परिचय
लक्षण
दस्त का आयुर्वेदिक इलाज समझने से पहले दस्त के लक्षण क्या हैं?
- लूज मोशन होना
- बार-बार टॉयलेट जाना
- पेट में ऐंठन होना
- पेट दर्द होना
- कमजोरी महसूस होना
- उल्टी आना या जी मिचलाना
- बुखार आना
- दस्त की वजह से आंखों के नीचे काले घेरे होना (डार्क सर्कल)
कारण
दस्त या डायरिया के कारण क्या हैं?
- दूषित पानी या खाने का सेवन करना
- बासी खाद्य पदार्थों का सेवन करना
- अत्यधिक तेल मसाले में बना खाना खाना
- जंक फूड का सेवन करना
- आवश्यकता से ज्यादा पानी पीना
- मानसिक परेशानी होना
- कभी-कभी किसी डर के कारण भी दस्त की समस्या शुरू हो सकती है
- स्तनपान करने वाले शिशुओं में दस्त की परेशानी तब हो सकती है अगर मां तेल मसाले का सेवन ज्यादा करें
- शिशु जिस बोतल से दूध पीता है, उसका ठीक तरह से साफ न होना
- बच्चों का दूषित पानी का सेवन करना
- बच्चे को जंक फूड ज्यादा खिलाना
डायरिया की जांच
डायरिया का पता लगाने के लिए आपके डॉक्टर आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे और आपकी मेडिकल हिस्ट्री के अनुसार कारण का पता लगाएंगे। वह आप से लैब टेस्ट करवाने के लिए भी कह सकते हैं, जिसमें पेशाब (यूरिन) का टेस्ट और खून (ब्लड) का टेस्ट शामिल होता है।
इसके अलावा अन्य टेस्ट, जो आपके डॉक्टर आप से करवाने के लिए कह सकते हैं उनमें शामिल हैं –
फास्टिंग टेस्ट – इसकी मदद से डॉक्टर खाने के कारण होने वाली एलर्जी का पता लगाते हैं।
इमेजिंग टेस्ट – आंतों में सूजन और संरचनात्मक असमानताओं का पता लगाने के लिए।
स्टूल कल्चर – बैक्टीरिया, पैरासाइट या किसी अन्य रोग के संकेत के लिए।
कोलोंस्कॉपी – आंतों के रोग के लक्षणों का पता लगाने के लिए पूरे कोलन की जांच करना।
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इलाज
दस्त का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of diarrhea) क्या है?
दस्त का आयुर्वेदिक इलाज: बस्ती कर्म
दस्त का आयुर्वेदिक इलाज: विरेचन
दस्त का आयुर्वेदिक इलाज: निदान परिवाचन
दस्त का आयुर्वेदिक इलाज: शमन चिकित्षा
दस्त का आयुर्वेदिक इलाज: हरीतकी
दस्त का आयुर्वेदिक इलाज: सेब का सिरका
दस्त का आयुर्वेदिक इलाज: अदरक
दस्त का आयुर्वेदिक इलाज: जीरा
दस्त का आयुर्वेदिक इलाज: धनिया
अगर किसी व्यक्ति को दस्त ज्यादा हो रहा है या हुआ है, तो ऐसी स्थिति में मरीज को प्यास ज्यादा लगती है। आयुर्वेद में ऐसे वक्त में पानी और धनिये को एक साथ उबाल कर पानी की मात्रा को आधी की जाती है (एक लीटर पानी को आधा लीटर होने तक उबालना) और फिर इस पानी को छानकर ठंडा होने के बाद पेशेंट को पिलाया जाता है।
दस्त का आयुर्वेदिक इलाज: बेल
पके ओर अधपके बेल के गूदे और बेल के पौधे की जड़ से दस्त का इलाज किया जा सकता है। लंबे समय से दस्त होने पर बेल के सेवन की सलाह सबसे ज्यादा दी जाती है। बेल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, इसलिए यह संक्रामक दस्त पैदा करने वाले एन्टेरोटॉक्सिनस को हटाने में मदद करते हैं।
कुटज से करें डायरिया का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of diarrhea)
