कॉमन शब्दों में एपिलेप्सी को मिर्गी के नाम से जाना जाता है। हर साल एक करोड़ लोग मिर्गी से प्रभावित होते हैं। बहुत सारे लोगों को लगता है मिर्गी सिर्फ एक तरह की होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। समाज में इसे लेकर होने वाले पक्षपाती व्यवहार के चलते लोग इस स्थिति को छुपा कर रखते हैं। इंटरनेशनल एपिलेप्सी डे के मौके पर जानते हैं मिर्गी के इलाज, कारण और इसे लेकर जागरुकता से कैसे एपिलेप्सी से पीड़ित शख्स की मदद की जा सकती है।
क्या होती है मिर्गी?
मिर्गी एक तरह का क्रोनिक डिसऑर्डर है। इस बीमारी में मरीजों को एक से ज्यादा कई प्रकार के दौरे (seizures) पड़ते हैं और साथ ही साथ न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के लक्षण भी होते हैं। ऐसा मस्तिष्क में गड़बड़ी के कारण होता है। इसमें व्यक्ति का दिमागी संतुलन बिगड़ जाता है। जिस वजह से उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है।
मिर्गी के लक्षण- गिर पड़ना, बेहोश हो जाना या हाथों, आंखों के आगे अंधेरा छा जाना, झटके आना, शरीर का अकड़ जाना, मुंह से झाग आना, आंखों की पुतलियों का ऊपर की तरफ खिंचना और होंठ या जीभ काट लेना।
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कितनी तरह की होती है मिर्गी?
सामान्यतौर पर मिर्गी को चार श्रेणी में बांटा गया है। जनरलाइज्ड एपिलेप्सी, एब्सेंस एपिलेप्सी, कॉम्प्लेक्स पार्शियल सीजर, पार्शियल एपिलेप्सी। जानते हैं इनके बारे में।
सामान्यीकृत दौरा (Generalized Epilepsy): यह सबसे कॉमन स्थिति में से एक है। इसमें मरीज के पूरे दिमाग में एक करंट दौड़ता है और वह बेहोश हो जाता है।
एब्सेंस दौरा (Absence Seizures): इसमें मरीज किसी तरह की कोई हरकत नहीं करता। वह सिर्फ चुपचाप बैठ जाता है। अचानक उसके हाथ या मुंह हिलने लगते हैं, लेकिन वह किसी से भी बात नहीं करता है।
कॉम्पलेक्स दौरा (Complex Partial Seizures): कॉम्पलेक्स दौरे के लक्षण भी काफी हद तक एब्सेंस सीजर की तरह ही होते हैं।
आंशिक दौरा (Partial Epilepsy): आंशिक दौरे की स्थिति में रोगी के दिमाग के कुछ हिस्सों में मिर्गी की गतिविधि होती है। इसमें शरीर के किसी एक हिस्से से करंट निकलकर दिमाग के उस हिस्से तक बना रहता है।
मिर्गी को लेकर समाज में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं, जिस वजह से लोग इस बीमारी के बारे में छुपाकर रखते हैं। उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं है। लोगों में इस रोग को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत है। मिर्गी के इलाज को लेकर लोगों में एक डर होता है लेकिन उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इसका ट्रीटमेंट मुंकिन है। मिर्गी के इलाज के लिए दवाओं का सहारा लिया जाता है। लगभग 30% मिर्गी के मामलों में दवा लेने के बावजूद कोई सुधार नजर नहीं आता। ऐसे में परेशान होने की जरूरत नहीं है। यानी किसी रोगी में दौरे बिल्कुल कंट्रोल नहीं हो पा रहे हैं तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर मिर्गी के इलाज के लिए सर्जरी रिकमेंड करते हैं। इसके लिए ब्रेन सर्जरी की जाती है। जिस तरह मिर्गी कई प्रकार की होती है ठीक उसी तरह अलग अलग मिर्गी के इलाज के लिए उसकी सर्जरी भी कई तरह की होती है, जो कि इस प्रकार हैं-
- रिसेक्टिव सर्जरी (Resective surgery)
- मल्टीपल सबपियल ट्रांसेक्शन (Multiple subpial transection)
