
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस एक प्रकार का वाटर बैलेंस डिसआर्डर (पानी के संतुलन का विकार) है। इसे असामान्य विकार भी कहते हैं, यह हमारे शरीर में तरल पदार्थों के असंतुलन के कारण होता है। नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस वाले लोग बहुत अधिक मूत्र (पॉल्यूरिया) विसर्जन करते हैं, जिसके कारण उन्हें अत्यधिक प्यास लगती है। अत्यधिक प्यास लगने की इस स्थिति को पॉलीडिप्सिया कहते हैं। आपको बता दें कि पॉलीडिप्सिया की स्थिति में व्यक्ति को बहुत अधिक प्यास लगती है, इतना ही नहीं अत्यधिक मात्रा में पानी पीने के बाद भी व्यक्ति की प्यास नहीं बुझती है। उन्हें हर समय ऐसा महसूस होता है जैसे उनका गला सूख गया है। नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस को वंशानुगत (Hereditary) किया जा सकता है। यह कुछ दवाओं की वजह से और क्रोनिक विकार से भी हो सकता है ,जो कभी भी किसी भी उम्र में हो सकता है।
- नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस डायबिटीज मेलेटस जैसा नहीं होता है। डायबिटीज मेलेटस ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाता है। लेकिन नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस किडनी में समस्या के कारण होता है। नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस में, किडनी हार्मोन को सही तरह से रिस्पॉन्स नहीं करती है। जो तरल पदार्थों के संतुलन को नियंत्रित करता है। इस विकार के कारण अत्यधिक पेशाब आना और अत्यधिक प्यास लगने जैसे लक्षण दृष्टिगोचर होते हैं। इसका इलाज किसी चुनौती से कम नहीं होता है।
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नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस क्या है?
डायबिटीज इन्सिपिडस हार्मोन से संबंधित समस्याओं के कारण होता है जिसे एन्टिडाययूरेटिक हार्मोन(ADH) कहा जाता है। एडीएच मस्तिष्क के एक हिस्से में निर्मित होता है जिसे हाइपोथैलेमस कहा जाता है। यह पिट्यूटरी ग्रंथि में एकत्रित होता है। एडीएच रिलीज होने से हमारे शरीर में तरल की कमी या डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। मूत्र की कमी इसका एक परिणाम है।
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस में पर्याप्त एडीएच का उत्पादन करता है। आमतौर पर, किडनी के एडीएच सेंसर खराब होते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि एडीएच बिना किसी प्रभाव के बहता रहता है। किडनी पर्याप्त मात्रा में पानी को अवशोषित नहीं कर पाती है। इसके कारण बहुत पतला मूत्र उत्सर्जित होता है जैसे कि कोई एडीएच मौजूद नहीं था।
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस के लक्षण
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस के लक्षण इस प्रकार हैं।
- अत्यधिक प्यास (पॉलीडिप्सिया )
- कमजोरी
- मूत्र का अत्यधिक मात्रा में उत्सर्जन (पॉल्यूरिया)
- मांसपेशियों में दर्द
- इसमें लोग प्रति दिन 1 से 6 गैलन (3 से 20 लीटर) मूत्र का त्याग करते हैं।
जब नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस आनुवंशिक होता है, तो लक्षण आमतौर पर जन्म के तुरंत बाद ही शुरू हो जाता है। शिशु बोल नहीं सकते हैं, इसलिए अपने प्यास की बात बार-बार बता नहीं सकते हैं। जिसके चलते वो डिहाइड्रेट हो जाते हैं, इसी कारण से उनको उल्टी और दौरे के साथ बुखार भी आता रहता है। डिमेंशिया वाले वृद्ध लोगों में भी डिहाइड्रेशन होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि वे भी अपने अत्यधिक प्यास लगने के बारे में बता नहीं पाते हैं।
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस के कारण क्या हैं?
