स्यूडोफेकिया (Pseudophakia) शब्द लेटिन भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है फाॅल्स लेंस (False lens)। जब आंख में नैचुरल लेंस की जगह आर्टिफिशियल लैंस को इम्प्लांट किया जाता है तब इस टर्म का यूज किया जाता है। इस इम्प्लांटेड लेंस को इंट्राऑकुलर लेंस (IOL) या स्यूडोफेकिया आईओएल (Pseudophakia IOL) कहते हैं। मोतियाबिंद की सर्जरी के दौरान स्यूडोफेकिया आईओएल का यूज किया जाता है क्योंकि मोतियाबिंद की समस्या होने पर व्यक्ति को नैचुरल लेंस से धुंधला दिखाई देने लगता है। यह एक कॉमन कंडिशन है जिसका संबंध एजिंग से है। बता दें कि लेंस आंख का वह हिस्सा है जो प्रकाश और छवियों को केन्द्रित करता है जिससे व्यक्ति देखने में सक्षम बनता है। स्यूडोफेकिया आईओएल (Pseudophakia IOL) की जरूरत कब पड़ती है इसको कैसे इम्प्लांट किया जाता है और इसके साइड इफेक्ट्स क्या हो सकते हैं। ये सभी जानकारियां इस आर्टिकल में उपलब्ध हैं।
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स्यूडोफेकिया आईओएल (Pseudophakia IOL) की क्यों पड़ती है जरूरत?
किसी को भी स्यूडोफेकिया आईओएल की जरूरत तब पड़ती है जब कैटरेक्ट (cataract) को हटा दिया जाता है। कैटरेक्ट का मतलब लेंस धुंधुला होने से है। लेंस रेटिना पर लाइट को फोकस करने में मदद करता है। यह आंखों के पीछे लाइट सेंसेटिव टिशूज की एक लेयर होती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है। आंखों पर प्रोटीन की परत चढ़ने लगती है और विजन को धुंधला कर देती है। जितना मोतियाबिंद बढ़ता है दृष्टि उतनी ही धुंधली होती जाती है। बढ़ती उम्र के साथ यह परेशानी होना बेहद सामान्य है।
निम्न लक्षणों को देखकर यह समझा जा सकता है कि स्यूडोफेकिया आईओएल की जरूरत है। इसके संकेत मोतियाबिंद के लक्षणों के समान ही हैं।
- धुंधुला दिखाई देना
- कम रोशनी और रात में देखने में परेशानी होना
- कलर को पहचानने में परेशानी आना
- प्रभावित आंख में डबल विजन की शिकायत होना
- पास और दूर की चीजों पर फोकस करने में परेशानी होना
- पढ़ते वक्त एक्सट्रा लाइट की जरूरत महसूस होना
- लाइट के प्रति अत्यधिक सेंसटिव होना जिसमें सनलाइट, कार की हेडलाइट्स आदि शामिल है
- सामान्य से अधिक चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस को बदलना
आमतौर पर मोतियाबिंद जितना बड़ा होता है। लक्षण उतने ही गंभीर होते हैं। हालांकि मोतियाबिंद दर्दरहित होता है।
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इसका निदान कैसे किया जाता है? (How is this diagnosed?)