कुटज को डायरिया के उपचार के लिए बहुत ही उपयोगी जड़ी-बूटी माना जाता है। यह कई रूपों में उपलब्ध है, जैसे कि अर्श, चूर्ण और कुटज अवलेह। यह पेट में हो रहे दर्द को ठीक करता है और शरीर में बन रहे बैक्टीरिया को खत्म करके, बन रहे विष से हमें सुरक्षा प्रदान करता है।
डायरिया का आयुर्वेदिक इलाज है जायफल
जायफल के सूखे बीज का उपयोग दस्त के लिए किया जाता है, आमतौर पर इस जड़ी-बूटी का उपयोग चूर्ण, वाटी या काढ़े के रूप में किया जाता है। यह कई आयुर्वेदिक योगों में से एक घटक है, जो कि गैस्ट्रिक गतिशीलता को कम करने का काम करता है। इसके अलावा पानी से हो रहे मल को भी यह नियंत्रित करने में मदद करता है।
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सौंफ से करें दस्त का उपचार
सौंफ भी दस्त को ठीक करने में बहुत उपयोगी होती है। 1 छोटा चम्मच कच्ची सौंफ बिना भूनी हुई और 1 छोटा चम्मच पकी सौंफ दोनों को मिलाकर इसका चूर्ण बनाकर रोज खा सकते हैं। यह दस्त को सही करने का कारगार उपाय है।
दालचीनी है डायरिया का आयुर्वेदिक उपचार
दालचीनी में ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो पेट के वायरस को खत्म करने में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। यह पाचन तंत्र को सुचारु रूप से काम करने में मदद करता है और ऐसे एंजाइम को बाहर निकालता है, जो दस्त का कारण होते हैं। उबले हुए पानी में 1 चम्मच दालचीनी का पाउडर और थोड़ी-सी अदरक पीसकर उसका मिश्रण तैयार करें, फिर आधे घंटे रखने के बाद इसको आप दिन में दो या तीन बार पीएं।
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दस्त का आयुर्वेदिक नुस्खा है पुदीने की चाय
पुदीने की पत्तियां पेट से जुड़ी परेशानीयों के लिए बहुत लाभकारी होती हैं। इससे गैस, पेट में दर्द और दस्त जैसी बीमारियों का उपचार किया जा सकता है। पुदीने की पत्तियां गुनगुने पानी में भिगोकर कुछ समय के लिए रख दें और फिर डेली इस चाय को पीएं।
दस्त का आयुर्वेदिक इलाज: पुदीना, नींबू और शहद
घरेलू उपाय
अतिसार की परेशानी से बचने के लिए क्या हैं घरेलू उपाय?
- हाथ धोकर खाने की आदत डालें।
- दस्त की वजह से बॉडी डिहाइड्रेट होने लगती है। इसलिए डिहाइड्रेशन से बचना चाहिए। इसके लिया दो से तीन लीटर तक पानी का सेवन रोजाना करना लाभकारी माना जाता है।
- पानी उबालकर और छानकर पीएं।
- फाइबर युक्त आहार जैसे ओट्स, दाल या आलू का सेवन किया जा सकता है।
- जंक फूड से दूरी बनायें।
- तेल मसाले वाले खाने से परहेज करें।
- बासी खाना न खाएं।
- दस्त के दौरान एक्सरसाइज न करें।
- खली पेट या भूखे न रहें।
- खाना खाने के बाद वॉक करें।
इन ऊपर बताई गई बातों का ध्यान रखें लेकिन, परेशानी महसूस होने पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों से संपर्क करें।
अगर आप दस्त का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of diarrhea) या दस्त की परेशानी से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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