पिछले काफी दिनों से रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट खबरों में बना हुआ है। दुनियाभर से कई ऐसी रिपोर्ट आई हैं जिसमें यह मालूम हुआ है कि एंटीबॉडी टेस्ट में इंफेक्शन नहीं पाया गया और गलत नेगेटिव रिपोर्ट आ गई। यही कारण है कि सरकार ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच इस टेस्ट को केवल क्लस्टर और हॉटस्पॉट इलाकों में करने का फैसला किया है।
भारत में भी इन किट का उत्पादन हो रहा है। इसके अलावा चीन की दो कंपनियों से कुल पांच लाख किट मंगाई गई हैं। इन दोनों किट की जांच का तरीका अलग है लेकिन दोनों का इस्तेमाल कोविड-19 की शुरुआती जांच के लिए उपयोग में लाई जाएंगी।
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कैसे किया जाता है कोरोना वायरस की जांच के लिए रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट?
रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट में मरीज के खून का सैंपल लिया जाता है। खून का सैंपल लेने के लिए अंगुली में सुईं चुभोकर खून लिया जाता है। इस टेस्ट का परिणाम 15 से 20 मिनट में आ जाता है। लॉकडाउन के दौरान एंटीबॉडी टेस्ट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि इसका इस्तेमाल उन लोगों की पहचान के लिए किया जा रहा है, जिनमें कोरोना वायरस के होने की संभावना है।
कोरोना वायरस की जांच के लिए किए जाने वाले सेरोलॉजिकल टेस्ट और जेनेटिक टेस्ट की कीमत
सेरोलॉजिकल टेस्ट जेनेटिक टेस्ट की तुलना में काफी सस्ता होता है। जेनेटिक टेस्ट को कराने में चार से पांच हजार का खर्च आता है। वहीं सेरोलॉजिकल टेस्ट में 500-600 रुपये खर्च होते हैं। हालांकि सरकारी अस्पतालों और लैब में यह टेस्ट फ्री में किया जा रहा है। सेरोलॉजिकल टेस्ट न सिर्फ सस्ता बल्कि इसमें रिवर्स-ट्रांसक्रिप्टेस रीयल-टाइम पोलीमरेज चेन रिएक्शन के जरिए बहुत ही कम समय में रिजल्ट मिल जाता है। सेरोलॉजिकल टेस्ट के परिणाम आने में 5 से 15 मिनट का समय लगता है।