मरीज को स्यूडोफेकिया आईओएल की जरूरत को समझने के लिए डॉक्टर कुछ आई टेस्ट करते हैं। जिनकी मदद से डॉक्टर इसका पता लगाने में सफल होते हैं कि मरीज को स्यूडोफेकिक आईओएल (pseudophakic IOL) की जरूरत है या नहीं। डॉक्टर को नीचे बताए गए एक या दो विजन टेस्ट करने होते हैं।
विजुअल एक्यूटी टेस्ट (Visual acuity test) – इसमें आई चार्ट पर लिखे अक्षरों को पढ़ने के लिए कहा जाता है। इस टेस्ट के द्वारा विजन चेक किया जाता है।
स्लिट लैम्प एग्जाम (Slit-lamp exam)- डॉक्टर स्पेशल लाइटेड डिवाइस का उपयोग करके मरीज क आइरिश, लेंस और आई के स्ट्रक्चर में होने वाली प्रॉब्लम्स को देखता है।
रेटिनल एक्जाम (Retinal exam)- इसके लिए डॉक्टर पहले प्यूपिल्स को डायलेट करने के लिए ड्रॉप्स देते हैं। जिससे रेटिना को एग्जामिन करना आसान हो जाता है। इसके बाद डॉक्टर रेटिना और लेंस को एग्जामिन करने के लिए स्पेशल डिवाइस का यूज करते हैं। ताकि मातियाबिंद या दूसरी किसी बीमारी के बारे में पता लगाया जा सके।
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प्रक्रिया (Process of Pseudophakia IOL implantation)
मोतियाबिंद का प्रमुख इलाज सर्जरी है। सर्जरी से पहले डॉक्टर आंख के साइज और शेप के आधार पर सही लेंस का चुनाव करेगा। डॉक्टर प्यूपिल (Pupil) को डायलेट करने के लिए ड्रॉप्स डालेंगे। साथ ही आंख के आसपास के हिस्सो को साफ किया जाएगा। आंख को सुन्न करने के लिए कुछ दवाएं दी जाएंगी ताकि दर्द का एहसास ना हो।
डॉक्टर इन तकनीकों में से किसी एक के द्वारा आपके क्लाउडेड लेंस को हटा देंगे:
फेकोइमल्सीफिकेशन (Phacoemulsification)
इसमें डॉक्टर आपकी आंख के सामने एक छोटा सा कट लगाते हैं। एक प्रोब जो अल्ट्रासाउंड वेव्स को भेजती है को इंसर्ट किया जाता है और कैटरेक्ट को ब्रेक कर दिया जाता है। पुराने लेंस के टुकड़ों को फिर सक्शन किया जाता है।
लेजर (Laser)
डॉक्टर आंख में एक छोटा सा कट लगाने और मोतियाबिंद को हटाने के लिए लेजर का उपयोग करते हैं।
एक्स्ट्रेकैप्सूलर मोतियाबिंद चीरा (Extracapsular cataract incision)
डॉक्टर आंख के सामने एक बड़ा कट लगाते हैं और पूरे मोतियाबिंद को हटा देते हैं।
आपके पुराने लेंस के बाहर आने के बाद, आपका डॉक्टर नए लेंस को उस स्थान पर प्रत्यारोपित करेगा। इसके बाद एक पैच या शील्ड को आंखों के ऊपर लगाया जाता है जब तक यह पूरी तरह हील ना हो जाए। मरीज सर्जरी के बाद उसी दिन घर जा सकता है, लेकिन ड्राइव करने के लिए किसी की आवश्यकता होगी।
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स्यूडोफेकिया के कॉम्प्लिकेशन्स क्या हैं? (What are the complications for Pseudophakia and cataract surgery?)
स्यूडोफेकिया के संभावित साइड इफेक्ट्स में निम्न शामिल हैं।
- बहुत कम या बहुत ज्यादा विजन करेक्शन का होना
- लेंस का गलत पुजिशन में प्लेस हो जाना
- लेंस का अपनी जगह से खिसक जाना जिससे धुंधुला दिखाई देना
- फ्लूइड बिल्डअप और रेटिना में सूजन
मोतियाबिंद सर्जरी के बाद होने वाले रिस्क में निम्न शामिल हैं।
- इंफेक्शन
- ब्लीडिंग
- विजन लॉस
- डबल विजन
- आंख पर प्रेशर बढ़ना जो बाद में ग्लॉकोमा का कारण बनता है
- रेटिनल डिटैचमेंट
स्यूडोफेकिया आईओएल के साथ मोतियाबिंद सर्जरी लगभग 90 प्रतिशत लोगों की दृष्टि में सुधार कर सकती है। अधिकांश प्रत्यारोपित IOL मोनोफोकल हैं। वे केवल एक दूरी पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं – या तो करीब या फिर दूर। हालांकि, कुछ व्यक्तियों के लिए मल्टीफोकल लेंस भी उपलब्ध हैं। सर्जरी के बाद, आपको सबसे अधिक पढ़ने या ड्राइविंग के लिए चश्मा पहनने की आवश्यकता होती है, इस पर निर्भर करता है कि आपको किस प्रकार का IOL मिलता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और स्यूडोफेकिया से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।