के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
कुसुम का तेलसंयंत्र के बीज से मिलता है। इसकी दो किस्में उपलब्ध हैं – हाई ओलिक और हाई लिनोलेनिक। हाई ओलिक कुसुम के तेल में मोनोसेचुरेटेड फैट होता है जबकि हाई लिनोलेनिक कुसुम के तेल में पॉलीअनसेचुरेटेड फैट होता है। इसका साइंटिफिक नाम Carthamus tinctorius है।
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कुसुम के तेल का इस्तेमाल निम्नलिखित समस्याओं में होता है:
यह एक हर्बल सप्लिमेंट है और कैसे काम करता है, इसके संबंध में अभी कोई ज्यादा शोध उपलब्ध नहीं हैं। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप किसी हर्बल विशेषज्ञ या फिर किसी डॉक्टर से संपर्क करें। हालांकि, कुछ शोध यह बताते हैं कि इस तेल में मौजूद ओमेगा 6 फैटी एसिड शरीर में मौजूद वसा को जमने देने की बजाय उसे जला देते हैं। कुसुम का तेल में विटामिन-ई के पूरक मौजूद होते हैं, जो शरीर से फ्री रेडिकल्स को खत्म करते हैं तथा कैंसर होने के खतरे से हमें निजात दिलाते हैं। कुसुम का तेल में कुछ ऐसे केमिकल्स भी होते हैं, जो खून के थक्के को कम करते है और ह्रदय के कार्यों को उत्तेजित करते है।
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निम्नलिखित परिस्थितियों में इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर या हर्बलिस्ट से सलाह लें:
अन्य दवाइयों के मुकाबले औषधियों के संबंध में रेग्युलेटरी नियम अधिक सख्त नहीं हैं। इनकी सुरक्षा का आंकलन करने के लिए अतिरिक्त अध्ययनों की आवश्यकता है। कुसुम के तेल इस्तेमाल करने से पहले इसके खतरों की तुलना इसके फायदों से जरूर की जानी चाहिए। इसकी अधिक जानकारी के लिए अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से सलाह लें।
प्रेग्नेंसी में कुसुम का तेल का प्रयोग न करें। यह असुरक्षित साबित हो सकता है। इससे मासिक धर्म चालू हो सकता है। गर्भाशय सिकुड़ने की संभावना है और गर्भपात के संयोग भी बन सकते हैं।
ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान यह तेल लेना सुरक्षित है या नहीं, इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। सुरक्षित रहें और इस दौरान कुसुम का तेल का प्रयोग न करें।
जब चिकित्सक की निगरानी में यह तेल रासायनिक रूप से आईवी (नसों के अंदर से) दिया जाए तो सुरक्षित है। हालांकि, कोई ठोस शोध पर्याप्त नहीं है कि बच्चों के लिए यह तेल संपूर्ण सुरक्षित है।
कुसुम का तेल खून के थक्के को रोकता है, इस कारण रक्तस्त्राव और रक्त के विकार की समस्या बढ़ सकती है। रक्त के विकार वाले लोगों को इस तेल का उपयोग करने से पहले विशेष ध्यान रखना चाहिए।
एस्टरेशिया परिवार के पौधों से जिन्हें एलर्जी हैं, उन पर प्रतिकूल असर कर सकता है।
कुसुम का तेल खून के शुगर लेवल को बढ़ा सकता है। इसलिए मधुमेह के रोग से पीड़ित लोगों को इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
कुसुम का तेल खून के थक्के को रोकता है और खून के बहाव को बढाता है, इसलिए इसके इस्तेमाल से किसी भी सर्जरी के दौरान या पहले अचानक से खून के बहाव का खतरा बढ़ सकता है। अतः किसी भी सर्जरी से दो हफ्ते पहले इसका इस्तेमाल बंद कर दें।
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कुसुम के तेल के कोई गंभीर साइड इफेक्ट सूचित नहीं हुए है।
हालांकि, हर व्यक्ति को यह साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं। उपरोक्त दुष्प्रभाव के अलावा भी कुसुम के तेल के कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जिन्हें ऊपर सूचीबद्ध नहीं किया गया है। यदि आप इसके साइड इफेक्ट्स को लेकर चिंतित हैं, तो अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से सलाह लें।
कुसुम के तेल के तेल का निम्नलिखित दवा के साथ प्रयोग करने से उसके प्रभाव दिख सकते हैं:
कुसुम का तेल खून के थक्के को कम करता है और इसका प्रयोग इन दवाओं के साथ करने से जो खून के थक्के को कम करती हैं। सूजन-खरोंच और रक्तस्राव के संभावना बढ़ सकती है। इन दवाओं में एस्पिरिन, क्लोपिडोग्रेल (प्लाविस), डिक्लोफेनाक (वोल्टरेन, कटफलाम), आइबूप्रोफेन (एडविल, मोटरीन), नेप्रोक्सेन (अनप्रोक्स, नापरोसीन), डालतेपरिन (फ्राग्मिन), एनोक्सापारिन (लोवेनॉक्स), हेपरिन, वार्फरिन (सोमदिन) शामिल है।
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उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं हो सकती। इसका इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से सलाह लें।
कुसुम के तेल से बनी हुई रसोई छह हफ्तों तक खाएं।
इस हर्बल सप्लिमेंट की खुराक हर मरीज के लिए अलग हो सकती है। आपके द्वारा ली जाने वाली खुराक आपकी उम्र, स्वास्थ्य और कई चीजों पर निर्भर करती है। हर्बल सप्लिमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए सही खुराक की जानकारी के लिए हर्बलिस्ट या डॉक्टर से चर्चा करें।
यह हर्बल सप्लिमेंट निम्न खुराक के रूप में उपलब्ध है
अधिक जानकारी के लिए हर्बलिस्ट से संपर्क करें।
डिस्क्लेमर
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