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डबल डायबिटीज की समस्या के बारे में जानकारी होना है जरूरी, जानिए क्या रखनी चाहिए सावधानी

डबल डायबिटीज की समस्या के बारे में जानकारी होना है जरूरी, जानिए क्या रखनी चाहिए सावधानी

आपने डायबिटीज यानी मधुमेह (Diabetes) का नाम तो सुना होगा। जब ब्लड में शुगर की मात्रा ज्यादा हो जाती है, तो डायबिटीज की समस्या हो जाती है। वहीं जब शरीर में इंसुलिन (Insulin) का लेवल कम होने लगता है या इंसुलिन बनना बिल्कुल बंद हो जाता है, तो टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) की समस्या उत्पन्न हो जाती है। अब बात आती है डबल डायबिटीज (Double Diabetes) की। इस प्रकार के मधुमेह में टाइप 1 डायबिटीज वाले किसी व्यक्ति में इंसुलिन रजिस्टेंस उत्पन्न हो जाती है जो टाइप 2 डायबिटीज की विशेषता है। अगर आपको डबल डायबिटीज के बारे में जानकारी नहीं है तो ये पढ़ें और जाने कि डबल डायबिटीज क्या होता है और इसे किस तरह से ट्रीट किया जा सकता है।

डबल डायबिटीज (Double Diabetes) किस तरह से अलग है?

डबल डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को हमेशा टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) होगा, लेकिन कुछ मरीजों में इंसुलिन रजिस्टेंस को कम किया जा सकता है। डबल डायबिटीज में मोटापे (Obesity) की समस्या भी होती है, जो कि इंसुलिन रजिस्टेंस को डेवलप करने का काम करती है। जबकि टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) के कारण मोटापा नहीं होता है।डबल डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति में मोटापे की समस्या और इंसुलिन रसिसटेंस अधिक हो जाता है। टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) की तरह ही अगर डबल डयबिटीज की समस्या का सही समय पर समाधान नहीं किया जाए तो आगे चलकर समस्या अधिक बढ़ जाती है और गंभीर रूप भी ले सकती है। अगर डबल डायबिटीज (Double Diabetes) में अधिक इंसुलिन की आवश्यकता होती है, तो ये वजन को बढ़ाने का काम भी कर सकता है और इंसुलिन रसिसटेंस को बढ़ाने का काम भी करता है।

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खाने में लें कम कार्बोहाइड्रेड

जिन लोगों को डबल डायबिटीज की समस्या हो, उन्हें खाने में कम कार्बोहाइड्रेट और हाई फाइबर फूड (Fiber food) को डायट में शामिल करना चाहिए। साथ ही रोजाना व्यायाम करना भी सेहत के लिए फायदेमंद साबित होगा। ऐसा करने से इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाने में मदद मिलेगी। जिन लोगों को टाइप 2 डायबिटीज होता है, उनमे मेडिसिन की हेल्प से इंसुलिन सेंसिटिविटी को सुधारने में हेल्प मिलती है और साथ ही वेट भी कंट्रोल रहता है। डबल डायबिटीज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए वेट को कंट्रोल करना बहुत जरूरी है।

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जानिए टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज (Type 1-2 Diabetes) के बारे में

टाइप 1 डायबिटीज होने पर किसी भी व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। आपको बताते चले कि इंसुलिन एक प्रकार का हार्मोन है, जो शरीर में शुगर के लेवल (Sugar level) को कंट्रोल करने का काम करता है। इंसुलिन ब्लड में ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल करने का काम करता है। जब इंसुलिन की मात्रा कम बनने लगती है या फिर शरीर में इंसुलिन बनना अचानक से बंद हो जाता है तो डायबिटीज की समस्या हो जाती है। टाइप 1 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन की मात्रा बनना बिल्कुल बंद हो जाती है। ऐसे में इंजेक्शन की सहायता से मरीज को इंसुलिन के डोज दिए जाते हैं।इंसुलिन के न बन पाने के कारण शरीर की मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया भी प्रभावित हो जाती है। यानी ये कहा जा सकता है कि शरीर में इंसुलिन हार्मोन की गड़बड़ी से कई प्रकार की समस्याओं का जन्म होने लगता है।

टाइप 2 डायबिटीज की समस्या में ब्लड में शुगर बढ़ जाती है। ऐसा इंसुलिन की गड़बड़ी के कारण होता है।इंसुलिन सेंसिटिविटी रिड्सूस हो जाने के कारण  ब्लड में शुगर का लेवल अधिक बढ़ जाने से कई प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। जिन लोगों में टाइप 2 डायबिटीज की समस्या होती है, उन्हें अधिक प्यास का एहसास हो सकता है। साथ ही बार-बार यूरिन पास करने जैसी समस्या भी होती है।

आपको बताते चले कि टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित जिन लोगों को इंसुलिन की डोज दी जाती है, उनके शरीर में ग्लूकोज का अवशोषण बढ़ जाता है। ऐसे में कई बार इंसुलिन थेरिपी की सलाह भी दी जाती है। बच्चों में मोटापे के कारण डायबिटीज की समस्या बढ़ रही है, ऐसे में उन्हें भी डबल डायबिटीज का खतरा भी रहता है।

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बच्चों में डबल डायबिटीज की समस्या (Double Diabetes in kids)

