परिचय
मॉर्टन न्यूरोमा क्या है?
मॉर्टन न्यूरोमा एक दर्दनाक स्थिति है जो आपके पैर की बॉल को प्रभावित करती है। पैर की बॉल यानी तलवों का निचला हिस्सा। जो गद्दीदार होता है। आमतौर पर पैर की तीसरी और चौथी अंगुलियों के बीच का क्षेत्र मॉर्टन न्यूरोमा से प्रभावित होता है। मॉर्टन न्यूरोमा होने पर ऐसा महसूस होता है जैसे कि आपके जूते में कंकड़ हो और वो तलवों पर लगातार चुभ रहा हो। ऐसा भी लग सकता है कि आपके मोजे मुड़ गए हों जिससे तलवों में तकलीफ हो रही है।
मॉर्टन न्यूरोमा में आपके पैर की उंगलियों की नसों के आसपास के ऊतक मोटे या बड़े हो जाते हैं। जिससे तलवों में जलन महसूस होने लगती है। आपके पैर की अंगुलियां सुन्न भी हो सकती हैं। मॉर्टन न्यूरोमा का अभी असली कारण नहीं पता चल पाया है। ऊंची एड़ी के जूते पहनने से मॉर्टन न्यूरोमा विकसित हो जाता है। कई लोग ऊंची एड़ी के जूते छोड़ कम एड़ी के जूते पहनते हैं तो उन्हें राहत महसूस होती है। कभी-कभी इसके इलाज के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन या सर्जरी की आवश्यकता होती है।
मॉर्टन न्यूरोमा एक तरह का सौम्य ट्यूमर होता है। यह कोई गंभीर ट्यूमर की तरह नहीं होता है। यह पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा देखा जाता है।
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कारण
मॉर्टन न्यूरोमा के लक्षण क्या है?
- मॉर्टन न्यूरोमा के मरीजों को पैरों में सुन्नता और दर्द का अनुभव होता है। जूते उतार देने और पैर की मालिश करने से राहत मिल सकती है।
- मॉर्टन न्यूरोमा में पैर के तलवे की किसी नस के आसपास के ऊतक मोटे हो जाते हैं। जिससे तेज जलन के साथ दर्द होता है।
- मॉर्टन न्यूरोमा में कुछ बाहरी लक्षण भी होते हैं। जैसे कि पैर में एक गांठ महसूस होना। मॉर्टन न्यूरोमा के लक्षण आमतौर पर निश्चित नहीं होते हैं। समय के साथ ये और गंभीर होते जाते हैं।
- इसमें पैर का वजन बढ़ जाता है जिसके कारण दर्द होता है। यह दर्द पैर की दो अंगुलियों के बीच में होता है। चलने के कुछ समय बाद ही इस दर्द को महसूस किया जा सकता है।
- कभी-कभी बहुत तेज दर्द नहीं होता बल्कि एक हल्का दर्द लगातार बना रहता है। आमतौर पर यह दर्द तीसरे और चौथे पैर की अंगुलियों के बीच होता है। एक मरीज को चलने के दौरान अचानक दर्द का अनुभव होगा और जूते उतार देने पर दर्द चला जाएगा।
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मॉर्टन न्यूरोमा के कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं:
- पैरों में लालिमा और दर्द के साथ सुइयों की तरह चुभन महसूस होगी।
- ऐसा चलते समय होगा।
- पैर की अंगुलियां सुन्न हो जाएंगी।
- पैरों में झुनझुनी, चुभन महसूस होगी।
- तलवों में लगातार सेंसेशन होता रहेगा जिससे आप असहज हो सकते हैं।
- जब व्यक्ति तंग या ऊंची एड़ी के जूते पहनता है उसे बहुत अधिक दर्द होता है। इसके अलावा पैरों पर दबाव पड़ने पर भी ऐसा होता है। लक्षण लगातार और कई दिनों तक बने रहते हैं।
- कभी-कभी लक्षण इतने गंभीर हो जाते हैं कि व्यक्ति को चलने ही नहीं बल्कि जमीन पर पैर रखने में भी बहुत दिक्कत होती है। कुछ मामले ऐसे भी देखे गए हैं जिसमें कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। एमआरआई स्कैन करने पर मॉर्टन न्यूरोमा के घावों को देखा जा सकता है लेकिन इसके लक्षण नहीं दिखते।
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मॉर्टन न्यूरोमा के कारण क्या हैं?
