूके की एक रिसर्च में, जे कि 20 वर्षों में 100,000 अमेरिकी नर्सों के बाद उनके खाने की आदतों के बारे में नियमित प्रश्नावली के साथ 2007 के एक अध्ययन पर प्रकाश डालती है। उन्होंने पाया कि इन महिलाओं द्वारा एक्रिलामाइड का सेवन उनके कैंसर के जोखिम से जुड़ा नहीं था।
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120 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के उच्च तापमान पर पकाए जाने पर स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों (जैसे आलू, पार्सनिप और ब्रेड) में एक्रिलामाइड का उत्पादन होता है। टोस्ट करना, तलना या भूनना काम करता है, और इस तापमान पर लंबाई के साथ स्तर बढ़ते हैं – इसलिए उबले या मसले हुए आलू में स्तर कम होता है। बिस्कुट, नाश्ता अनाज और केक में भी एक्रिलामाइड हो सकता है। आलू और पार्सनिप जैसे खाद्य पदार्थों को फ्रिज में रखने से उनका फ्री-शुगर स्तर बढ़ सकता है, जिसका अर्थ है कि पकाए जाने पर वे अधिक एक्रिलामाइड का उत्पादन करते हैं।
तला हुआ भोजन, निश्चित रूप से, कैलोरी में उच्च होता है, और मोटापे और कैंसर के बीच एक कड़ी बनाता है, जिसमें स्तन, आंत्र, गर्भाशय ग्रीवा और गुर्दे के कैंसर शामिल हैं। खाद्य मानक एजेंसी की विविध और संतुलित आहार खाने की सलाह समझदार है। लेकिन यह वही संदेश है जो मैं और हजारों अन्य डॉक्टर वर्षों से धमाका कर रहे हैं।