एक अमेरिकी दवा कंपनी का दावा है कि उन्होंने ऐसी थैरेपी विकसित की है, जो अल्जाइमर रोग को धीमा कर सकती है और कंपनी इसे बाजार में लाने के लिए तैयार है। वर्तमान में ऐसी कोई दवाई नहीं हैं, जो ऐसा कर सकती है। बाजार में मौजूद दवाएं केवल इसके लक्षणों में मदद कर सकती हैं। अल्जाइमर की नई दवा को विकसित करने वाली कंपनी बायोजेन(Biogen) का कहना है कि वे जल्दी ही इस दवा के लिए अमेरिका में नियामक मंजूरी की अर्जी डालेंगे। अल्जाइमर की नई दवा को एडुकैनुमैब (Aducanumab) का नाम दिया गया है। दरअसल अल्जाइमर की स्थिति होने पर व्यक्ति याद रखने में सक्षम नहीं हो पाता है।
कंपनी 2020 की शुरुआत में इसके लिए कागजी कार्रवाई पूरी करने की योजना बना रही है। साथ ही यूरोपीय बाजार में भी अल्जाइमर की नई दवा को उतारने की तैयारी है। अल्जाइमर की नई दवा को अप्रूवल मिलने में एक से दो साल का समय लग सकता है। अप्रुवल मिलने के बाद कंपनी का उद्देश्य शुरू में अल्जाइमर की नई दवा को क्लीनिकल स्टडीज में पहले से एनरोल्ड मरीजों को देने का है।
वहीं कंपनी द्वारा अल्जाइमर की नई दवा को विकसित करने के दावे की घोषणा करना कुछ आश्चर्यजनक भी है क्योंकि कंपनी ने कई निराशाजनक परिणामों के बाद मार्च 2019 में इस दवा पर काम बंद कर दिया था। लेकिन, कंपनी का कहना है कि इस अध्ययन के एक बड़े डेटाबेस के एक नए विश्लेषण से पता चला है कि एडुकैनुमैब (Aducanumab) की हायर डोसेज से शुरुआती अल्जाइमर से पीड़ित लोगों को काफी लाभ पहुंच सकता है। साथ ही यह रोगियों में बीमारी के बढ़ते असर को धीमा कर सकता है और याददाशत को बरकरार रखने में मदद कर सकता है और उनकी रोजमर्रा के जीवन में सुधार ला सकता है।
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अल्जाइमर की नई दवा रोगियों के लिए बड़ी आशा
एडुकैनुमैब (Aducanumab) एमीलॉयड (amyloid) नाम के एक प्रोटीन को टारगेट करता है, जो असामान्य रूप से अल्जाइमर के रोगियों के दिमाग में जमा होता जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये मस्तिष्क की कोशिकाओं के लिए विषैले होते हैं और उन्हें साफ करने के लिए दवाओं का उपयोग करना डिमेंशिया के उपचार में बड़ी कामयाबी होगी। पिछले एक दशक से डिमेंशिया के लिए कोई नई दवा विकसित नहीं हुई है। बायोजेन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी माइकल वाउनाटोस ने अल्जाइमर की नई दवा को लेकर कहा कि हम अल्जाइमर रोग के प्रभाव को धीमा करने के लिए रोगियों को पहली थैरेपी देने के लिए आशान्वित हैं।
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अल्जाइमर पर अन्य अध्ययनकर्ताओं की राय
अल्जाइमर रिसर्च यूके में हिलेरी इवांस ने कहा कि अल्जाइमर से प्रभावित लोगों को जीवन बदलने वाली अल्जाइमर की नई दवा के लिए लंबे समय से इंतजार था और यह घोषणा उन्हें नई आशा देती है। साथ ही इसका और अधिक डेटा सामने आने पर उम्मीद है कि अल्जाइमर के रोगियों को जरूरी उपचार देने के लिए अगले कदमों के बारे में वैश्विक चर्चाओं को बढ़ावा मिलेगा।
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में यूके डिमेंशिया रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो बार्ट डी स्ट्रॉपर ने कहा कि एडुकैनुमैब (Aducanumab) के ट्रायल्स में सामने आए नए सकारात्मक परिणामों के बारे में पता लगना राहत देने वाला है। वर्तमान में अल्जाइमर की प्रगति को धीमा करने या रोकने के लिए हमारे पास कोई प्रभावी उपचार नहीं है। मुझे उम्मीद है कि यह एक रिसर्च महत्वपूर्ण मोड़ लेगी। अल्जाइमर की नई दवा लोगों के लिए आशा की किरण लेकर आएगी।
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आखिर क्या होता है अल्जाइमर में
