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Hypotension: हाइपोटेंशन (लो ब्लड प्रेशर) क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और इलाज

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/07/2021

Hypotension: हाइपोटेंशन (लो ब्लड प्रेशर) क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और इलाज

हाइपोटेंशन ( Hypotension) या लो ब्लड प्रेशर के बारे में जानकारी

हाइपोटेंशन यानी लो ब्लड प्रेशर उस स्थिति को कहते हैं, जब ब्लड प्रेशर अचानक से 90/60 mmHg से कम हो जाता है। हायपोटेंशन हार्ट कॉन्ट्रैक्शन की कमी के कारण ब्लड वॉल्यूम को कम कर देता है।

ब्लड प्रेशर रीडिंग को दो तरह से नंबर के रूप में मापा जाता है। ऊपर जाने वाली संख्या को सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहा जाता है और नीचे आने वाली संख्या को डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहा जाता है।

यदि आपकी ब्लड प्रेशर रीडिंग 90/60mmHg से कम है, तो आप लो ब्लड प्रेशर के शिकार हो सकते है्ं, जैसे कि :

  • 90 mmHg से कम सिस्टोलिक रक्तचाप,
  • 60 mmHg से कम डायस्टोलिक रक्तचाप,

हाइपोटेंशन किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है, विशेष रूप से बुजुर्गों के स्वास्थ पर। हालांकि, अधिक व्यायाम, ज्यादा समय तक खड़े रहना, अधिक बैठने या लेटने की वजह से भी आपका ब्लड प्रेशर कम हो सकता है। इसे पॉस्चुरल हाइपोटेंशन (postural hypotension) या ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन (orthostatic hypotension)कहा जाता है।

हाइपोटेंशन ( Hypotension) या लो ब्लड प्रेशर कितना सामान्य है?

लो ब्लड प्रेशर किसी को भी हो सकता है। आप इसके खतरे के कारणों को कम कर के इसके होने के खतरे को कम कर सकते हैं। अधिक और विस्तृत जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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हाइपोटेंशन (Hypotension) या लो ब्लड प्रेशर के लक्षण क्या हैं?

जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, हाइपोटेंशन के लक्षण देखने को मिलते हैं । कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं :

 हाइपोटेंशन वाले मरीजों में अक्सर कुछ गंभीर लक्षण देखे जाते हैं, जैसे कि सिंकोप, हायपो वॉल्यूम शॉक और पल्स का गिरना।

ऊपर हाइपोटेंशन के कई लक्षण नहीं बताए गए हैं । यदि आपको किसी लक्षण के बारे में कोई समस्या या चिंता है, तो कृपया अपने डॉक्टर से तुरंत परामर्श लें।

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लो ब्लड प्रेशर :मुझे अपने डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

ज्यादातर मामलों में, हाइपोटेंशन एक गंभीर समस्या नहीं है। बहुत से लोगों का रक्तचाप कम होता है लेकिन, वे स्वस्थ महसूस करते हैं। इसमें कभी-कभी आपको चक्कर आ सकता है लेकिन, यह तब तक कोई समस्या नहीं है जब तक ये आपके दैनिक जीवन में कोई बाधा न डाले। फिर भी, आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेने की जरूरत है, क्योंकि यह देखना महत्वपूर्ण है कि कहीं आपको हाइपोटेंशन के साथ कोई अन्य गंभीर स्वास्थ्य संबंधित समस्या तो नहीं है। यदि आपके पास निम्न में से कोई भी लक्षण हैं, तो अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

  • चक्कर आना,
  • पैल्पिटेशन (दिल की धड़कन तेजी से बढ़ना या अनियमित होना),
  • धुंधली नजर,
  • जी मचलाना,
  • गर्मी महसूस होना,
  • डायफोरेसिस (अत्यधिक पसीना होना)।
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    हाइपोटेंशन (Low Blood Pressure) का कारण?

    हाइपोटेंशन होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ कारण निम्नलिखित हैं, जैसे कि—

    आपकी आर्टरी में पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं है। यह तब हो सकता है जब आपके शरीर में रक्त कम हो जाता है या आप डिहाइड्रेटेड(dehydrated) होते हैं। आप इस वजह से डीहाइड्रेटेड हो सकते हैं :

    • यदि आप पर्याप्त पानी नहीं पीते हैं,
    • आपको गंभीर दस्त या उल्टी हो रही हो,
    • आपको अधिक पसीना आता है (उदाहरण के लिए, व्यायाम के दौरान),
    • आपका हृदय सही तरीके से पंप नहीं करता है,
    • आपके शरीर की नसें और हार्मोन जो ब्लड वेसल्स को नियंत्रित करती हैं, वो ठीक से काम न कर रही हों।

