- चेहरे के अलावा अगर शरीर के उस अंग पर तेजाब गिर गया हो जो कपड़ों से ढंका है तो सबसे पहले वहां से कपड़े या कोई भी आभूषण हो उसे निकाल दें, लेकिन कपड़े या आभूषण निकालते समय इस बात का ध्यान दें कि तेजाब शरीर में और ज्यादा न फैलने पाएं। इसके लिए आपको काफी ध्यान से पीड़ित के कपड़ों को उतारना होगा। कोशिश करें कि कपड़े को काटकर निकालें। अगर आप कपड़े को ऊपर की तरफ से निकालेंगे तो तेजाब के छींटों के कारण त्वचा के और जलने के चांसेस बढ़ जाएंगे।
- कपड़े हटाने के बाद तेजाब से जले हुए स्थान पर लगातार ठंडा पानी डालते रहें ताकि तेजाब शरीर से साफ होता जाए और त्वचा के अंदरूनी हिस्से को ज्यादा नुकसान न पहुंचाए, लेकिन पानी डालते समय एक बात का ध्यान दें कि जले हुए स्थान को रगड़े नहीं। अगर पानी न मिले तो दूध भी एसिड से जले हुए स्थान पर डाल सकते हैं। दूध को जले हुए स्थान पर तब तक डालते रहें, जब तक दूध का फटना बंद न हो जाएं। लगभग 45 मिनट तक पानी या दूध जले हुए स्थान पर डालते रहें।
- इसी दौरान एम्बुलेंस को फोन करें और पीड़ित को हॉस्पिटल भेजें।
तेजाब से जलने के बाद हॉस्पिटल में कैसे इलाज होता है?
वाराणसी स्थित श्री शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. अरविंद सिंह ने बताया कि, ”एसिड से जला हुआ व्यक्ति जब हॉस्पिटल लाया जाता है तो उसका फर्स्ट ए़ड ना के बराबर हुआ रहता है। ऐसा इसलिए होता है कि लोगों को एसिड से जलने पर फर्स्ट एड की जानकारी नहीं होती है। ऐसे में उसकी त्वचा अंदर तक जल चुकी होती है। पीड़ित के जले हुए भाग पर हॉस्पिटल में सबसे पहले कोरोसिव सब्सटेंस यानी की संक्षारक द्रव को पानी के साथ मिलाकर डाला जाता है। इससे त्वचा से एसिड के अंश निकल जाते हैं।”
डॉ. अरविंद सिंह बताते हैं कि इसके बाद डॉक्टर एसिड से जली हुई जगह पर दवा लगाकर पट्टी करते हैं। साथ ही पीड़ित को टेटनेस का इंजेक्शन भी दिया जाता है। एसिड से जलने के कारण पीड़ित को बहुत दर्द होता है, इसलिए उसे पेनकिलर भी दिया जाता है। जब एसिड की चोट भरने लगती है तो इसके बाद जरूरत पड़ने पर प्लास्टिक सर्जरी भी की जाती है।
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तेजाब निगलने पर क्या करें?
डॉ. अरविंद सिंह कहते हैं कि अगर कभी कोई गलती से तेजाब निगल ले तो उसे तुरंत तेजाब थूंकने के लिए कहें। तेजाब निगलने पर दांत गलने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है। इसके अलावा व्यक्ति का मुंह और गला भी जल जाता है। ऐसे में लोगों को लगता है कि पीड़ित को पानी या दूध पिलाने से उसे राहत मिलेगी तो ऐसा गलत है। बिना डॉक्टर के बताएं कुछ नहीं करें। हां, आप इतना जरूर कर सकते हैं कि उसके मुंह को पानी से कुल्ला कराएं। ताकि मुंह में जो भी तेजाब के अंश हैं वो निकल जाए। फिर डॉक्टर के पास पहुंचकर इलाज कराएं।
एसिड अटैक ने बदल दी जिंदगी
वाराणसी में एक एसिड अटैक पीड़ितों का एक कैफे है, जिसका नाम ‘दि ऑरेंज कैफे’। ‘दि ऑरेंज कैफे’ में काम करने वाली सन्नो सोनकर (एसिड अटैक विक्टिम) से हैलो स्वास्थ्य ने बात की। सन्नो बताती है कि, ‘उनके घर में जमीनी विवाद को लेकर उनके रिश्तेदार ने उन पर एसिड अटैक कराया था। जब उन पर एसिड अटैक हुआ तो उनके सिर से लेकर चेहरे और पूरे शरीर पर एसिड के छींटें गए थे। जिससे वह जमीन पर गिरकर तड़पने लगी थीं। इसके बाद लोगों ने एम्बुलेंस को फोन किया और प्राथमिक इलाज के रूप में उनके शरीर में जले हुए हिस्सों पर पानी डालना शुरू किया।’
जब सन्नो हॉस्पिटल पहुंचीं तो उन्हें लगभग एक घंटे तक पानी से नहलाया गया। इसके बाद जब जलन थोड़ी कम हुई तो डॉक्टर ने दवा लगाई। साथ ही उन्हें दर्द कम करने के लिए पेनकिलर दिए गए। इस घटना के एक महीने बाद सन्नो के चेहरे, सिर और हाथों की प्लास्टिक सर्जरी हुई। इसके बाद सन्नो ने हेयर ट्रांसप्लांट भी कराया। क्योंकि सिर जहां जला था, वहां पर बालों का विकास नहीं हो पाया। सन्नों आज एक सामान्य जिंदगी जी रही हैं। उन्होंने हैलो स्वास्थ्य से कहा कि एसिड अटैक के बाद शुरू में तो मैं बहुत डर गई थी, लेकिन अब मेरा खोया हुआ आत्मविश्वास लौट आया है मैं खुद को ज्यादा आत्मविश्वासी महसूस करती हूं। ऐसा लगता है कि अब मैं किसी भी मुसीबत का सामना कर सकती हूं।’