बढ़ती उम्र में अल्जाइमर, एक बड़ी समस्या बन कर सामने आता है। बढ़ती उम्र में अल्जाइमर की स्थिति में मस्तिष्क के टिश्यू पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके लक्षण भी तुरंत नजर नहीं आते हैं। इस बीमारी में मस्तिष्क की कोशिकाएं डी-जेनरेट हो कर नष्ट हो जाती हैं और इसी कारण याददाश्त धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है। उम्र ज्यादा होने के साथ-साथ जेनेटिकल, तनाव, डिप्रेशन, हाई ब्लड प्रेशर या सिर में चोट लगने की वजह अल्जाइमर का कारण बनता है।
अल्जाइमर के कारण
वैज्ञानिकों का मानना है कि ज्यादातर लोगों में अल्जाइमर रोग आनुवांशिक, जीवनशैली और पर्यावरणीय कारणों की वजह से होता है। जो समय के साथ मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। हालांकि अल्जाइमर के कारणों के बारे में अभी तक पूरी तरह से पता नहीं लगाया जा सका है लेकिन, मस्तिष्क पर इसका प्रभाव स्पष्ट है। अल्जाइमर रोग मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर उन्हें नष्ट कर देता है। एक स्वस्थ मस्तिष्क की तुलना में अल्जाइमर रोग से प्रभावित मस्तिष्क में बहुत कम कोशिकाएं होती हैं और जीवित कोशिकाओं के बीच बहुत कम मेल होता है।
मेमोरी
कभी-कभार हर किसी की मेमोरी लैप्स होती है लेकिन, अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्ति का मेमोरी लॉस सामान्य नहीं है। यह धीरे-धीरे और भी बिगड़ जाती है। जिससे घर और ऑफिस में आपकी कार्य-क्षमता प्रभावित होती है। अल्जाइमर से ग्रसित लोगों में ये लक्षण हो सकते हैं-
- बार-बार बात और प्रश्न दोहराना और यह एहसास न होना कि उन्होंने पहले भी प्रश्न पूछा है।
- बातचीत, अपॉइंटमेंट या ईवेंट भूल जाना और बाद में याद न आना।
- चीजों को खो देना और वापस ढूंढने में असमर्थ होना।
- अपनी ही जगह को न पहचानना।
- परिवार के सदस्यों और रोजमर्रा की वस्तुओं के नाम भूल जाना।
- वस्तुओं को पहचानने, विचार व्यक्त करने या बातचीत करने में सही शब्द खोजने में परेशानी होना।
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सोच और तर्क
- अल्जाइमर रोग के कारण ध्यान केंद्रित करने और सोचने में कठिनाई होती है।
- एक साथ कई काम करने में कठिनाई
- समय पर बिलों का भुगतान न करना, चेक-बुक को बैलेंस रखना आदि कार्य चुनौती पूर्ण हो सकते हैं।
- संख्याओं को पहचानने में कठिनाई।
अल्जाइमर होने पर क्या करना चाहिए ?
यदि आपको लगता है कि आपके किसी प्रियजन को बढ़ती उम्र में अल्जाइमर या उससे जुड़ी परेशानी है, तो सबसे बेहतर होगा कि डॉक्टर से बात करें। वह आपको बता सकते हैं कि इन लक्षणों का क्या मतलब है और उनके उपचार के लिए आपके पास क्या विकल्प हैं। बढ़ती उम्र में अल्जाइमर के लिए डॉक्टर आपको सही सलाद देता है। कई बार डॉक्टर अल्जाइमर के लिए थेरेपी देने की बात करते हैं लेकिन इसका इलाज हर किसी के लिए अलग-अलग है। बढ़ती उम्र में अल्जाइमर होन पर परेशान होने से बेहतर है कि परिवार से व्यक्ति को सहानूभुति मिले ताकि अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्ति खुद को अकेला ना समझें।
डिमेंशिया क्या है?
अल्जाइमर रोग डिमेंशिया (मनोभ्रंश) का सबसे आम कारण है। इसमें धीरे-धीरे इंसान की याददाशत कम होने लगती है। हालांकि, डिमेंशिया कोई एक बीमारी नहीं है। बल्कि, यह याददाशत और सोचने की शक्ति से जुड़ी कई समस्याओं के समूह की एक अवस्था है। डिमेंशिया के कई अलग-अलग प्रकार हैं और इस पर सबसे अधिक शोध होता रहा है।
भारत में अल्जाइमर
मौजूदा समय में भारत में लगभग 40 लाख लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं। इस बीमारी के लिए नई दवाओं को खोजने के लिए एक लंबा समय लगा है और इस कोशिश में कई प्रयास विफल भी रहे हैं। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि एक उपचार विकसित किया जा चुका है। लेकिन, वे सतर्क हैं और इन एडुकैनुमैब (Aducanumab) के परीक्षण परिणामों की बारीकी से जांच करने की जरूरत होगी।
भारत में भी अल्जाइमर एक बड़ी समस्या बन कर उभर रहा है। ऐसे में अल्जाइमर की नई दवा विकसित होना भारत में इस बीमारी को झेल रहे लोगों के लिए आशा की किरण साबित होती है।
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