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अब एक ही टेस्ट से चल जाएगा कई तरह के कैंसर का पता

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 20/07/2020

अब एक ही टेस्ट से चल जाएगा कई तरह के कैंसर का पता

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के डाना-फार्बर कैंसर मेडिकल इंस्टिट्यूट ने एक नया ब्लड टेस्ट विकसित किया है। इस ब्लड टेस्ट से अलग-अलग तरह के कैंसर का पता चल पाएगा। इस ब्लड टेस्ट की सटीकता काफी अच्छी है। यह टेस्ट GRAIL (Detecting Cancer Early, When It Can Be Cured) ने विकसित किया है। इससे शुरुआती चरण में कैंसर का पता लगाना संभव होगा, जिससे सरवाइवल की संभावना बढ़ेगी।

इस टेस्ट का ट्रायल (ESMO: European Society for Medical Oncology) यूरोपियन सोसायटी फोर मेडिकल ऑन्कोलॉजी (ईएसएमओ) 2019 कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया। इस टेस्ट में नेकस्ट जनरेशन की सीक्वेंसिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। यह डीएनए में बारीक कैमिकल्स टैग्स (मिथायलेशन) की जांच करता है, जिससे यह प्रभावित होता है कि जीन एक्टिव हैं या इनएक्टिव।

इस टेस्ट को करीब 3,600 ब्लड सैंपल्स पर आजमाया गया। ब्लड सैंपल देने वाले कुछ लोग कैंसर के मरीज थे तो कुछ मरीजों का कैंसर का उपचार नहीं किया गया था। इस टेस्ट ने कैंसर के मरीजों के ब्लड से सफलता पूर्वक कैंसर के संकेतों को प्राप्त किया। इस टेस्ट ने कैंसर की शुरुआत होने वाले हिस्से (कोशिका के उत्तक) या ओरिजन का भी सटीकता से पता लगाया।

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और पढ़ें: जानें क्या है एचसीजी ब्लड टेस्ट?

ट्रायल में 20 तरह के कैंसर शामिल

शोधर्कताओं ने पाया कि यह टेस्ट सिर्फ व्यक्ति को कैंसर होने की सूरत में ही पॉजिटिव आता है। इसके साथ ही जिस ऊत्तक से कैंसर की शुरुआत हुई, उस हिस्से का भी पता चला। दाना-फार्बर के डॉक्टर जिओफ्री ऑक्सनार्ड और उनके सहयोगियों ने एक विश्लेषण किया। उन्होंने 3,583 ब्लड सैंपल्स में कोशिका मुक्त डीएनए (डीएनए जो सिर्फ कोशिकाओं तक सीमित था लेकिन, वह मृत कोशिका के ऊपर से ब्लडस्ट्रीम में प्रवेश कर गया) का विश्लेषण किया।

इसमें से 1,583 मरीजों के कैंसर का इलाज हुआ था और 2,053 लोगों का इलाज नहीं हुआ था। इन ब्लड सैंपल्स में 20 से ज्यादा तरह के कैंसर को शामिल किया गया। इसमें हॉरमोन रिसेप्टर-नेगेटिव ब्रेस्ट, कोलोरेक्टल, इसोफेजियल, गालब्लैडर, गैस्ट्रिक, सिर और नाक, फेफड़े, लिम्फाेइड, ल्यूकेमिया, मल्टिपल मायलोमा, ओवेरियन और पेनक्रियाटिक कैंसर शामिल थे।

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मिथायलेशन पर केंद्रित है कैंसर टेस्ट

नया टेस्ट डीएनए में उन कैंसर कोशिकाओं की तलाश करता है, जो मृत होने के बाद ब्लडस्ट्रीम में छुप जाती हैं। यह टेस्ट ‘लिक्विड बायोपसीज’ के उलट जेनेटिक म्युटेशन या कैंसर से संबंधित अन्य बदलाव का पता लगाता है। यह टेक्नोलॉजी डीएनए के मोडिफिकेशन पर केंद्रित है, जो मिथायल ग्रुप्स के हैं। मिथायल ग्रुप्स कैमिकल्स यूनिट्स हैं, जो डीएनए से जुड़े होते हैं।

मिथायलेशन एक प्रक्रिया है, जो एक्टिव और इनएक्टिव जीन को कंट्रोल करती हैं। मिथायलेशन प्रक्रिया में असमानता सामने आने पर यह कई मामलों में कैंसर के संकेत और उसके प्रकार की सूचना देता है।

वहीं, जीनोम के कुछ हिस्सों पर नया ब्लड टेस्ट शून्य है, जहां पर कैंसर कोशिकाओं में असामान्य मिथायलेशन का पैटर्न सामने आता है। डॉक्टर ओक्सनार्ड ने कहा, ‘हमारे पिछले अध्ययनों में संकेत मिला कि मिथायलेशन पर आधारित डीएनए सीक्वेंसिंग तकनीक ब्लड सैंपल में कई तरह के कैंसर का पता लगाने के लिए बेहतर साबित हुई।’ उन्होंने कहा, ‘नए शोध के परिणाम से पता चलता है कि इस ब्लड टेस्ट से लोगों में कैंसर का पता आसानी से लगाया जा सकता है।

डिस्क्लेमर

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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Dr. Shruthi Shridhar


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 20/07/2020

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