- हेमिस्पेयरेक्टॉमी (Hemispherectomy)
- कॉर्पस कॉलोसोटॉमी (Corpus callosotomy)
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मिर्गी के इलाज के लिए रिसेक्टिव सर्जरी (resective surgery)
मिर्गी के इलाज के लिए यह सर्जरी सबसे आम है। यदि आपको मिर्गी है, तो आपका डॉक्टर यह जानने के लिए एमआरआई का उपयोग कर सकते हैं कि आपके मस्तिष्क में दौरे कहां आते हैं। लेजर सर्जरी का उपयोग करते हुए डॉक्टर शल्य चिकित्सा से आपके मस्तिष्क के उस हिस्से को हटा सकते हैं जिस जगह पर दौरे पड़ते हैं।
टेम्पोरल लोबेक्टोमी सबसे आम प्रकार की रेसेक्टिव सर्जरी है। यह मिर्गी के लिए सर्जरी का सबसे सफल रूप है। यह मस्तिष्क क्षति के जोखिम को कम करते हुए आपको होने वाले दौरे की संख्या को कम करती है।
मिर्गी के इलाज के लिए मल्टीपल सबपियल ट्रांसेक्शन (multiple subpial transection)
मल्टीपल सबपियल ट्रांसेक्शन एक दुर्लभ प्रक्रिया है। सर्जन केवल उन लोगों को यह सर्जरी रिकमेंड करते हैं जिन्हें गंभीर और लगातार दौरे होते हैं। इस प्रक्रिया में दौरे के प्रसार को रोकने के लिए मस्तिष्क के कुछ हिस्सों को काटा जाता है। यदि आपका सर्जन आपके मस्तिष्क के एक छोटे हिस्से को हटा नहीं सकता तब भी डॉक्टर आपको यह सर्जरी रिकमेंड कर सकता है।
मिर्गी के इलाज के लिए हेमिस्पेयरेक्टॉमी (hemispherectomy)
इस प्रक्रिया में सर्जन मस्तिष्क के पूरे हिस्से की बाहरी परत को हटा देता है। इस सर्जरी को तब किया जाता है जब आपके मस्तिष्क का एक पूरा हिस्सा दौरे पड़ने से क्षतिग्रस्त हो गया हो। आमतौर पर यह सर्जरी मस्तिष्क क्षति के साथ पैदा हुए बच्चे और गंभीर दौरे वाले बड़े बच्चों में की जाती है।
मिर्गी के इलाज के लिए कॉर्पस कॉलोसोटॉमी (corpus callosotomy)
कॉर्पस कॉलोसोटॉमी मिर्गी के लिए की जाने वाली दूसरी मस्तिष्क सर्जरी से अलग है क्योंकि यह दौरे को रोक नहीं सकती है। इस सर्जरी को करने का उद्देश्य दौरे की गंभीरता को कम करना है। इसमें सर्जन आपके मस्तिष्क के दोनों किनारों के बीच नर्व फाइबर्स को काटकर दौरे को एक गोलार्ध से दूसरे तक फैलने से रोकने में मदद कर सकते हैं। मस्तिष्क में दौरे के प्रसार को रोककर दौरे को कम गंभीर बनाने में मदद होगी।
कॉर्पस कॉलोसोटॉमी का उपयोग अक्सर उन बच्चों में किया जाता है, जो बुरे दौरे से गुजरते हैं, जो उनके मस्तिष्क के आधे हिस्से में शुरू होते हैं और दूसरे में फैल जाते हैं।
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ब्रेन सर्जरी कराने के क्या जोखिम हो सकते हैं?
मिर्गी के इलाज के लिए की गई ब्रेन सर्जरी आपके जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकती है, लेकिन इससे निम्नलिखित गंभीर जोखिम भी हो सकते हैं:
- संक्रमण (infection)
- स्ट्रोक (stroke)
- अधिक दौरे आना (more seizures)
- पक्षाघात (paralysis)
- बोलने में दिक्कत होना (speech problems)
- दिखाई कम देना (loss of vision)
अलग-अलग सर्जरी से विभिन्न जोखिम होने की संभावना होती है। एक गोलार्ध विचलन आपकी दृष्टि और गति को प्रभावित कर सकता है। मस्तिष्क से लोब (lobe) को हटाने से भाषण और स्मृति समस्याएं हो सकती हैं। कुछ लोग जो कॉरपस कॉलोसोटॉमी चुनते हैं वे सर्जरी के बाद अधिक दौरे का अनुभव करते हैं। इसलिए जरूरी है आप किसी भी सर्जरी को कराने से पहले अपने चिकित्सक के साथ उसके संभावित फायदों और जोखिमों की तुलना जरूर करें।