परिभाषा
क्या है जलना?
घर में लगने वाली सबसे आम चोटों में से एक है जलना (बर्न)। शरीर के किसी भी हिस्से के जलने पर दर्द बहुत अधिक होता है। जल जाने पर प्रभावित हिस्से की त्वचा कोशिकाएं मर जाती है यह त्वचा को गंभीर क्षति पहुंचाता है।
जलने का कारण और उसकी डिग्री के आधार पर अधिकांश लोग स्वास्थ्य को बिना अधिक नुकसान पहुंचाए जलने के जख्म से ठीक हो जाते हैं। लेकिन जलन यदि अधिक हो तो इमरजेंसी मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, वरना पीड़ित को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं या उसकी मौत भी हो सकती है।
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कारण
जलने के कारण क्या हैं?
आपकी त्वचा के जलने के कई कारण हो सकते हैं। इसमें शामिल हैः
- आग
- गरम तरल पदार्थ या भाप
- अधिक देर तक सूर्य के संपर्क में रहना
- केमिकल के संपर्क में आना
- बिजली का करंट
- एक्स रे से निकलने वाला रेडिएशन आदि
जलने के ये कारण बर्न का लेवल निर्धारित नहीं करते हैं, जैसे गरम तेल से कोई इंसान थोड़ा सा भी जल सकता है और अधिक भी। बिजली के करंट या केमिकल से जलने पर तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट की जरुरत होती है, क्योंकि यह त्वचा को सिर्फ बाहरी ही नहीं, अंदरुनी चोट भी पहुंचाते हैं।
चरण
जलने के चरण क्या हैं?
दर्द और जलने के स्तर के आधार पर बर्न तीन तरह के होते हैं- फर्स्ट, सेकंड और थर्ड डिग्री। प्रत्येक डिग्री त्वचा को पहुंचे नुकसान की गंभीरता पर आधारित है। फर्स्ट डिग्री में त्वचा को सबसे कम क्षति पहुंचती है और थर्ड डिग्री में सबसे अधिक।
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फर्स्ट डिग्री बर्न
फर्स्ट डिग्री बर्न त्वचा को बहुत कम नुकसान पहुंचाता है। इसे ‘सुपरफेशियल बर्न्स’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह त्वचा की बाहरी परत को ही प्रभावित करता है। फर्स्ट डिग्री बर्न के लक्षण हैः
- त्वचा का लाल होना
- थोड़ी जलन और सूजन
- दर्द
- जली हुई स्किन जब ठीक होती है तो पपड़ीनुमा त्वचा निकलती है।
चूकिं इसमें सिर्फ त्वचा की बाहरी परत ही प्रभावित होत है, इसलिए इसके लक्षण स्किन सेल्स के हटते ही गायब हो जाते हैं। फर्स्ट डिग्री बर्न आमतौर पर 7-10 दिनों में ठीक हो जाते हैं और त्वचा पर किसी तरह का निशान नहीं पड़ता है।
यदि त्वचा का बड़ा हिस्सा जल गया है या चेहरे या जॉइंट जल गए हैं डॉक्टर को दिखाएं। यदि इन हिस्सों में जलन है तो डॉक्टर को दिखाने की आवश्यका हैः
- घुटना
- टखना
- पैर
- रीढ की हड्डी
- कंधा
- कोहनी
- बांह का निचला हिस्सा
फर्स्ट डिग्री बर्न का उपचार आमतौर पर घर पर ही किया जाता है। उपचार के तरीकों में शामिल हैं:
- जले हुए हिस्से को 5 मिनट तक ठंडे पानी में रखें।
- दर्द से राहत के लिए एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन लें।
- जलन कम करने के लिए एलोवेरा जेल या क्रीम के साथ लिडोकाइन (एक एनेस्थेटिक) लगाएं।
जलने वाली जगह पर कभी भी बर्फ न लगाएं इससे स्थिति और खराब हो सकती है और न ही उस जगह पर रुई लगाएं क्योंकि रूई के छोटे-छोटे रेशे चोट से चिपकर संक्रमण पैदा कर सकते हैं।
सेकंड डिग्री बर्न
यह फर्स्ट डिग्री बर्न से अधिक गंभीर होते हैं, क्योंकि इसमें सिर्फ त्वचा की ऊपरी परत ही नहीं, बल्कि अंदर तक इंजरी होती है। इसमें जलने वाली जगह बहुत अधिक लाल हो जाती है और स्किन पर छाले पड़ जाते हैं।
कुछ छालों के मुंह खुल जाते है जिससे पानी जैसा तरल पदार्थ निकलता है। समय के साथ, घाव के ऊपर फाइब्रिनस एक्सुडेट नामक मोटा, मुलायम, पपड़ीनुमा जैसा ऊतक विकसित हो सकता है। चूकि ऐसे जख्म बहुत संवेदनशील होते हैं, इसलिए जख्म वाले हिस्से को साफ और बैंडेज से बांधकर रखें ताकि किसी तरह का इंफेक्शन न हो। इससे घाव जल्दी ठीक होते हैं। कुछ सेकंड डिग्री बर्न को ठीक होने में लंबा समय लगता है। कुछ मामलों में जली हुई त्वचा को ठीक करने के लिए स्किन ग्राफ्टिंग की जरूरत पड़ती है यानी शरीर के दूसरे हिस्से कि स्किन निकालकर जले हुए हिस्से पर लगाई जाती है।
सेकंड डिग्री बर्न यदि बहुत ज्यादा नहीं है तो उसके इलाज में शामिल हैः
- जले हुए हिस्से को 15 मिनट तक नल के पानी के नीचे रखें।
- दर्द कम करने के लिए पेन किलर ले सकते हैं
- छाले पर एंटीबायोटिक क्रीम अप्लाई करें।
हालांकि यदि शरीर के कुछ खास हिस्से ज्यादा जल गए हैं तो तुरंत इमरजेंसी हेल्प लें। जैसे-
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थर्ड डिग्री बर्न
फोर्थ डिग्री बर्न को छोड़ दिया जाए तो थर्ड डिग्री बर्न सबसे गंभीर होता है और इससे सबसे त्वचा की हर परत को बहुत अधिक क्षति होती है। ये एक गलत धारणा है कि थर्ड डिग्री बर्न में सबसे ज्यादा दर्द होता है, जबकि सच तो यह है कि इस तरह के बर्न में नर्व (तंत्रिका) को इतनी अधिक क्षति पहुंचती है कि दर्द महसूस ही नहीं हो पाता।
जलने के कारणों के आधार पर थर्ड डिग्री बर्न के निम्न लक्षण हो सकते हैः
वैक्स जैसा और सफेद रंग
त्वचा का गहरा भूरा रंग
स्किन उठी हुई और चमड़े की तरह दिखती है
फफोले जो विकसित नहीं होते हैं
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सर्जरी के बिना, ये घाव गंभीर निशान और सिकुड़न के साथ ठीक हो जाते हैं। थर्ड-डिग्री बर्न को ठीक होने में कितना समय लगता है इसका कोई समय निर्धारित नहीं है। गंभीर रूप से चलने पर कभी भी खुद से इलाज की कोशिश न करें।
बचाव
जलने की क्या जटिलताएं हैं?
फर्स्ट और सेकंड डिग्री बर्न की तुलना में थर्ड डिग्री बर्न में संक्रमण, खून की हानि और शॉक जैसे जोखिम बहुत अधिक होता है जिसकी वजह से पीड़ित की मृत्यु भी हो सकती है। इसके साथ ही संक्रमण का बी खतरा बहुत अधिक रहता है क्योंकि बैक्टीरिया जली हुई त्वचा के माध्यम से अंदर प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे बर्न में टेटनेट एक अन्य जटिलता है। सेप्सिस की तरह टेटनेस भी बैक्टीरियल इंफेक्शन है। यह तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) को प्रभावित करता है, जिससे मांसपेशियों के संकुचन के साथ समस्या होती है। बेहतर होगा कि परिवार के हर सदस्य को 10 साल में एक बार टिटनेस का इंजेक्शन लगवाएं इससे इसके संक्रमण से बचाव संभव है।
जलने से बचाव
जलने से बचने के लिए घर में, किचन में काम करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है और यदि छोटे बच्चे हैं तो सुनिश्चित करें कि वह आग और अन्य बिजली के उपकरण से दूर रहें।
उपचार
जलने का इलाज क्या है?
- जलन से त्वचा को हुई क्षति को ठीक करने के लिए इनकी जरूरत पड़ सकती हैः
- सर्जरी
- फिजिकल थेरेपी
- रिहैब्लिटेशन
- आजीवन सहायक देखभाल
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