backup og meta

आखिर क्या है कोरोना का एंटीबॉडी और पीसीआर टेस्ट, जानें दोनें में क्या है अंतर

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Mona narang द्वारा लिखित · अपडेटेड 03/06/2020

    आखिर क्या है कोरोना का एंटीबॉडी और पीसीआर टेस्ट, जानें दोनें में क्या है अंतर

    कोरोना वायरस को तेजी से फैलता देख हर किसी के मन में डर बैठा हुआ है। सबसे बड़ी चिंता वाली बात यह है कि अभी तक इस बीमारी की वैक्सीन संभव नहीं हो पाई है। वहीं जबसे ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें कोई लक्षण नजर नहीं आए और वो इस खतरनाक वायरस से संक्रमित थे। इससे लोगों की चिंता और भी ज्यादा हो गई है। कोरोना वायरस की टेस्टिंग को लेकर भी बहुत बड़ी चुनौती है। फिलहाल कोविड-19 की जांच के लिए दो तरीके के टेस्ट उपलब्ध हैं। पहला जेनेटिक और दूसरा सेरोलॉजिकल टेस्ट। इस आर्टिकल में हम आपको कोरोना वायरस की जांच के लिए किए जाने वाले दोनों टेस्ट के बारे में बता रहे हैं।

    कोरोना वायरस की जांच: जेनेटिक टेस्ट (Genetic Test) क्या है?

    जेनेटिक टेस्ट को स्वैब टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है। इस टेस्ट में मुंह के रास्ते गले के पीछे से नमूना लिया जाता है। नमूने में श्वास नली के निचले हिस्से के तर्ल पदार्थ की जरूरत होती है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, स्वैब टेस्ट में गले या नाक के अंदर से रूई के फाहे की मदद से लार का सैंपल लिया जाता है। यह सैंपल गले या नाक से इसलिए लिया जाता है क्योंकि इन्हीं जगहों पर यह वायरस सक्रिय होता है। इसके बाद इस सैंपल को एक विशेष रसायन में डाला जाता है। इससे कोशिकाएं वायरस से अलग हो जाती हैं। इसके बाद पॉलीमरेस चेन रिएक्शन (Polymerase Chain Reaction) जिसे PCR कहते हैं, की मदद से कोरोना वायरस का पता लगाया जाता है।

    कोरोना वायरस की जांच: सेरोलॉजिकल टेस्ट (Serological Test) क्या है?

    सेरोलॉजिकल टेस्ट को रैपिड एंटीबॉडी भी कहा जाता है। इसमें ब्लड सीरम में मौजूद एंटीबॉडी डिटेक्ट की जाती है, जिससे कोरोना वायरस से संक्रमित होने का संकेत मिलता है। आपको बता दें, हमारा शरीर एंटीबॉडी प्रोटीन तभी बनाता है जब शरीर में कोई संक्रमण होता है। एंटीबॉडी को संक्रमण को पहचानने में तीन से चार दिनों का समय लगता है। इस टेस्ट में इस बात की पुष्टी नहीं होती कि शख्स को कोरोना वायरस है या नहीं बस इतना मालूम होता है कि शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी का उत्पादन हो रहा है या नहीं। इस टेस्ट को एंटिजन का इस्तेेेेेमाल करके किया जाता है। इस टेस्ट का उद्देश्य शरीर में एंटीबॉडी का पता लगाना होता है। एंटीबॉडी पॉजिटिव आने पर स्वैब टेस्ट यानी पीसीआर करवाने की सलाह दी जाती है। यदि स्वैैैब टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव आता है तो इसका मतलब वो व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित है। इसके बाद उस शख्स को प्रोटोकॉल के अनुसार आइसोलेशन में रखा जाएगा और उसका इलाज होगा। इसके अलावा उसके परिवार के लोग और उसके संपर्क में आए दूसरे लोगों को खोजा जाएगा।

    यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस लॉकडाउन को लेकर WHO ने दी चेतावनी, इतनी भी जल्दबाजी न करें

    कोरोना वायरस की जांच के लिए कितना सही है रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट?