- मॉर्टन न्यूरोमा अक्सर उन जूतों के कारण होता है जो बहुत तंग होते हैं या जिनकी एड़ी ऊंची होती है। ये जूते आपके पैरों की नसों को संकुचित कर सकते हैं। जिससे नसें मोटी हो जाती हैं। धीरे-धीरे उस पर दबाव पड़ता है और दर्दनाक स्थिति पैदा होती है।
- ऊंची एड़ी के जूते मॉर्टन न्यूरोमा जैसी बीमारी पैदा करते हैं क्योंकि ये जूते पैरों के तलवों पर ज्यादा दबाव डालते हैं।
- कुछ खेल या व्यायाम भी मॉर्टन न्यूरोमा का कारण बन सकते हैं। जो एथलीट जॉगिंग या दौड़ते हैं उनके पैरों में कई तरह के घाव हो जाते हैं। तंग जूते पहनकर दौड़ने से समस्या गंभीर होती जाती है। इसके अलावा स्नो स्कीइंग या रॉक क्लाइम्बिंग करने वाले लोगों को भी मॉर्टन न्यूरोमा हो सकता है।
- कभी-कभी पैरों का गलत आकार भी मॉर्टन न्यूरोमा का कारण बनता है। जिनको बनियन, हैमर टोज या फ्लैट पैर होता है उन्हें ये समस्या हो सकती है।
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परीक्षण
मॉर्टन न्यूरोमा का परीक्षण कैसे होता है?
एक डॉक्टर आपसे मॉर्टन न्यूरोमा के लक्षण और दर्द की स्थिति के बारे में जानने की कोशिश करेगा। डॉक्टर मरीज से यह भी पूछेंगे कि वे किस प्रकार के जूते पहनते हैं। साथ ही उनकी नौकरी, जीवन शैली और आदतों के बारे में भी जानेंगे।
डॉक्टर पैर की जांच करेंगे और प्रभावित नस का पता लगाने की कोशिश करेंगे। पैर को हर तरफ से दबाकर लक्षणों को दोबारा पैदा करेंगे। जिससे सही स्थिति का पता लगाया जा सके। डॉक्टर पैर की अंगुलियों के बीच दबाकर यह पता लगाएगा कि मॉर्टन न्यूरोमा कितना गंभीर है।
इसके अलावा पैर के अंदर की स्थिति को जानने के लिए डॉक्टर कुछ स्कैन भी कर सकते हैं। ये स्कैन कुछ इस प्रकार होंगे:
एक्स-रे – एक्स-रे से पता चल जाएगा कि पैर में कोई अन्य चोट या फैक्चर तो नहीं है। इससे तुरंत इलाज हो सकेगा।
अल्ट्रासाउंड स्कैन – अल्ट्रासाउंड स्कैन अन्य स्कैन से सस्ते होते हैं, कोई विकिरण की आवश्यकता नहीं होती है, और मॉर्टन के न्यूरोमा को एमआरआई के समान सटीकता के साथ पहचान सकते हैं। यह मोर्टन के न्यूरोमा को अन्य समान स्थितियों से अलग करने में भी मदद कर सकता है, जैसे कि सिनोवाइटिस।
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अल्ट्रासाउंड स्कैन – अल्ट्रासाउंड स्कैन अन्य स्कैन से सस्ते होते हैं, एमआरआई के जरिए मॉर्टन न्यूरोमा को सटीकता के साथ पहचाना जा सकता है। साथ ही यह भी पता चल जाता है कि मॉर्टन न्यूरोमा के अलावा साइनोवाइटिस जैसी समस्या तो नहीं है।
एमआरआई – यह एक अधिक महंगा इमेजिंग परीक्षण है जो कि कोई लक्षण नहीं होने पर भी मॉर्टन न्यूरोमा का पता लगा सकता है। डॉक्टर को कैप्सुलाइटिस, बर्साइटिस या फ्रीबर्ग की बीमारी सहित कई अन्य बीमारियों के लक्षण भी पता चल जाते हैं।
इलाज
मॉर्टन न्यूरोमा का इलाज क्या है?
- आर्क सपोर्ट और फुट पैड को आपके जूते के अंदर फिट कर दिया जाता है जिससे नसों पर कम दबाव पड़ता है। डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बाद आप इसे अपने जूतों में लगवा सकते हैं।
- मॉर्टन न्यूरोमा का इलाज सर्जरी के अलावा अन्य प्रक्रियाओं जैसे व्यायाम आदि से भी किया जा सकता है।
- इंजेक्शन- कुछ लोगों को दर्द वाले स्थान पर स्टेरॉयड के इंजेक्शन दिए जाते हैं। जिससे मदद मिलती है।
- सर्जरी- कुछ मामलों में, सर्जन आस-पास की संरचनाओं को काटकर नसों पर पड़ने वाले दबाव को कम कर देता है।
- नस को हटाना- अगर अन्य इलाज से आराम नहीं मिल रहा है तो डॉक्टर सर्जरी द्वारा नस को हटा सकते हैं। हालांकि सर्जरी आमतौर पर सफल होती है।
- इसके अलावा आप पैरों के कुछ व्यायाम करके भी मॉर्टन न्यूरोमा से छुटकारा पा सकते हैं।
। बेहतर जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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