के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
अग्नाशयशोथ अग्न्याशय में होने वाली सूजन है। अग्न्याशय पेट के पीछे पायी जाने वाली एक लंबी ग्रंथि है जो छोटी आंत के नजदीक होती है। अग्न्याशय पाचक रस को एक ट्यूब के माध्यम से छोटी आंत तक स्रावित करता है, जिसे अग्नाशयी नलिका कहा जाता है। अग्न्याशय हार्मोन इंसुलिन (Insulin) और ग्लूकागन (Glucagon) को ब्लडस्ट्रीम में छोड़ने का काम भी करता है।
अग्नाशयशोथ की समस्या गंभीर हो सकती है, यानी यह समस्या अचानक हो सकती है और कई दिनों तक रह सकती है। अगर यह समस्या बहुत अधिक दिनों तक रहे तो बेहद गंभीर हो सकती है। अगर अग्नाशयशोथ की समस्या (Pancreatitis problem) कम हो तो बिना उपचार के यह ठीक हो सकती है लेकिन गंभीर मामलों में यह जानलेवा भी हो सकती है। अग्नाशयशोथ का सबसे सामान्य कारण है अधिक अल्कोहल का सेवन। इस रोग के लगभग 70 से 80 प्रतिशत मामलों में इसका कारण अल्कोहल ही है।
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अग्नाशयशोथ के आमतौर पर दो ही प्रकार होते हैं। पहला एक्यूट और दूसरा क्रोनिक। नेक्रोटाइजिंग अग्नाशयशोथ गंभीर एक्यूट अग्नाशयशोथ का परिणाम होता है। अग्नाशयशोथ का इलाज लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है।
एक्यूट अग्नाशयशोथ (Acute Pancreatitis)
एक्यूट अग्नाशयशोथ का मुख्य कारण जठरांत्र रोग के कारण सर्जरी या इलाज करवाना होता है। आमतौर एक्यूट अग्नाशयशोथ की शुरुआत अचानक से होती है। सही समय पर इलाज शुरू करवाने से कुछ ही दिनों में सूजन चली जाती है, लेकिन कुछ मामलों में मरीज को अस्पताल में भी रहना पड़ सकता है।
एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस बच्चों के मुकाबले वयस्कों में अधिक सामान्य होता है। वयस्कों में एक्यूट अग्नाशयशोथ का मुख्य कारण पित्ताशय में पथरी होती है।
यह स्थिति क्रोनिक अग्नाशयशोथ का भी रूप ले सकती है खासतौर से अगर मरीज धूम्रपान या शराब का सेवन करता हो।
क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस (Chronic Pancreatitis)
क्रोनिक अग्नाशयशोथ पैंक्रियास अंग में सूजन के कारण होता है। यह आमतौर पर बार-बार आता रहता है या लंबे समय तक बना रहता है।
क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस में व्यक्ति का पैंक्रियास हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त हो सकता है व इसके कारण कई अन्य जटिलताएं उतपन्न हो सकती है। इस सूजन के कारण ऊतकों को लगातर क्षति पहुंचती रहती है।
इस रोग के कारण व्यक्ति के इंसुलिन हॉर्मोन की कोशिकाओं को क्षति पहुंचती है जिससे उनके खून में शुगर का स्तर अनियंत्रित हो जाता है। क्रोनिक अग्नाशयशोथ के 45 प्रतिशत मामलों में लोगों को डायबिटीज होने का खतरा रहता है।
नेक्रोटाइजिंग पैन्क्रियाटाइटिस (Necrotizing pancreatitis)
एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस के कुछ गंभीर मामलें नेक्रोटाइजिंग पैन्क्रियाटाइटिस का रूप ले लेते हैं। इस स्थिति में रोग के कारण कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो चुकी होती हैं। ऐसा एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस के 10 प्रतिशत मामलों में होता है, यदि उनका इलाज नहीं करवाया जाए।
जो लोग गंभीर या पुरानी अग्नाशयशोथ की बीमारी से पीड़ित है, वे पेट के बीच और ऊपरी बाई तरफ दर्द महसूस करते हैं जो इसके मुख्य लक्षण है। कुछ लोगों को गंभीर अग्नाशयशोथ में डायग्नोस्टिक इमेजिंग स्कैन्स करने पर सूजन भी दिखाई दे सकती है।
जिन लोगों को पुरानी अग्नाशयशोथ है, वे स्टिऐटारीआ का अनुभव भी कर सकते हैं, जो वसायुक्त मल है। स्टिऐटारीआ कुपोषण का संकेत हो सकता है। इसका मतलब है कि आपको अपने सभी आवश्यक पोषक तत्व (Nutritional food) नहीं मिल रहे हैं।
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अग्नाशयशोथ रोग तब होता है जब अग्न्याशय में पाचन एंजाइम सक्रिय हो जाते हैं। इनसे अग्न्याशय के सेल्स को नुकसान होता है और वो सूजन (Swelling) पैदा करते हैं। तीव्र अग्नाशयशोथ के बार-बार होने से अग्न्याशय को नुकसान हो सकता है और यह एक्यूट अग्नाशयशोथ में परिवर्तित हो सकता है। अग्न्याशय में स्कार टिश्यू बन सकता है, जिससे कार्य करने में समस्या होती है। ऐसा अग्न्याशय जो सही से काम न कर रहा हो, वो पाचन समस्याओं और मधुमेह (Diabetes) का कारण बन सकता है।
पथरी अग्नाशय की सूजन का सबसे मुख्य कारण होती है। अगर आपको किडनी स्टोन है या पहले कभी था तो अग्नाशयशोथ के लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अग्नाशयशोथ के अन्य सामान्य कारणों में निम्न शामिल हैं –