    गर्भावस्था के दौरान, हार्मोनल समस्याएं जैसे कि अंडरएक्टिव थायरॉइड (हायपोथायरॉयडिज्म) , मधुमेह या लो ब्लड शुगर (हायपोग्लाइसीमिया), हीट स्ट्रोक, उच्च रक्तचाप, अवसाद या पार्किंसंस रोग के लिए बताई गई कुछ दवाओं के सेवन से कुछ रोगियों में, हाइपोटेंशन की समस्या से अन्य परेशानियां भी हो सकती हैं, जैसे कि—

    • मधुमेह की समस्या,
    • पार्किंसंस रोग,
    • दिल का दौरा,
    • ब्लड वेसल्स का चौड़ा होना,
    • लिवर की बीमारी,
    • जो लोग स्वस्थ हैं, उन्हें भी यह समस्या हो सकती है। बूढ़े लोगों में हाइपोटेंशन होने की संभावना युवा लोगों की तुलना में अधिक होती है।
    • गर्भवती महिलाओं में भी लो ब्लड प्रेशर आम है।

    कुछ मामलों में, ब्लड प्रेशर अचानक गिर सकता है। इन मामलों के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:

    • ज्यादा खून बहने से खून की कमी,
    • शरीर का तापमान कम होना,
    • शरीर का तापमान उच्च होना,
    • दिल की बीमारी,
    • सेप्सिस (sepsis), एक गंभीर रक्त संक्रमण,
    • उल्टी, दस्त या बुखार से गंभीर डिहाइड्रेशन,
    • दवाओं का रिएक्शन से,
    • दवाओं  के अधिक सेवन से,
    • एक गंभीर एलर्जीक रिएक्शन, जिसे एनाफिलेक्सिस(anaphylaxis) कहते है

    जानिए हाइपोटेंशन के प्रकार के बारे में

    लो बीपी के विभिन्न प्रकार होते हैं। व्यक्ति को विभिन्न परिस्थिति में बीपी लो की समस्या हो सकती है। जानिए लो बीपी कितने प्रकार के होते हैं।

    पॉस्चुरल हाइपोटेंशन (Low blood pressure on standing up)

    जिन व्यक्तियों को लो बीपी की समस्या होती है, उन्हें अलग-अलग समय पर लो बीपी का एहसास हो सकता है। जिन व्यक्तियों को बैठने या फिर लेटने के बाद उठने पर लो बीपी का एहसास होता है, उसे पोस्टरॉल हाइपोटेंशन ( postural hypotension) कहते हैं। ऐसा अक्सर सो कर उठने के बाद भी हो सकता है। इस अवस्था में अचानक से ब्लड प्रेशर में कमी आ जाती है।

    जब कोई व्यक्ति खड़ा होता है तो ग्रेविटी की वजह से खून जम जाता है। ऐसे में हार्ट बीट बढ़ जाती है और ब्लड वैसल्स कॉन्सट्रेक्शन से पर्याप्त मात्रा में ब्लड मस्तिष्क में पहुंच जाता है। लेकिन जिन लोगों में पोस्टरॉल हाइपोटेंशन का समस्या होती है उनमे कम्पनसेटिंग मैकेनिज्म फेल हो जाती है और ब्लड प्रेशर अचानक से कम हो जाता है। इस कारण से ब्लर्ड विजन, बेहोशी और चक्कर का एहसास होता है। पोस्टरॉल हाइपोटेंशन कई कारणों से जैसे कि प्रेग्नेंसी में, डिहाइड्रेशन के कारण, हार्ट प्रॉब्लम आदि में हो सकता है। कुछ मेडिकेशन भी पोस्टरॉल हाइपोटेंशन का कारण बन सकता है।

    पोस्टप्रेडियल हाइपोटेंशन –  Low blood pressure after eating (postprandial hypotension)

    पोस्टप्रेडियल हाइपोटेंशन की समस्या तब होती है जब व्यक्ति खाना खाता है। ऐसे पेशेंट में खाने के बाद लो बीपी की समस्या हो जाती है। ऐसा खाने के करीब एक से दो घंटे के बाद होता है। पोस्टप्रेडियल हाइपोटेंशन की समस्या अक्सर अधिक उम्र के लोगों में होती है। खाने के बाद ब्लड फ्लो डायजेस्टिव ट्रेक की ओर जाता है। ऐसा होने पर बॉडी हार्ट रेट बढ़ा देती है और साथ ही ब्लड वैसल्स को संकुचित करती है ताकि ब्लड प्रेशर नॉर्मल रहे। लेकिन जिन लोगों में ये प्रोसेस फेल हो जाती है, उन्हें लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है। ऐसे में चक्कर का एहसास, बेहोशी या थकावट का एहसास हो सकता है।बेहतर होगा कि ऐसे पेशेंट कम मात्रा में समय अंतराल के बाद खाएं। साथ ही अधिक मात्रा में पानी भी पिएं।

    न्यूरली मेडिएटेड हाइपरटेंशन – Low blood pressure from faulty brain signals (neurally mediated hypotension)

    कई बार लंबे समय तक खडे रहने से भी लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है। ऐसा किसी भी उम्र के व्यक्ति के साथ हो सकता है। आपको जानकार हैरानी होगी कि ऐसा बच्चों के साथ भी हो सकता है। जब हार्ट और ब्रेन के बीच सही से संपर्क नहीं हो पाता है तो ऐसे हालत बन सकते हैं। इसे न्यूरली मेडिएटेड हाइपरटेंशन भी कहते हैं।

    ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन – Low blood pressure due to nervous system damage (multiple system atrophy with orthostatic hypotension)

    इस प्रकार की समस्या को शाई-ड्रेगर सिंड्रोम (Shy-Drager syndrome) भी कहा जाता है, इस दुर्लभ विकार में कई लक्षण पार्किंसंस रोग जैसे दिखते हैं। इस कारण से ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम डैमेज हो सकता है। ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के साथ ही हार्ट रेट, ब्रीथिंग और डायजेशन की प्रोसेस में भी अहम भूमिका निभाता है।

    उपरोक्त कारणों के अलावा भी लो ब्लड प्रेशर के अन्य कारण भी हो सकते हैं। आप लो ब्लड प्रेशर के खतरे के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।

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    इन चीजों से बढ़ सकता है हाइपोटेंशन का खतरा

    कम और उच्च रक्तचाप दोनों का खतरा उम्र के साथ बढ़ता है। 65 वर्ष से अधिक आयु के 10% से 20% लोगों में हाइपोटेंशन की समस्या पायी गयी है।कुछ दवाएं भी आप में हाइपोटेंशन होने के खतरे को बढ़ा सकती हैं,जैसे कि डाययरेटिक्स (diuretics), नाइट्रेट्स (nitrates) और वैसोडिलेटर्स । आप हाइपोटेंशन के खतरे के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।

    • इन सबके साथ ही मेडिकेशन जैसे कि वॉटर पिल्स (diuretics)जैसे कि फ्यूरोसेमाइड -लासिक्स (furosemide) और हाइड्रोक्लोरोथियाजाइड (hydrochlorothiazide) आदि।
    • अल्फा ब्लॉकर्स जैसे कि प्राजोसिन ( prazosin),
    • बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers) जैसे कि एटेनोलोल (atenolol) और प्रोप्रानोलोल ( propranolol )
    • पार्किंसंस रोग के लिए ड्रग्स, जैसे प्रैमिपेक्सोल (pramipexole)-मिरेपेक्स (Mirapex)
    • कुछ प्रकार के एंटीडिपेंटेंट्स (antidepressants ), डॉक्सपिन (doxepin), इमीप्रामाइन ( imipramine) आदि शामिल हैं।
    • इसमे हार्ट से संबंधित दवाएं भी शामिल है। यानी उपरोक्त मेडिकेशन लेने पर भी लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।

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    खतरे के अन्य कारण यह हैं:

    उल्टी, दस्त, फ्लूइड रेस्ट्रिक्शन या बुखार का पुराना इतिहास, कंजेस्टिव हार्ट फेलियर, डायबिटीज, मैलिग्नेंसी, एल्कोहॉलिज्म का मेडिकल इतिहास, पार्किंसनिज्म और न्यूरोपैथी। इन कारणों से भी लो ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ सकता है। आप लो ब्लड प्रेशर के खतरे के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।

    उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। आप अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

    कैसे पता लगाएं ?

    हाइपोटेंशन ( Hypotension) या लो ब्लड प्रेशर का परीक्षण कैसे किया जाता है ?

    कुछ परीक्षण द्वारा आपके डॉक्टर को यह पता लगाने में मदद मिल सकती हैं कि आपको हाइपोटेंशन के लक्षण हैं या नहीं। सबसे आम परीक्षण यह है कि आप बैठे या लेटे हुए और फिर खड़े होने के बाद अपना ब्लड प्रेशर और पल्स चेक करें। इसके अलावा, ब्लड टेस्ट भी एक तरीका हैं:

  • इससे यह आसानी से पता चल जाएगा कि कहीं आपको एनीमिया की समस्या तो नहीं है, जिसकी वजह से आपके शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं कम हो गयी हों।
  • ब्लड टेस्ट से आपके खून का रासायनिक संतुलन सही है या नहीं, यह भी पता चलता है।
  • ब्लड टेस्ट यह भी सुनिश्चित करता है कि आपका दिल सही तरीके से पंप कर रहा है या नहीं।
  •  कैसे करें ​हाइपोटेंशन का उपचार ?

