परिचय
गूलर (Gular ) क्या है?
गूलर एक प्रकार का जड़ीबूटी होता है, जिसका वर्णन आयुर्वेद में भी किया गया है। गूलर को उमरि, तुई गुल्लर, उमर, डिम्री, क्लस्टर फिग ट्री, गूलर फिग, गूलर फिग, कन्ट्री फिग और दधूरी के नाम से जाना जाता है। इसका वानस्पातिक नाम फाइकस रेसीमोसा (Ficus racemosa Linn.) है। यह मोरेसिए (Moraceae) परिवार से ताल्लुक रखता है। ये कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है, जिस वजह से इसका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। खासतौर पर मस्कुलर पेन, पिंपल्स, बॉयल्स, कट्स और बवासीर में इसका इस्तेमाल रिकमेंड किया जाता है।
गूलर में न्युट्रिएंट्स:
- प्रोटीन: 1.3 ग्राम
- वॉटर: 81.9 ग्राम
- फैट: 0.6 ग्राम
- नाइट्रोजन: 0.21 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट: 0
- आयरन: 16.25%
- कॉपर: 11.11%
- पोटेशियम: 10.81%
- मैग्नीशियम: 8.335%
- कैल्शियम: 7.20%
- फॉसफोरस: 6.71%
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सावधानियां और चेतावनी
गूलर (Gular ) का उपयोग किस लिए किया जाता है?
माउथ अल्सर और ओरल इंफेक्शन में मददगार
माउथ अल्सर और ओरल इंफेक्शन के इलाज के लिए इसकी छाल को पानी में उबालकर पीने की सलाह दी जाती है।
डायबिटीज के इलाज में लाभदायक
डायबिटीज पेशेंट्स के लिए गूलर का सेवन वरदान समान माना जाता है।
आरबीसी का प्रोडक्शन करता है (Production of RBC)
रेड बल्ड सेल्स और एंटीबॉडीज के उत्पादन के लिए विटामिन-बी 2 की जरूरत होती है। ये शरीर के कई अंगों में ऑक्सीजेनेशन और सर्कुलेशन में मदद करता है।
कैंसर में फायदेमंद (Benefits in Cancer)
गूलर में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर प्रॉपर्टीज होती हैं। इसके जूस को दवा के तौर पर लिया जाता है। इसमें ऐसी प्रॉपर्टीज होती हैं जो कैंसर सेल्स को नष्ट करते हैं।
अनियमित दिल की धड़कन को नियंत्रित करना (Controlling irregular heart beats)
गूलर में मौजूद मैग्नीशियम अनियमित दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है। अनियमित दिल की धड़कन के कारण मस्कुलर टेंशन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस की दिक्कत हो सकती है। इसके फल का सेवन करने से इन लक्षण को दूर किया जा सकता है।
इम्यूनिटी को बढ़ाता है (increase immunity)
इसमें उच्च मात्रा में कॉपर होता है, जो एनीमिया की परेशानी से बचाता है। यह हमारे शरीर में एंजाइम प्रक्रियाओं के लिए बेहद जरूरी है जो एंडोथेलियल विकास या टिशू हीलिंग प्रोसेस में मदद करता है। हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कॉपर आवश्यक है।
यूरिनरी डिसऑर्डर के इलाज में मददगार (Helpful cure in Urinary disorders)
गूलर का इस्तेमाल यूरिन संबंधित परेशानियों को दूर करता है। इसमें इसके पाउडर को दिन में दो बार लेने की सलाह दी जाती है।
हीव्स (Hives)
गूलर की पत्तियों और एक्सट्रेक्ट जूस को हीव्स के इलाज के लिए दिया जाता है।
चिकनपॉक्स में आराम (Treats Chicken pox)
चिकनपॉक्स के इलाज के लिए गूलर की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। यह चिकनपॉक्स में होने वाले बॉयल में मवाद के विकास को रोकता है और इलाज भी करता है।
टीबी में राहत (Good for Multinodular tuberculosis)
टीबी के इलाज के लिए गुलर को शहद के साथ लेने की सलाह दी जाती है।
मेनोरेजिअ (Menorrhagia) के इलाज में मदद करता है
पीरियड्स में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने को मेनोरेजिअ कहते हैं। यह हॉर्मोनल असंतुलन या अंडाशय में अल्सर या गर्भाशय में फाइब्रॉएड के कारण हो सकता है। इसमें गूलर फिग के सूखे अंजीर को चीनी और शहद के साथ लेने की सलाह दी जाती है।
स्किन के जलने के निशान
स्किन के जलने के निशान डरावने लगते हैं। गुलर के फल का पेस्ट शहद में मिलाकर स्किन के जलने के निशान पर लगाया जाता है। इसका इस्तेमाल कर धीरे धीरे ये निशान गायब हो जाते हैं।