    पिछले काफी दिनों से रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट खबरों में बना हुआ है।  दुनियाभर से कई ऐसी रिपोर्ट आई हैं जिसमें यह मालूम हुआ है कि एंटीबॉडी टेस्ट में इंफेक्शन नहीं पाया गया और गलत नेगेटिव रिपोर्ट आ गई। यही कारण है कि सरकार ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच इस टेस्ट को केवल  क्लस्टर और हॉटस्पॉट इलाकों में करने का फैसला किया है।

    भारत में भी इन किट का उत्पादन हो रहा है। इसके अलावा चीन की दो कंपनियों से कुल पांच लाख किट मंगाई गई हैं। इन दोनों किट की जांच का तरीका अलग है लेकिन दोनों का इस्तेमाल कोविड-19 की शुरुआती जांच के लिए उपयोग में लाई जाएंगी।

    यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस से ब्लड ग्रुप का है कनेक्शन, रिसर्च में हुआ खुलासा

    कैसे किया जाता है कोरोना वायरस की जांच के लिए रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट?

    रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट में मरीज के खून का सैंपल लिया जाता है। खून का सैंपल लेने के लिए अंगुली में सुईं चुभोकर खून लिया जाता है। इस टेस्ट का परिणाम 15 से 20 मिनट में आ जाता है। लॉकडाउन के दौरान एंटीबॉडी टेस्ट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि इसका इस्तेमाल उन लोगों की पहचान के लिए किया जा रहा है, जिनमें कोरोना वायरस के होने की संभावना है।

    कोरोना वायरस की जांच के लिए किए जाने वाले सेरोलॉजिकल टेस्ट और जेनेटिक टेस्ट की कीमत

    सेरोलॉजिकल टेस्ट जेनेटिक टेस्ट की तुलना में काफी सस्ता होता है। जेनेटिक टेस्ट को कराने में चार से पांच हजार का खर्च आता है। वहीं सेरोलॉजिकल टेस्ट में 500-600 रुपये खर्च होते हैं। हालांकि सरकारी अस्पतालों और लैब में यह टेस्ट फ्री में किया जा रहा है। सेरोलॉजिकल टेस्ट न सिर्फ सस्ता बल्कि इसमें रिवर्स-ट्रांसक्रिप्टेस रीयल-टाइम पोलीमरेज चेन रिएक्शन के जरिए बहुत ही कम समय में रिजल्ट मिल जाता है। सेरोलॉजिकल टेस्ट के परिणाम आने में 5 से 15 मिनट का समय लगता है।

    यह भी पढ़ें: कोरोना की वजह से अपनों को छूने से डर रहे लोग, जानें स्किन को एक टच की कितनी है जरूरत

    सेरोलॉजिकल टेस्ट को लेकर सरकार ने दिया ये बयान

    स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर की संयुक्त प्रेस वार्ता में डॉ. रमन आर गंगाखेड़कर ने कहा कि शुरुआती जांच के लिए लोगों को लैब पर ही निर्भर रहना होगा। आम लोग रैपिड टेस्ट की मांग न करें। सेरोलॉजिकल टेस्ट का इस्तेमाल कोरोना वायरस की जांच के लिए नहीं बल्कि महामारी के प्रसार का पता लगाने के लिए किया जाता है।

    इसके साथ ही डॉ. रमन ने कहा कि देश में हम 24 लोगों की जांच कर रहे हैं तब एक मरीज पॉजिटिव आ रहा है। जापान में यह आंकड़ा 11.7 जांच में एक पॉजिटिव का और इटली में हर 6.7 लोगों की जांच पर एक पॉजिटिव है। वहीं, अमेरिका में यह 5.3 और ब्रिटेन में 3.4 है।

    यह भी पढ़ें: गांजे से कोरोना वायरस: गांजा/बीड़ी/सिगरेट पीने वालों को कोरोना से ज्यादा खतरा

    हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में कोरोना वायरस की जांच के लिए किए जाने वाले एंटीबॉडी और पीसीआर टेस्ट से जुड़ी हर जानकारी देने की कोशिश की गई है। यदि आप इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो आप अपना सवाल कमेंट सेक्शन में कर सकते हैं। हम अपने एक्सपर्ट्स से आपके सवालों का जवाब दिलाने की पूरी कोशिश करेंगे। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमें कमेंट कर बता सकते हैं।

    [covid_19]

    और पढ़ें :-

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Mona narang द्वारा लिखित · अपडेटेड 03/06/2020

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement