backup og meta

डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है और बचाव के लिए क्या कर सकते हैं, जानें एक्सपर्ट से

डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है और बचाव के लिए क्या कर सकते हैं, जानें एक्सपर्ट से

डायबिटिक रेटिनोपैथी डायबिटीज मरीजों में होने वाली आंखों की एक बीमारी है। इस बीमारी के कारण मरीज की धुंधला दिखने लगता है, दोहरा दिखना और रंगो को पहचानने में समस्या आती है। यदि आप लंबे समय से डायबिटीज के मरीज हैं तो आपको अलर्ट हो जाना चाहिए, क्योंकि यह बीमारी अधिकांश मामलों में लंबे समय से मधुमेह के शिकार लोगों को ही होती है। इस बारे में आई हेल्थ एशिया, साइट सेवर के डॉक्टर संदीप भुट्टान, नेत्र विशेषज्ञ ने बताया डायबिटीज रेटिनोपैथी के बारे में-

क्या है डायबिटिक रेटिनोपैथी?

डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसका पूरी तरह से इलाज नहीं किया जा सकता और यदि इसे सही समय पर कंट्रोल न किया जाए तो यह शरीर के कई हिस्सों जैसे हार्ट, लिवर आदि को गंभीर क्षति पहुंचाता है। इसी तरह यह आंखों को भी बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। डायबिटीज के कारण होने वाली आंखों की बीमारी को डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते हैं। यह बीमारी इतनी घातक होती है इससे आंखों की रोशनी भी हमेशा के लिए जा सकती है। डायबिटिक रेटिनोपैथी आंख (रेटिना) के पीछे के टिशू में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचने की वजह से होता है। बढ़े हुआ ब्लड शुगर लेवल इसका मुख्य जोखिम कारक है।

भारत में डायबिटीज बहुत तेजी से बढ़ रहा है और करीब मिलियन बुजुर्ग इससे प्रभावित हैं। 2045 तक यह आंकड़ां 130 मिलियन तक पहुंच सकता है। डायबिटीज के सभी मामलों के करीब पांचवे हिस्से को आंखों से जुड़ी जटिलता होने की संभावना रहती है, जिसमें डायबिटिक रेटिनोपैथी सबसे आम है। डायबिटिक रेटिनोपैथी पहले से ही दक्षिण एशिया में अंधेपन और आंखों के क्षतिग्रस्त होने की अहम वजह है और यह बढ़ता ही रहेगा जब तक कि डायबिटिक रेटिनोपैथी की रोकथाम के लिए बेहतर सुविधाएं और सेवाएं बहाल न की जाए और इसके निदान और प्रभावी इलाज तक लोगों की पहुंच न बढ़ें।

और पढ़ें: Episode 4 : पॉजिटिव एटिट्यूड, थोड़ा सेल्फ डिसिप्लिन और फाइटिंग स्पिरिट, इनसे हरा सकते हैं डायबिटीज या किसी भी बीमारी को

डायबिटिक रेटिनोपैथी के जोखिम कारक क्या हैं?

मरीज को डायबिटीज कितने दिनों से हैं और वह कितना नियंत्रित है। यह डायबिटीक रेटिनोपैथी की संभावना और उसकी विकास को निर्धारित करते हैं। हाइपरटेंशन और हाइपरलिपिडिमिया जैसी अन्य सिस्टमेटिक फीचर्स बीमारी के स्थिति को और बिगाड़ने और उपचार के प्रति प्रतिक्रिया को प्रभावित करते हैं।

क्या डायबिटिक रेटिनोपैथी का इलाज संभव है?

शुरुआती अवस्था में डायबिटिक रेटिनोपैथी के कारण होने वाले रेटिनल बदलाव को कुछ हद तक ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और लिपिड को कंट्रोल करके रोका जा सकता है। कुछ मामलों में आंखों के पीछ के छोटे ब्ल्ड वेसल में लीकेज के लिए लेजर उपचार की सलाह दी जाती है, जबकि रेटिना के मध्य भाग (मैक्यूलर एडिमा) के सूजन वाले अन्य मामलों इंट्राविट्रियल इंजेक्शन की जरूरत हो सकती है। सभी तरह के उपचार का मकसद रोग को बढ़ने से रोकना है, लेकिन आंखों को यदि पहले ही कोई क्षति पहुंच चुकी है तो उसे उपचार से ठीक नहीं किया जा सकता है। इसलिए बीमारी का जल्दी पता लगाना जरूरी है और यह नियमति जांच से ही संभव है।

[mc4wp_form id=’183492″]

यदि मुझे कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं तो क्या इसका मतलब है कि मुझे डायबिटिक रेटिनोपैथी नहीं है?

शुरुआती स्तर पर अधिकांश मामले बिना लक्षण के ही होते हैं इसलिए बीमारी का तब तक पता नहीं चल पाता जब तक कि नियमित रेटिनल जांच न की जाए। लक्षण वाले करीब 50 फीसदी मामले जो आई स्पेशलिस्ट के पास पहुंचते हैं, वह बीमारी के एडवांस स्टेज पर होते हैं और इस समय रोग का निदान करना शुरुआती अवस्था से बहुत मुश्किल होता है। डायबिटीज के मरीजों में डायबिटिक रेटिनोपैथी की संभावना समय के साथ-साथ बढ़ती जाती है। करीब 10 से 25% डायबिटीज मरीजों के रेटिना में बदलवा की संभावना होती है और इसमें से करीब दसवां हिस्सा बीमारी के एडवांस स्टेज में होता है जिन्हें उपचार की आवश्यकता होती है। इसलिए जरूरी है कि हमेशा आप जो भी करें, अपने डाॅक्टर की सलाह पर ही करें।

और भी पढ़ें- Episode- 2 : डायबिटीज को 10 साल से कैसे कर रहे हैं मैनेज? वेद प्रकाश ने शेयर की अपनी रियल स्टोरी

क्या डायबिटिक रेटिनोपैथी को रोका जा सकता है?

शुरुआती स्तर पर ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को सख्ती से कंट्रोल करके आंखों की जटिलताओं को बढ़ने से रोका जा सकता है। आंखों में शुरुआती बदलाव (आंखों के पीछ के छोटे ब्ल्ड वेसल में लीकेज) का इलाज लेजर थेरेपी से किया जा सकता है और रेटिना के मध्य भाग (मैक्यूलर एडिमा) में यदि सूजन है तो उसके लिए इंट्राविट्रियल इंजेक्शन की जरूरत हो सकती है।

किस स्टेज पर आप सर्जरी की सलाह देंगे?

स बारे में आई हेल्थ एशिया, साइट सेवर के डॉक्टर संदीप भुट्टान, नेत्र विशेषज्ञ ने बताया कि एडवांस स्टेज में, जब रेटिना के ऊपर नई ब्ल्ड वेसल्स विकसित हो गई हो (नियोवैस्कुलराइजेशन) और आंखों के अंदर से खून आ रहा है (विट्रोस हेमोरेज), तो व्यापक स्तर पर रेटिना सर्जरी की जरूरत है, लेकिन बहुत खराब रोग के निदान के साथ। डायबिटिक रेटिनोपैथी के लिए किसी भी इलाज का नतीजा इस बात पर निर्भर करता है कि बीमारी किस स्तर पर है, शुरुआती स्तर पर इलाज की संभावनाएं बेहतर होती हैं।

और भी पढ़ें- Episode-3: डायबिटीज को दूर नहीं, पर कंट्रोल किया जा सकता है!

डायबिटिक रेटिनोपैथी के बारे में अन्य जानने योग्य बातें कौन-सी है?

बीमारी का जल्दी पता लगाना और मेटाबॉलिक कंडिशन को कंट्रोल करना डायबिटिक रेटिनोपैथी के लिए बेहतरीन तरीका है। सभी डायबिटीज के मरीजों में शुरुआती स्तर पर ही रेटिनोपैथी का पता लगाने के लिए आंखों की व्यापक नियमित वार्षिक जांच जरूरी है। भोजन की स्वस्थ आदतें और स्वस्थ जीवनशैली भी अंतर्निहित बीमारी को कंट्रोल करने और डायबिटिक रेटिनोपैथी को बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं।

डायबिटिक रेटिनोपैथी के लक्षण

बीमारी के शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं-

  • फ्लोटर्स या आंखों में दाग दिखना
  • धुंधला दिखना
  • आंखों के सामने अंधेरा छाना
  • रंगों को समझने में दिक्कत

इस बीमारी से बचाव के लिए मरीजों को अपनी जीवनशैली और खानपान की आदतों में बदलाव के साथ ही नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच करवानी जरूरी है, वरना थोड़ी सी भी लापरवाही आपको भारी पड़ सकती है।

[embed-health-tool-bmi]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Current Version

27/11/2020

Niharika Jaiswal द्वारा लिखित

Updated by: Niharika Jaiswal


संबंधित पोस्ट

Lactic acidosis and Diabetes: लैक्टिक एसिडोसिस और डायबिटीज के कनेक्शन के बारे जानें यहां?

टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों और किशोरों की इस तरह से जानी चाहिए देखभाल!



Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/11/2020

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement