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तेजाब से जलने पर फर्स्ट एड कैसे करें?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/05/2021

    तेजाब से जलने पर फर्स्ट एड कैसे करें?

    आग से जलने पर तो लोग कई इलाज करते हैं, लेकिन क्या कभी सोचा है कि तेजाब से जलने पर (Acid burn) फर्स्ट एड कैसे किया जाता है? एक बात समझनी होगी कि आग से जलना और तेजाब से जलने में अंतर होता है। तेजाब एक तरह का केमिकल होता है। जिससे जलने पर त्वचा की कई सारी सतहें जल जाती हैं। इस आर्टिकल में हम यह जानेंगे कि तेजाब से जलना क्या है और तेजाब से जलने पर प्राथमिक इलाज क्या हैं? यानी कि तेजाब से जलने पर तुरंत क्या किया जाना चाहिए।

    एसिड एक प्रकार का केमिकल होता है और यह त्वचा के लिए हानिकारक होता है। त्वचा एसिड के संपर्क में आते ही जल जाती है। एसिड बर्न को केमिकल बर्न या कॉस्टिक बर्न भी कहते हैं। एसिड आंतरिक अंगों को भी जला देता है। अगर गलती से कभी एसिड मुंह में चला जाता है तो पूरे पाचन तंत्र को जला सकता है। 

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    एसिड से जलने के क्या कारण हैं?

    तेजाब से जलने के कई कारण हैं, लेकिन भारत में एसिड से जलने के सबसे ज्यादा मामले एसिड अटैक के कारण सामने आते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से लेकर 2019 के बीच एसिड अटैक के 1,483 के मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें लोग किसी भी बात का बदला लेने के लिए किसी के ऊपर भी एसिड फेंक देते हैं। इसके अलावा भी अन्य कई कारण हैं, जिससे तेजाब से जलने जैसी घटना हो जाती है :

  • कार की बैट्री बदलते वक्त एसिड गिर जाना
  • कमेस्ट्री लैब में एक्सपेरिमेंट करते समय
  • केमिकल की कंपनी में काम करते वक्त
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    तेजाब से जलने पर क्या लक्षण सामने आते हैं?

    एसिड से जलने पर कई लक्षण सामने आते हैं। 

    अगर किसी ने तेजाब को निगल लिया है तो उसे निम्न समस्याएं हो सकती हैं :

    तेजाब से जलने पर (Acid burn) फर्स्ट एड कैसे करें?

    तेजाब से जलने पर (Acid burn) हमारे पास बहुत ज्यादा वक्त नहीं होता है। अगर हम तेजाब से जलने के इलाज में देरी करते हैं तो त्वचा के अलावा अंदरूनी मांसपेशी और अंगों के जलने की संभावना उतनी ही ज्यादा बढ़ जाती है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति तेजाब से जल गया है तो उसे सबसे पहले तेजाब से जलने पर फर्स्ट एड करना चाहिए। 

    • चेहरे के अलावा अगर शरीर के उस अंग पर तेजाब गिर गया हो जो कपड़ों से ढंका है तो सबसे पहले वहां से कपड़े या कोई भी आभूषण हो उसे निकाल दें, लेकिन कपड़े या आभूषण निकालते समय इस बात का ध्यान दें कि तेजाब शरीर में और ज्यादा न फैलने पाएं। इसके लिए आपको काफी ध्यान से पीड़ित के कपड़ों को उतारना होगा। कोशिश करें कि कपड़े को काटकर निकालें। अगर आप कपड़े को ऊपर की तरफ से निकालेंगे तो तेजाब के छींटों के कारण त्वचा के और जलने के चांसेस बढ़ जाएंगे।
    • कपड़े हटाने के बाद तेजाब से जले हुए स्थान पर लगातार ठंडा पानी डालते रहें ताकि तेजाब शरीर से साफ होता जाए और त्वचा के अंदरूनी हिस्से को ज्यादा नुकसान न पहुंचाए, लेकिन पानी डालते समय एक बात का ध्यान दें कि जले हुए स्थान को रगड़े नहीं। अगर पानी न मिले तो दूध भी एसिड से जले हुए स्थान पर डाल सकते हैं। दूध को जले हुए स्थान पर तब तक डालते रहें, जब तक दूध का फटना बंद न हो जाएं। लगभग 45 मिनट तक पानी या दूध जले हुए स्थान पर डालते रहें।
    • इसी दौरान एम्बुलेंस को फोन करें और पीड़ित को हॉस्पिटल भेजें।

    तेजाब से जलने के बाद हॉस्पिटल में कैसे इलाज होता है?