बवासीर और फिस्टुला के इलाज में लाभदायक
बवासीर और फिस्टुला का इलाज भी गूलर से किया जाता है। इसकी पत्तियों को तोड़ने के बाद निकलने वाले लेटेक्स को प्रभावित जगह पर लगाया जाता है।
सूजन को दूर करता है
गूलर ट्री में एंटी-इन्फलामेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं जो सूजन को दूर करने में मदद करते हैं। इसके लिए गूलर को पत्थर से पीसकर पेस्ट बनाने और उसे प्रभावित जगह पर लगाने की सलाह दी जाती है।
पिंपल्स और झाइयों को दूर करता है
चेहरे पर पिंपल्स या झाइयां किसी को पसंद नहीं होती हैं। गूलर की छाल इसके बचाव में मदद करती है। गूलर की छाल के अंदरूनी हिस्से का पेस्ट तैयार कर प्रभावित जगह पर लगाने से राहत मिलती है। इसका उपयोग फोड़े के इलाज के लिए भी किया जा सकता है।
इन परेशानियों में भी मददगार है गूलर का उपयोग:
- डिसेंटरी
- पेट में दर्द
- ब्लीडिंग डिसऑर्डर
- नकसीर
- अत्यधिक प्यास लगना
- मसल्स पेन
- यूरिनरी डिसऑर्डर
- बुखार
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कैसे काम करता है गूलर (Gular)?
गुलर ट्री में एस्ट्रिंजेंट, एंटी-डायबीटिक, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, एंटी-एस्थमैटिक, एंटी-इन्फलामेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीअल्सर, एंटी-पायरेटिक और एंटी-डायरियल प्रॉपर्टीज होती हैं। इसकी छाल, पत्तियां और कच्चे फल पेट फूलना, एस्ट्रिंजेंट में राहत, भूख को बढ़ावा, पाचन में सहायता और परजीवी कीड़ों को मारता है। इसकी लेटेक्स कट्स, कीट के काटने, फोड़े, खरोंच, सूजन में उपयोगी है।
गूलर के पेड़ की छाल का उपयोग संक्रमण और सूजन के इलाज के लिए किया जाता है। इसकी छाल में फाइटोकेमिकल कोंस्टीटूएंट्स जैसे एल्कलॉइड, कार्बोहाइड्रेट, फ्लेवोनॉइड, ग्लाइकोसाइड, सैपोनिन, टैनिन, फेनोल, स्टेरॉयड आदि शामिल होते हैं। इसकी छाल का उपयोग ब्लड शुगर लेवल को कम करने और पेट में कीड़ों को नष्ट करने और सूजन को दूर करने के लिए किया जाता है। ये लिपिड डिसऑर्डर और ओबेसिटी के इलाज में मददगार है।
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साइड-इफेक्ट्स
गूलर (Gular ) से मुझे क्या साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं?
गूलर का सेवन करने से निम्नलिखित साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं:
- चक्कर आना (dizziness)
- ब्लड प्रेशर कम होना (decreasing blood pressure)
- टायकिकार्डिया ( tachycardia)
- ऑर्थोस्टेटिक समस्याएं (orthostatic)
- कफ (Cough)
- कोल्ड (Cold)
- एलर्जीक रिएक्शन (Allergic Reaction)
हालांकि, हर किसी को ये साइड इफेक्ट हो ऐसा जरूरी नहीं है। कुछ ऐसे भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जो ऊपर बताए नहीं गए हैं। यदि आपको गूलर का सेवन करने से कोई भी साइड इफेक्ट होते हैं तो इसका सेवन तुरंत बंद कर दें। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।
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डोसेज
गूलर (Gular ) को लेने की सही खुराक क्या है?
गूलर को लेने की सही खुराक हर किसी के लिए अलग हो सकती है। यह मरीज की उम्र, मेडिकल कंडिशन व अन्य कई कारकों पर निर्भर करती है। कभी भी इसकी खुराक खुद से निर्धारित करने की गलती न करें। इसका शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है। गूलर को आमतौर पर (250, 500 or 1000 मिलीग्राम/किलोग्राम) रिकमेंड किया जाता है। हर्बल सप्लिमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए सही खुराक की जानकारी के लिए हर्बलिस्ट या डॉक्टर से चर्चा करें।
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उपलब्धता
किन रूपों में उपलब्ध है गूलर (Gular)?
गूलर निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध हैँ:
- पाउडर
- काढ़ा
- लेटेक्स
अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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