जब नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस आनुवंशिक होता है, तो लक्षण आमतौर पर जन्म के तुरंत बाद ही शुरू हो जाता है। शिशु बोल नहीं सकते हैं, इसलिए अपने प्यास की बात बार-बार बता नहीं सकते हैं। जिसके चलते वो डिहाइड्रेट (Dehydrate) हो जाते हैं, इसी कारण से उनको उल्टी और दौरे के साथ बुखार भी आता रहता है। डिमेंशिया वाले वृद्ध लोगों में भी डिहाइड्रेशन होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि वे भी अपने अत्यधिक प्यास लगने के बारे में बता नहीं पाते हैं।
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस (Nephrogenic Diabetes Insipidus) के कारण क्या हैं?
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस शिशुओं में जन्म के समय उनमें मौजूद आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण होता है, तो वहीं वयस्कों में जो नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस विकसित होने का कारण आनुवांशिकता नहीं है। इनमें इस बीमारी के होने का कारण दवाएं या इलेक्ट्रोलाइट असामान्यताएं होती है। वयस्कों में नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस (Nephrogenic Diabetes Insipidus) के कारण इस प्रकार हो सकते हैं।
- लिथियम एक दवा है, जो आमतौर पर बायपोलर (Bipolar) डिसआर्डर के लिए ली जाती है। लिथियम लेने वाले 20% लोगों तक नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस की बीमारी हो सकती है।
- कई अन्य दवाएं हैं, जिनमें डेमेक्लोसाइक्लिन (डेक्लामाइसिन), ओफ्लॉक्सासिन (फ्लोक्सिन), ऑर्लिस्टेट (अल्ली, जेनिकल) और अन्य शामिल हैं।
- रक्त में कैल्शियम का उच्च स्तर होना।
- रक्त में पोटेशियम का निम्न स्तर होना।
- किडनी (Kidney) की बीमारी, विशेष रूप से पॉलीसिस्टिक किडनी रोग का होना।
डायबिटीज इन्सिपिडस (Diabetes Insipidus) के दूसरे रूप को केंद्रीय डायबिटीज इन्सिपिडस के नाम से भी जाना जाता है। सेंटर डायबिटीज इन्सिपिडस में किडनी सामान्य रूप से कार्य करते हैं, लेकिन मस्तिष्क में पर्याप्त एडीएच का उत्पादन नहीं होता है। सेंट्रल डायबिटीज इन्सिपिडस में नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस जैसे लक्षण होते हैं। हालांकि, सेंट्रल डायबिटीज इन्सिपिडस का इलाज डेसमोप्रेसिन नामक दवा के साथ एडीएच द्वारा किया जा सकता है।
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