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पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले अग्नाशयशोथ होने का खतरा अधिक होता है। कई प्रकर के जोखिम कारक जैसे धूम्रपान का सेवन और फैमिली हिस्ट्री अग्नाशयशोथ (Family history of Pancreatitis) होने की आशंका को बढ़ा सकते हैं। वहीं धूमप्रान (Smoking) और शराब (Alcohol) का सेवन करने के कारण एक्यूट अग्नाशयशोथ को क्रोनिक अग्नाशयशोथ में बदलने के जोखिम को बढ़ा देते हैं।
अग्नाशयशोथ के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपसे लक्षणों को जानेंगे। पुराने अग्नाशयशोथ के निदान के लिए कोई टेस्ट नहीं है, इसलिए डॉक्टर इस रोग के बारे में जानने के लिए आपसे इस रोग का इतिहास या आपकी अल्कोहल के सेवन के बारे में जानेंगे।
पुरानी अग्नाशयशोथ के रोगियों में अग्नाशय के कैंसर (Cancer) का खतरा होता है। यदि लक्षण अधिक बढ़ जाते हैं, विशेष रूप से जैसे अग्नाशयी नलिका का तंग हो जाना, तो डॉक्टर रोगी में कैंसर का खतरा होने का संदेह कर सकते हैं। यदि ऐसा है, तो वे सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन (MRI Scan) या एंडोस्कोपिक की सलाह दे सकते हैं।
पुरानी अग्नाशयशोथ की समस्या से पीड़ित लोगों को अपनी जीवनशैली में कुछ परिवर्तन करने चाहिए, जैसे:
यदि इस रोग से अधिक नुकसान हुआ है तो अग्न्याशय इंसुलिन का उत्पादन बंद कर सकता है। व्यक्ति को मधुमेह टाइप 1 विकसित होने की संभावना रहती है। इसलिए, रोजाना इन्सुलिन लेना इस उपचार का मुख्य हिस्सा है।
कई बार दर्द दूर करने वाली दवाईयों से समस्या दूर नहीं होती। अग्न्याशय में नलिकाएं बंद हो सकती हैं, जिससे पाचन रस का संचय होता है, जो उन पर दबाव डालता है, जिससे बहुत अधिक दर्द होता है। पुरानी और तीव्र दर्द का एक और कारण हो सकता है अग्न्याशय में सूजन होना। अधिक गंभीर मामलों के इलाज के लिए सर्जरी के कई रूपों की सलाह दी जा सकती है, जैसे:
इंडोस्कोपिक सर्जरी :इसमें एंडोस्कोप नामक एक संकीर्ण, खोखली, लचीली ट्यूब को पाचन तंत्र में डाला जाता है, जिसे अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) द्वारा निर्देशित किया जाता है।
पैंक्रियास रिसेक्शन: इसमें अग्न्याशय के सिर को सर्जरी द्वारा हटा दिया जाता है। पैंक्रियास रिसेक्शन की तीन मुख्य तकनीकें हैं:
इसमें सर्जरी से पूरे अग्न्याशय को निकाल दिया जाता है। दर्द को दूर करने के लिए यह तरीका बेहद प्रभावी है।
टोटल पैनक्रेटेक्टमी की प्रक्रिया के दौरान,सर्जरी द्वारा निकाले गए अग्न्याशय से अलग आइलेट कोशिकाओं का एक सस्पेन्शन बनाया जाता है और लिवर के पोर्टल वीन में इंजेक्ट किया जाता है।
कारणों के मुताबिक अग्नाशयशोथ की रोकथाम करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन कुछ विशेष प्रकार के परहेज की मदद से इसके खतरे को कम कर सकते हैं।
फाइबर युक्त आहार खाने और शुगर से परहेज करने से अग्नाशयशोथ के किडनी स्टोन के खतरे को कम किया जा सकता है। जो कि एक्यूट अग्नाशयशोथ का मुख्य कारण होता है।
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कम वसा युक्त व स्वस्थ आहार से भरपूर डाइट अग्नाशयशोथ के इलाज की प्रकिया के लिए बेहद महवत्पूर्ण होती है। क्रोनिक अग्नाशयशोथ से ग्रस्त मरीजों को फैट का सेवन सीमित करने पर अधिक ध्यान देना होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस स्थिति में अग्नाशय अंग अपनी प्रकिया पूरी तरह से करने में असक्षम होता है। अग्नाशयशोथ से ग्रस्त या अधिक खतरे वाले व्यक्तियों को निम्न आहार से परहेज करना चाहिए –
पूरे दिन में छोटे-छोटे मील का सेवन करें। ऐसे करने से पाचन तंत्र पर अधिक तनाव नहीं पड़ेगा। प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार का चयन करें। इसके साथ ही खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए नियमित रूप से पेय पदार्थ का सेवन करते रहें।
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कुछ घरेलू उपयों से आप इस रोग के जोखिमों को कम कर सकते हैं:
आप चाहें तो एक स्वस्थ जीवन की मदद से अग्नाशयशोथ के जोखिम को कम कर सकते हैं। इसके अलावा रोग की पहचान होते ही सही समय पर जरूरी इलाज करवाने से भी क्रोनिक अग्नाशयशोथ से बचा जा सकता है।
आमतौर धूमप्रान और शराब का सेवन बंद कर देने से भी अग्नाशयशोथ का जोखिम कम हो जाता है और इलाज की प्रक्रिया में तेजी आती है।
अगर आपको किसी भी प्रकार के लक्षण फिर से महसूस हों तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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