    वाराणसी स्थित श्री शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. अरविंद सिंह ने बताया कि, ‘एसिड से जला हुआ व्यक्ति जब हॉस्पिटल लाया जाता है तो उसका फर्स्ट ए़ड ना के बराबर हुआ रहता है। ऐसा इसलिए होता है कि लोगों को एसिड से जलने पर फर्स्ट एड की जानकारी नहीं होती है। ऐसे में उसकी त्वचा अंदर तक जल चुकी होती है। पीड़ित के जले हुए भाग पर हॉस्पिटल में सबसे पहले कोरोसिव सब्सटेंस यानी की संक्षारक द्रव को पानी के साथ मिलाकर डाला जाता है। इससे त्वचा से एसिड के अंश निकल जाते हैं।’

    डॉ. अरविंद सिंह बताते हैं कि इसके बाद डॉक्टर एसिड से जली हुई जगह पर दवा लगाकर पट्टी करते हैं। साथ ही पीड़ित को टेटनेस का इंजेक्शन भी दिया जाता है। एसिड से जलने के कारण पीड़ित को बहुत दर्द होता है, इसलिए उसे पेनकिलर भी दिया जाता है। जब एसिड की चोट भरने लगती है तो इसके बाद जरूरत पड़ने पर प्लास्टिक सर्जरी भी की जाती है।

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    तेजाब निगलने पर क्या करें?

    डॉ. अरविंद सिंह कहते हैं कि अगर कभी कोई गलती से तेजाब निगल ले तो उसे तुरंत तेजाब थूंकने के लिए कहें। तेजाब निगलने पर दांत गलने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है। इसके अलावा व्यक्ति का मुंह और गला भी जल जाता है। ऐसे में लोगों को लगता है कि पीड़ित को पानी या दूध पिलाने से उसे राहत मिलेगी तो ऐसा गलत है। बिना डॉक्टर के बताएं कुछ नहीं करें। हां, आप इतना जरूर कर सकते हैं कि उसके मुंह को पानी से कुल्ला कराएं। ताकि मुंह में जो भी तेजाब के अंश हैं वो निकल जाए। फिर डॉक्टर के पास पहुंचकर इलाज कराएं। 

    एसिड अटैक ने बदल दी जिंदगी

    वाराणसी में एक एसिड अटैक पीड़ितों का एक कैफे है, जिसका नाम ‘दि ऑरेंज कैफे’। ‘दि ऑरेंज कैफे’ में काम करने वाली सन्नो सोनकर (एसिड अटैक विक्टिम) से हैलो स्वास्थ्य ने बात की। सन्नो बताती है कि, ‘उनके घर में जमीनी विवाद को लेकर उनके रिश्तेदार ने उन पर एसिड अटैक कराया था। जब उन पर एसिड अटैक हुआ तो उनके सिर से लेकर चेहरे और पूरे शरीर पर एसिड के छींटें गए थे। जिससे वह जमीन पर गिरकर तड़पने लगी थीं। इसके बाद लोगों ने एम्बुलेंस को फोन किया और प्राथमिक इलाज के रूप में उनके शरीर में जले हुए हिस्सों पर पानी डालना शुरू किया।’ 

    जब सन्नो हॉस्पिटल पहुंचीं तो उन्हें लगभग एक घंटे तक पानी से नहलाया गया। इसके बाद जब जलन थोड़ी कम हुई तो डॉक्टर ने दवा लगाई। साथ ही उन्हें दर्द कम करने के लिए पेनकिलर दिए गए। इस घटना के एक महीने बाद सन्नो के चेहरे, सिर और हाथों की प्लास्टिक सर्जरी हुई। इसके बाद सन्नो ने हेयर ट्रांसप्लांट भी कराया। क्योंकि सिर जहां जला था, वहां पर बालों का विकास नहीं हो पाया। सन्नों आज एक सामान्य जिंदगी जी रही हैं। उन्होंने हैलो स्वास्थ्य से कहा कि एसिड अटैक के बाद शुरू में तो मैं बहुत डर गई थी, लेकिन अब मेरा खोया हुआ आत्मविश्वास लौट आया है मैं खुद को ज्यादा आत्मविश्वासी महसूस करती हूं। ऐसा लगता है कि अब मैं किसी भी मुसीबत का सामना कर सकती हूं।’ 

    डिस्क्लेमर

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