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गर्भपात के बाद (After misscarriage) महिलाओं की बॉडी में होते हैं ये बदलाव, जानें इनके बारे में

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Piyush Journalist


Piyush Journalist द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/09/2023

    गर्भपात के बाद (After misscarriage) महिलाओं की बॉडी में होते हैं ये बदलाव, जानें इनके बारे में

    गर्भपात के बाद (After misscarriage) महिलाओं की बॉडी में कुछ बदलाव आते हैं जिनके बारे में कई बार वे अनजान रहती हैं। कुछ महिलाओं की बॉडी पर इनका प्रभाव नहीं पड़ता वहीं, कुछ महिलाएं शारीरिक और भावनात्मक बदलावों से गुजरती हैं। ऐसी स्थिति महिलाओं को इन बदलावों के बारे में जानकारी होना जरूरी है। इन्हें मिसकैरिज के साइड-इफेक्ट्स भी कहा जाता है। आइए जानते हैं मिसकैरेज के साइड इफेक्ट्स (Miscarriage side effects) के बारे में।

    गर्भपात के बाद (After misscarriage) दिखते हैं ये लक्षण

    • गर्भपात के बाद (After misscarriage) कुछ महिलाओं को ब्लीडिंग की समस्या नहीं होती। वहीं, कुछ महिलाओं को गर्भपात के बाद दो से छह हफ्ते के आखिर तक ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है।
    • मिसकैरिज (Miscarriage) के बाद होने वाली ब्लीडिंग स्पॉटी, डार्क ब्राउन और क्लॉट्स जैसे हो सकती है।
    • अक्सर गर्भपात के शुरुआती दिनों में महिलाओं को ब्लीडिंग (Bleeding) नहीं होती है। गर्भपात के तीसरे और चौथे दिन के आसपास महिलाओं की बॉडी में हार्मोन में बदलाव आते हैं, जिससे उन्हें ब्लीडिंग हो सकती है।
    • हैवी ब्लीडिंग होने की स्थिति में यूट्राइन मसाज (Uterine massage) इसके इलाज का विकल्प हो सकती है। इस स्थिति में चलना- फिरना कम करें।
    • तीन से ज्यादा घंटों तक हैवी ब्लीडिंग होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

    3% महिलाओं में गर्भपात के बाद (After misscarriage) इंफेक्शन (Infection) हो जाता है। ये इंफेक्शन गर्भाशय में गर्भाधान के बरकरार उत्पादों के कारण हो सकता है। यदि आपको लगता है कि आपको संक्रमण के लक्षण हैं, तो बिना देरी करें अपने डॉक्टर से संपर्क करें। संक्रमण के लक्षण निम्न हो सकते हैं:

    • दो हफ्ते से ज्यादा समय तक रक्तस्राव (Bleeding) और ऐंठन (Cramp) होना
    • ठंड लगना (Chills)
    • बुखार होना (Fever)
    • वजायना (Vagina) से बदबूदार डिसचार्ज होना

    और पढ़ें  मिसकैरिज : ये 4 लक्षण हो सकते हैं खतरे की घंटी

    गर्भपात के बाद (After misscarriage) अलग तरह के डिस्चार्ज होना (Discharge)

    • गर्भपात के बाद ब्राउन से लेकर काले रंग का डिस्चार्ज हो सकता है।
    • यह डिस्चार्ज म्यूकस के जैसा भी हो सकता है।
    • डिस्चार्ज के साथ ईचिंग या दर्द होने या डिस्चार्ज के स्मैली होने या फिर इसके पस की तरह आने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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    गर्भपात के बाद (After misscarriage) दर्द और क्रैंप्स आना (Pain and Cramps)

    • गर्भपात के बाद (After misscarriage) यूटरस (Uterus) को अपने सामान्य आकार में लौटना जरूरी होता है। इस स्थिति में क्रैंप आना सामान्य बात है।
    • क्रैंपिंग कभी-कभी हो सकती है। यह मासिक धर्म के पहले दिन आने वाले क्रैंप की तरह हो सकते हैं।
    • ब्लीडिंग (Bleeding) और क्लॉटिंग (Clotting) के बढ़ने पर क्रैंप्स बढ़ सकते हैं। गर्भपात के बाद तीसरे और चौथे दिन क्रैंप्स की तीव्रता बढ़ सकती है।

    और पढ़ें: जानें मिसकैरेज से कैसे बाहर आएं?

    गर्भपात के बाद हाॅर्मोन में बदलाव (Hormonal changes)

    गर्भपात के बाद कुछ महिलाएं ज्यादा भावुक हो जाती हैं। प्रेग्नेंसी हार्मोन (Pregnancy hormone) में बदलाव आने के चलते ऐसा होता है। इसके अलावा, मिसकैरिज के अहसास को लेकर भी महिलाएं भावुक हो सकती हैं। कुछ मामलों में महिलाओं में भावुकता दोनों की मिली जुली प्रतिक्रिया होती है। संभवतः मिसकैरिज के बाद महिलाएं जल्द ही गर्भधारण कर लें या ना भी करें। यह डिसीजन उनके ऊपर ही छोड़ देना चाहिए।

    और पढ़ें- गर्भपात के मुख्य कारण

    गर्भपात के बाद डिप्रेशन (Depression)

