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एड्स पीड़ित व्यक्ति की स्थिति बता सकता है CD 4 टेस्ट

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Suniti Tripathy द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/07/2020

    एड्स पीड़ित व्यक्ति की स्थिति बता सकता है CD 4 टेस्ट

    AIDS क्या है और एड्स पीड़ित मरीजों की CD 4 टेस्ट क्यों की जाती है?

    एक्वायर्ड इम्‍यूनो-डिफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (HIV) की वजह से होने वाली बीमारी है। वायरस की वजह पीड़ित व्यक्ति की इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ने लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि HIV वायरस इम्यून सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव डालना शुरू कर देता है। शरीर का इम्यून पॉवर जैसे ही कमजोर पड़ता है वैसे ही अलग-अलग तरह की बीमारी शुरू हो जाती है। CD 4 टेस्ट की मदद से पेशेंट की स्थिति समझी जा सकती है।

    CD 4 टेस्ट क्या है?

    जब कोई भी व्यक्ति एड्स का शिकार होता है तो ऐसी स्थिति में  CD 4 सेल्स (सीडी 4)  सेल्स की संख्या घट जाती है। सीडी 4 काउंट हमारे इम्यून सिस्टम की क्षमता को दर्शाता है। ऐसे में CD 4 टेस्ट की मदद ली जाती है। इस टेस्ट की मदद से पता लगाया जाता है कि एड्स पीड़ित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम किस हद तक खराब हो चुका है। क्योंकि ऐसा होने पर उसे मामूली से मामूली संक्रमण भी आसानी से घेरने लग जाते हैं। अगर जांच में मरीज की टीसेल्स में गिरावट दिखाई देती है, तो तत्काल इम्यून बूस्टर दिए जाते हैं। CD 4 टेस्ट शरीर में CD 4 सेल्स की जानकारी देने में सक्षम होता है। 

    CD 4 टेस्ट की जरूरत क्यों पड़ती है

    एड्स पीड़ित व्यक्ति का जब शुरुआती इलाज होता है तो डॉक्टर्स सबसे पहले इस CD 4 टेस्ट की मदद लेते हैं। इलाज में 2 से 8 हफ्तों के अंतराल पर ये टेस्ट किया जाता है। आगे के स्टेजेस में इस जांच को कई बार किया जाता है ताकि संक्रमण के बढ़ने की गति का अंदाजा लगाया जा सके। कई मामलों में देखा गया है कि इन कोशिकाओं की मात्रा सुबह के समय अधिक और शाम में कम होती है। न्यूमोनिया, इन्फ्लुएंजा और हर्पीस सिम्पलेक्स (Herpes Simplex Virus) वायरस का संक्रमण होने पर भी इनकी संख्या में गिरावट सकती है। इन्हीं सारी शारीरिक स्थिति को देखते हुए CD 4 टेस्ट की जाती है। 

    CD 4 टेस्ट के बारे में ये भी जान लें

    कई बार कैंसर थेरिपी के चलते भी इन सेल्स की संख्या कम हो जाती है। इसलिए हमेशा CD 4 सेल्स का कम होना एड्स का संकेत नहीं हो सकता है। कई बार कम सीडी 4 सेल्स वाले लोग भी ठीक होते हैं और उन्हें बहुत अधिक स्वास्थ्य समबन्धी परेशानियां नहीं होती हैं।

    यह भी पढ़ें :एचआईवी (HIV) को हटाने के लिए वैज्ञानिकों ने खोजा ‘किल स्विच’ (kill switch)

    CD 4 टेस्ट करवाने से पहले डॉक्टर से मिलकर इसके बारे में सारी जानकारी लें।

    CD 4 टेस्ट के पहले क्या होता है?

    इस टेस्ट के पहले पेशेंट को कोई खास तैयारी करने की जरूरत नहीं होती है। हालांकि सीडी 4 टेस्ट के पहले कुछ बातों को ध्यान रखना जरूरी है। जैसे –

    • अगर आप किसी दवा या सप्लीमेंट्स का सेवन करते हैं, तो इसकी जानकारी डॉक्टर को दें।
    • एंटी-रिजेक्शन जैसी दवाओं का सेवन करते हैं, तो इसकी जानकारी भी सीडी 4 टेस्ट एक्सपर्ट को दें।
    • रेडिएशन या कीमोथेरिपी ले चुके हैं या ले रहें हैं, तबभी इसकी जानकारी दें।

    इस टेस्ट के पहले या बाद में टेंशन न लें। अत्यधिक तनाव की वजह से भी CD 4 सेल्स की संख्या कम हो सकती है।

    CD 4 टेस्ट के दौरान क्या होता है ?

    • सबसे पहले एक हेल्थ प्रोफेशनल आपके हांथों के ऊपरी भाग में एक इलास्टिक बैंड लगा देते हैं, जिससे (नसें) फैल जाएं और सुई की मदद से ब्लड लेने में आसानी होती है
    • इसके बाद इंजेक्शन लगाने की जगह पर एल्कोहॉल लगाया जाता है।
    • इसके बाद इंजेक्शन की मदद से ब्लड निकाला जाता है
    • ट्यूब को इंजेक्शन से जोड़कर उसमें खून इक्कठा किया जाता है।
    • इसके बाद बैंड निकालकर कॉटन की मदद से नीडल साइट को दबा दिया जायेगा।
    • फिर नीडल साइट पर बैंडेज लगाकर उसे छोड़ दिया जाएगा।

    CD 4 टेस्ट से जुड़ी और किसी जानकारी के लिए अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें

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    Cd 4 टेस्ट के बाद क्या करें?

    डॉक्टर से मिलकर टेस्ट के परिणामों को समझने की कोशिश करें। अगर रिपोर्ट में टी सेल्स की संख्या 350 से कम होने पर डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करें।

    क्या CD 4 टेस्ट के साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं?

    हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार अगर किसी का व्यक्ति का CD 4 टेस्ट किया जा रहा है और अगर उस व्यक्ति का इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग है तब तो किसी तरह की परेशानी नहीं होने की संभावना है लेकिन, अगर व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर है तो निम्नलिखित परेशानी हो सकती है।

    • ब्लड टेस्ट के बाद ब्लीडिंग हो सकती है।
    • चक्कर आने की संभावना।
    • जिस जगह से ब्लड लिया गया हो वहां इंफेक्शन का खतरा होना।

    इन परेशानियों के साथ-साथ अन्य परेशानी हो सकती है।

    इस टेस्ट के साथ-साथ लाइफस्टाइल में बदलाव करें और कुछ घरेलू टिप्स अपनाएं। जैसे-

    • ताजी हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इनके सेवन से शरीर फिट रहता है और इम्यून सिस्टम भी सट्रॉन्ग होता है।
    • HIV इन्फेक्टेड पेशेंट को या अन्य लोगों को कच्चे मीट (मांस), अंडा जैसे खाद्य पदार्थों से दूरी बनाये रखना चाहिए। हमेशा ही अच्छे तरह से पके हुए मीट या अंडे का सेवन करना चाहिए।
    • किसी भी तरह के सप्लीमेंट्स का सेवन बिना डॉक्टर के सलाह अनुसार न करें।
    • एल्कोहॉल या सिगरेट का सेवन न करें।
    • एक दिन में 2 से 3 लीटर पानी पीएं। पानी के साथ-साथ तरल पदार्थों का सेवन किया जा सकता है।

    इन घरेलू टिप्स को फॉलो करें और ऊपर बताई गई जीवनशैली का पालन करें।

    AIDS से जुड़ी कुछ भ्रांतियां भी हैं, जो गलत हैं। जैसे-

    • AIDS पीड़ित व्यक्ति के साथ खाना खाने से सामान्य व्यक्ति भी AIDS से पीड़ित हो सकता है।
    • हाथ मिलाने से AIDS होना।
    • AIDS पीड़ित व्यक्ति का टॉयलेट प्रयोग नहीं करना चाहिए।

    ध्यान रखें HIV एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण की वजह से होता है। लेकिन, AIDS नहीं होता है। AIDS उसी महिला या पुरुष को होगा जिसे HIV पॉजिटिव है। HIV/AIDS जैसी बीमारी होने पर या इसके लक्षण नजर आने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। कोई भी बीमारी होने पर डरने या शर्माने की बजाए डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें।

    डॉक्टर द्वारा बताएं गए निर्देश का पालन करें और निम्नलिखित बातों को नजरअंदाज करें।

    • किसी की नकारात्मक बातों पर ध्यान न दें।
    • HIV पॉजिटिव व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध न बनाएं।
    • इंजेक्शन लेने के दौरान इस्तेमाल किया हुआ इंजेक्शन का इस्तेमाल न करें।
    • इस्तेमाल किये हुए ब्लेड (रेजर) का प्रयोग न करें।

    अगर आप Cd 4 टेस्ट से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

    डिस्क्लेमर

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