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस शिशुओं में जन्म के समय उनमें मौजूद आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण होता है। तो वहीं वयस्कों में जो नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस विकसित होने का कारण आनुवांशिकता नहीं है। इनमें इस बीमारी के होने का कारण दवाएं या इलेक्ट्रोलाइट असामान्यताएं होती है। वयस्कों में नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस के कारण इस प्रकार हो सकते हैं।
- लिथियम एक दवा है, जो आमतौर पर बायपोलर (bipolar) डिसआर्डर के लिए ली जाती है। लिथियम लेने वाले 20% लोगों तक नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस की बीमारी हो सकती है।
- कई अन्य दवाएं हैं, जिनमें डेमेक्लोसाइक्लिन (डेक्लामाइसिन), ओफ्लॉक्सासिन (फ्लोक्सिन), ऑर्लिस्टेट (अल्ली, जेनिकल) और अन्य शामिल हैं।
- रक्त में कैल्शियम का उच्च स्तर होना।
- रक्त में पोटेशियम का निम्न स्तर होना।
- किडनी की बीमारी, विशेष रूप से पॉलीसिस्टिक किडनी रोग का होना।
डायबिटीज इन्सिपिडस के दूसरे रूप को केंद्रीय डायबिटीज इन्सिपिडस के नाम से भी जाना जाता है। सेंटर डायबिटीज इन्सिपिडस में किडनी सामान्य रूप से कार्य करते हैं, लेकिन मस्तिष्क में पर्याप्त एडीएच का उत्पादन नहीं होता है। सेंट्रल डायबिटीज इन्सिपिडस में नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस जैसे लक्षण होते हैं। हालांकि, सेंट्रल डायबिटीज इन्सिपिडस का इलाज डेसमोप्रेसिन नामक दवा के साथ एडीएच द्वारा किया जा सकता है।
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नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस का निदान
जिन शिशुओं को यह रोग जन्म से ही मिला है, समय पर उनका इलाज न किए जाने पर उनके मस्तिष्क को नुकसान पहुंच सकता है। जिन लोगों को यह बीमारी आनुवंशिकता द्वारा नहीं मिली है, उन लोगों में किडनी की कार्य प्रणाली को ठीक करके नेफ्रोजेनिक मधुमेह इन्सिपिडस का इलाज किया जा सकता है। नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस का निदान इस प्रकार किया जा सकता है।
- रक्त परीक्षण
- मूत्र परीक्षण
प्रयोगशाला परीक्षण में आपके ब्लड में हाई सोडियम लेवल और मूत्र के पतला होने के वजह का पता लगाया जाता है।
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस का इलाज
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस का इलाज थोड़ा मुश्किल हो सकता है। क्योंकि आपका किडनी एडीएच को रिस्पांस नहीं देता है। इसलिए एडीएच इसमें अधिक मदद नहीं कर सकता है। किडनी, एडीएच को रिस्पांस करे इसका कोई बेहतर तरीका सामने नहीं आया है। वास्तव में इसके उपचार के विकल्प सीमित हैं। यदि इसके लिए लिथियम जैसी दवा जिम्मेदार है, तो दवाओं को बदलने से नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस में सुधार हो सकता है।
- नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस वाले ज्यादातर वयस्क पानी पीने से तरल पदार्थों के नुकसान से बचे रहते हैं। कुछ लोगों के लिए हर समय प्यास लगे रहना और पेशाब के लक्षण असहनीय हो सकते हैं। कुछ ऐसे उपचार हैं जो नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस के लक्षणों को कम कर सकते हैं। पूरी तरह से नहीं लेकिन कुछ हद तक यह कम कर सकते हैं।
- इबुप्रोफेन (मोट्रिन), इंडोमेथेसिन (इंडोसिन), और नेप्रोक्सन (नेप्रोसिन) जैसे नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लामेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) भी पेशाब को कम कर सकते हैं।
- डाइयुरेटिक्स वैसे तो पैराडॉक्सिकल हो सकती हैं, लेकिन हाइड्रोक्लोरोथियाजाइड और एमिलोराइड की तरह “वाटर पिल्स” नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस से अत्यधिक पेशाब को कम करने में मदद कर सकता है।
ऊपर दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इसलिए किसी भी दवा या सप्लिमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। हैलो स्वास्थ्य किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
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नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस के लिए कुछ टिप्स
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस का रोकथाम आप कुछ घरेलू उपाय द्वारा कर सकते हैं। नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस का उपचार करने के लिए आपको अपने आहार और दैनिक जीवन में कुछ परिवर्तन करने की जरूरत है, जो इस प्रकार हैं-
- इसका रोकथाम करने के लिए आपको कम नमक, कम प्रोटीन वाला आहार लेना चाहिए। जो मूत्र उत्पादन को कम कर सकता है।
- नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपचार में पानी का सेवन अच्छी मात्रा में करना शामिल है। तरल पदार्थ की कमी से डिहाइड्रेशन या इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है, जो कभी-कभी गंभीर रूप ले सकता है।
- यदि फल और मल्टीविटामिन जैसे पदार्थों का सेवन करने के बाद भी लक्षणों में सुधार नहीं होता है, तो आपको मेडिकल ट्रीटमेंट लेना चाहिए।
ऊपर दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इसलिए किसी भी दवा या सप्लिमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
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