    गर्भपात के बाद कुछ महिलाएं अवसाद (Depression), गुस्से (Anger) और आत्मग्लानी (Guilty) की भावना में डूब जाती हैं। यह एक प्रकार का डिप्रेशन होता है। उन्हें खालीपन का अहसास हो सकता है।

    प्रेग्नेंसी के दौरान महिला की बॉडी में ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन बनने लगता है, जिससे महिला को शिशु से जुड़ाव का अहसास होता है। गर्भधारण करने के कुछ ही समय के भीतर महिला की बॉडी में यह हॉर्मोन बनने लगता है। हालांकि, मिसकैरिज के बाद ऑक्सीटोसिन का हाई लेवल बना रहता है, जिससे महिला अपने शिशु की यादों में डूबी रह सकती है।

    और पढ़ें: गर्भपात के बाद प्रेग्नेंसी में किन बातों का रखना चाहिए ख्याल?

    एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorders)

    कुछ शोध के अनुसार, मिसकैरेज के बाद एंग्जायटी (Anxiety) और स्ट्रेस डिसऑर्डर (Stress disorder) होना डिप्रेशन से भी ज्यादा कॉमन है। यदि इससे ओवरकम न किया जाए तो ये मिसकैरेज के बाद होने वाले पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर की स्थिति का कारण बन सकते हैं।

    इनकंप्लीट मिसकैरिज (Incomplete Miscarriage)

    इनकंप्लीट मिसकैरिज बहुत कॉमन है। इसका मतलब है प्रेग्नंसी के कुछ टिशू अभी भी यूट्रस में बरकरार हैं। मिसकैरेज के बाद ज्यादा समय तक रक्तस्राव या ऐंठन होना इनकंप्लीट मिसकैरेज का सबसे आम लक्षण है। कई बार इनकंप्लीट मिसकैरिज अपने आप ठीक हो जाता है वहीं कई बार डीएंडसी ( D&C) कराने की जरूरत होती है। इसमें गर्भ से गर्भाधान के सभी उत्पादों को साफ किया जाता है।

    डॉक्टर को दिखाने की जरूरत कब होती है?

    नीचे बताए लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें:

    • तेज दर्द, जो पेन किलर (Pain killer) लेने पर भी ठीक न हो रहा हो
    • लगातार हैवी ब्लीडिंग होने पर (दो घंटे में दो से ज्यादा पैड बदलने की जरूरत पड़े)
    • पेट में दर्द या बेचैनी जो दवा, हॉट वॉटर बॉटल, हीट पैड, आराम करने के बाद भी न ठीक हो रहा हो
    • वजायना से बदबूदार डिसचार्ज होना
    • प्रेग्नेंसी के लक्षण बने रहना जैसे जी मिचलाना, उल्टी होना
    • बुखार रहना

    और पढ़ें: मां की ज्यादा उम्र भी हो सकती है मिसकैरिज (गर्भपात) का एक कारण

    मिसकैरेज होने पर किसी तरह के इंफेक्शन से बचने के लिए निम्न बातों को ध्यान रखें:

    • टैम्पॉन (Tappoon) की जगह पैड का इस्तेमाल करें
    • स्वीमिंग पूल में न जाएं
    • बाथ टब में नहाने की जगह शॉवर लें
    • सेक्स न करें (Avoid sex)
    • समय पर एंटीबायोटिक्स लें

    और पढ़ें: इस समय पर होते हैं सबसे ज्यादा मिसकैरिज, जानिए गर्भपात के मुख्य कारण

    गर्भपात के बाद प्रेग्नेंसी प्लानिंग कब करनी चाहिए? (When should I do pregnancy planning after a miscarriage?)

    गर्भपात के तुरंत बाद प्रजनन क्षमता वापस आ सकती है, इसलिए गर्भनिरोधक का उपयोग करने पर विचार करें जब तक कि आप फिर से प्रेग्नेंसी प्लानिंग शुरू करने के लिए तैयार न हों। यदि आप गर्भपात के बाद सीधे गर्भवती हो जाती हैं, तो आपके दोबारा गर्भपात होने का जोखिम थोड़ा अधिक होता है। इस कारण से, डॉक्टर सलाह देते हैं कि आप फिर से गर्भवती होने की कोशिश करने से पहले कम से कम एक माहवारी होने तक प्रतीक्षा करें।

    मिसकैरिज के बाद होते हैं कई बदलाव

    मिसकैरिज के बाद ज्यादातर महिलाओं की बॉडी में कई प्रकार के बदलाव आते हैं। यह जरूरी नहीं कि हर महिला की बॉडी एक जैसी प्रतिक्रिया दे। ऐसे में आपके लिए इन बदलावों के बारे में जानकारी रखना बेहद ही जरूरी है। साथ ही अगर आपके आस-पास की कोई महिला ऐसी स्थिति में है या उससे गुजर रही है तो उसे इमोशनल सपोर्ट देने की कोशिश करें।

    हमें उम्मीद है आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में गर्भपात के साइड इफेक्ट्स (Miscarriage side effects) के बारे में बताया गया है। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल है तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। हम अपने एक्सपर्ट्स द्वारा आपके सवालों का उत्तर दिलाने का पूरा प्रयास करेंगे। यदि आप इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो इसके लिए बेहतर होगा आप किसी विशेषज्ञ से कंसल्ट करें।

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