जिन बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) के साथ ही टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के लक्षण भी दिखाई दें, वो बच्चे डबल डायबिटीज के पेशेंट कहलाते रहैं। जिन बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज (T1D) की समस्या होती है और साथ ही उनका वजन अधिक होता है, टाइप 2 डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री होती है या फिर इंसुलिन रेसिसटेंस का क्लीनिक फीचर होता है, उन्हें डबल डायबिटीज का खतरा अधिक होता है। ब्लड में मौजूद एंटीबॉडीज पैंक्रियाज में मौजूद बीटा सेल्स से इंसुलिन (Insulin) के प्रोडक्शन को रोकने का काम करती हैं।जिन लोगों को टाइप 1 डायबिटीज है, उनमे टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। ये बात कई फैक्टर पर डिपेंड करती है।

अधिक मोटापे (Obesity) से ग्रस्त लोगों को डबल डायबिटीज (Diabetes) का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को ब्लड में शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए हाई इंसुलिन डोज की जरूरत पड़ती है। ऐसे लोगों के शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin resistance) उत्पन्न हो जाता है, जिसमे बॉडी सेल्स इंसुलिन के प्रोडक्शन के लिए रिस्पॉन्स नहीं करती हैं। ऐसे लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) की समस्या भी हो सकती है।

डायबिटीज (Diabetes) की समस्या है तो खानपान का रखें ख्याल

डबल डायबिटीज (Double Diabetes

डबल डायबिटीज (Double Diabetes) से पीड़ित व्यक्ति को हर दिन इंसुलिन का डोज लेना पड़ेगा क्योंकि व्यक्ति में टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण भी मौजूद रहेंगे। ऐसे में लाइफस्टाइल में चेंज करना बहुत जरूरी है। अगर आपको डायबिटीज की बीमारी है, तो बेहतर होगा कि अपना ख्याल रखना शुरू कर दें। खाने में फल और सब्जियों को शामिल करें। साथ ही खाने में फाइबर की अधिक मात्रा को शामिल करें। साथ ही सब्जियों को उबालकर या फिर उनका सूप बनाकर पिएं।खाने में अगर आप साबुत अनाज को शामिल करेंगे तो बेहतर होगा। बेहतर होगा कि अपनी डायट के बारे में एक बार डाक्टर से परामर्श जरूर करें। रोटी, पास्ता, ब्राउन राइस, जौ, गेहूं से बनी रोटी या पास्ता का सेवन करें। शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने के लिए फाइबर और ओमेगा-3 फैटी एसिड (Omega 3 fatty acid) युक्त फूड का सेवन जरूर करें। स्मोकिंग और एल्कोहल को पूरी तरह से छोड़ दें और साथ ही कार्बोहाइड्रेड भी कम मात्रा में लें।

अगर किसी व्यक्ति को डबल डायबिटीज की समस्या है तो उसे अपने ट्रीटमेंट के साथ ही अपनी डायट पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए। डबल डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को रोजाना इंसुलिन लेते रहना चाहिए क्योंकि उसे टाइप 1 डायबिटीज की समस्या भी होगी। इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध को ठीक करने के लिए लाइफस्टाइल में चेंज करना भी बहुत जरूरी है। ये इंसुलिन की मात्रा को धीमे और सुरक्षित गति से कम करने में मदद करेगा।

डायबिटीज के हैं मरीज! क्या आप जानते हैं डायबिटीज होने पर आपकी डायट कैसी होनी चाहिए? नीचे दिए इस क्विज को खेलें और जानें अपना स्कोर।

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डबल डायबिटीज (Double Diabetes) है, तो जरूर करें व्यायाम

डबल डायबिटीज (Double Diabetes) की समस्या के दौरान शरीर का वजन अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में व्यायाम करना बहुत जरूरी है। व्यायाम के तौर पर वॉकिंग, साइकलिंग, जॉगिंग से शुरूआत की जा सकती है। साथ ही एरोबिक्स एक्सरसाइज (Aerobics workout) भी की जा सकती है। अगर आप जिम जाते हैं तो बेहतर होगा कि एक बार अपने ट्रेनर से पूछ लें। व्यायाम करने से वेट कंट्रोल किया जा सकता है।

डबल डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को रेगुलर ब्लड ग्लूकोज मॉनिटरिंग के लिए जरूर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर आपको मीठा खान पसंद है तो बेहतर होगा कि फलों का सेवन करें। डबल डायबिटीज की समस्या के दौरान बिना डॉक्टर की सलाह के डायट प्लान न करें। उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Double-diabetes in a real-world sample of 2711 individuals: associated with insulin treatment or part of the heterogeneity of type 1 diabetes? https://dmsjournal.biomedcentral.com/articles/Accessed on 26/5/2020

Double-diabetes  :https://www.diabetes.co.uk/double-diabetes.html Accessed on 26/5/2020

Insulin resistance in type 1 diabetes: what is ‘double diabetes’ and what are the risks?  https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3671104/Accessed on 26/5/2020

Obesity, Autoimmunity, and Double Diabetes in Youth:https://care.diabetesjournals.org/content/34/Supplement_2/S166 Accessed on 26/5/2020

Current Version

21/02/2022

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nikhil deore


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

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