    सबसे पहले डॉक्टर हाइपोटेंशन होने के कारण के पीछे किसी दवा का सेवन तो नहीं है, इस बात का पता लगाते हैं। यदि हां, तो वह आपको दूसरी दवा दे सकते हैं या आपके दवा के खुराक को कम कर सकते हैं। यदि आपको हाइपोटेंशन के लक्षण हैं, तो सबसे उपयुक्त उपचार हायपोटेंशन के होने कारण पर निर्भर करता है।

    आपकी आयु, स्वास्थ्य स्थिति और लो ब्लड प्रेशर के प्रकार के आधार पर, आपके इलाज के कई तरीके हो सकते हैं। जैसे कि :

    • अपने आहार में नमक की मात्रा बढ़ाएं। पहले से ही अपने डॉक्टर से नामक की मात्रा के बारे में परामर्श लें, क्योंकि अधिक मात्रा में सोडियम हार्ट फेल होने का कारण बन सकता है, विशेष रूप से बुजुर्गों में।
    • इसके अलावा, ज्यादा पानी पिएं। इससे ब्लड वॉल्यूम बढ़ेगा और डिहाइड्रेशन से लड़ने में आपको मदद मिलेगी। आप रोजाना तय कर लें कि आपको दिन में किस समय पर पानी का सेवन करना है। ऐसा करने से आप पानी सही मात्रा में लेंगे।
    • जब आप ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन से निकल जाएं, तब कई दवाओं के उपयोग से लो ब्लड प्रेशर का इलाज किया जा सकता है।
    • चाय या फिर कॉफी का सेवन अधिक मात्रा करने से शरीर को नुकसान पहुंचता है। जिन लोगों को लो ब्लड प्रेशर की समस्या है वो दिन में अगर एक बार कॉफी का सेवन करते हैं तो उनके लिए ये बेहतर रहेगा। कॉफी का सेवन लो ब्लड प्रेशर में राहत दे सकता है। लेकिन कैफीन की अधिक मात्रा के सेवन से बचना चाहिए। अगर आपको कॉफी पसंद नहीं है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप नमक को पानी में मिलाकर भी पी सकते हैं। स्वाद के अनुसार थोड़ा नींबू भी मिला सकते हैं। ऐसा करने से लो बीपी वाले पेशेंट को राहत पहुंचती है।

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    जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार

    हाइपोटेंशन ( Hypotension) या लो ब्लड प्रेशर से बचाव के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव

    निम्नलिखित जीवनशैली और घरेलू उपचार आपको हाइपोटेंशन से लड़ने में मदद कर सकते हैं लेकिन, इन उपायों को अपनाने से पहले केवल अपने डॉक्टर ये परामर्श जरूर करें,

    • सोकर उठने के बाद धीरे-धीरे खड़े हों और अपने शरीर को सामान्य होने का समय दें। उठ कर बैठे और थोड़ी देर रुक जाएं। फिर अपने पैरों को बिस्तर के किनारे पर हिलाएं और थोड़ी देर प्रतीक्षा करें। जब आप खड़े हो जाते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपके पास कुछ ऐसा हो, जिसे आप चक्कर आने पर पकड़ सकते हैं।
    • गर्म मौसम में दौड़ने, लंबी पैदल यात्रा या कुछ भी ऐसा करने से बचें जिससे आपको एनर्जी कम होती है। ये चीजें ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन को और भी बदतर बना सकती हैं।
    • सुनिश्चित करें कि आप लिक्विड की सही मात्रा ले रहे हों, खासतौर पर गर्मी के मौसम में।

      आप स्टॉकिंग्स पहने जो आपकी कमर तक आते हैं। कम्प्रेशन स्टाकिंग लो ब्लड प्रेशर को ठीक करने में बहुत सहायक होते हैं।

    •  शराब का सेवन न करें

    उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको लो ब्लड प्रेशर के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। साथ ही डॉक्टर की सलाह भी मानें। डॉक्टर आपको खाने में कुछ परहेज की सलाह भी देंगे। बेहतर होगा कि आप खानपान में बैलेंस बनाएं और लाइस्टाइल में भी सुधार करें। यदि आपके पास अभी भी कोई प्रश्न हैं, तो बेहतर समाधान के लिए कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श लें। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। साथ ही हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज आप कमेंट कर प्रश्न पूछ सकते हैं।

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