इम्यूनिटी पासपोर्ट (Immunity Passport) क्या है?
यह योजना कोरोना वायरस के संक्रमण से रिकवर कर चुके लोगों के लिए है। इसमें जो लोग इस खतरनाक वायरस से जंग जीत चुके हैं उन्हें उनके शरीर में पर्याप्त एंटीबॉडीज के आधार पर पासपोर्ट जारी किए जाने का प्लान है। कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों को यात्रा करने या अपने दफ्तर और बिजनेस पर वापस लौटने के लिए इसे बनाने का प्लान किया जा रहा है। इम्यूनिटी पासपोर्ट जारी करने का मकसद यह है कि सामने वाले को मालूम हो सके कि इस शख्स को अब कोरोना वायरस के संक्रमण होने का किसी तरह का कोई खतरा नहीं है। जिन लोगों के पास यह पासपोर्ट होगा उन्हें यात्रा करने से लेकर अपने अपने काम पर वापस लौटने की अनुमति मिल सकती है।
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इम्यूनिटी पासपोर्ट को लेकर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने दी चेतावनी
डब्ल्यूएचओ ने कहा किसी भी देश को इम्यूनिटी पासपोर्ट या रिस्क फ्री सर्टिफिकेट पर इतना भरोसा नहीं करना चाहिए। डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि संक्रमित व्यक्ति ठीक हो जाने के बाद दोबारा इस खतरनाक वायरस की चपेट में नहीं आ सकता। कोविड-19 से रिकवर कर चुके लोगों के शरीर में एंटीबॉडीज विकसित हो चुकी होती हैं, लेकिन बावजूद इसके लोगों के फिर से संक्रमित होने के मामले सामने आए हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा- कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में दोबारा संक्रमित होने का खतरा बरकरार है। यहीं कारण है कि एक बार संक्रमण से उबर चुके लोगों को इम्यूनिटी पासपोर्ट (Immunity Passports) जारी करने से परहेज करें और यात्रा से बचें।
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एंटीबॉडीज को लेकर शोध में हुआ यह खुलासा
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, ज्यादातर अध्ययन से यह मालूम होता है कि जो लोग कोविड-19 से रिकवर कर चुके हैं उनके ब्लड में एंटीबॉडीज बन चुकी हैं। कुछ ऐसे लोग भी हैं जो कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्त तो हो चुके हैं लेकिन उनके शरीर में एंटीबॉडीज का स्तर बहुत कम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अभी तक किसी भी शोध में इस बात की पुष्टी नहीं हुई है कि शरीर मौजूद एंटीबॉडीज कोरोना वायरस के संक्रंण को दोबारा होने से रोकने में प्रभावी हैं। कई ऐसे मामले देखे भी गए हैं जिनमें व्यक्ति एक बार ठीक होने के बाद फिर से इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ गया है। ऐसे में इम्यूनिटी पासपोर्ट से लोग एहतियात नहीं बरतेंगे। वह इसे लेकर लापरवाह भी हो सकते हैं। इससे इस खतरनाक वायरस के संक्रमण पर काबू पाने के लिए अब तक उठाए गए सारे कदमों पर पानी फिर सकता है।
इम्यूनिटी पासपोर्ट : डब्ल्यूएचओ ने दिया यह उदाहरण
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने कहा कि कोरोना वायरस से पहले सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) संक्रमण के दौरान भी कई ऐसे मामले देखे गए थे, जिसमें मरीज एक बार ठीक होने के बाद दोबारा इस वायरस की चपेट में आ गया था। सार्स के मरीजों में भी इलाज के दौरान एंटीबॉडी बनी थी, लेकिन एक समय के बाद वे बेअसर हो गई थी। इन बातों को ध्यान में रखते हुए किसी भी देश की सरकार को किसी तरह की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। फिलहाल कोरोना वायरस के दोबारा होने को लेकर शोध चल रहे हैं और इनके नतीजे आने बाकी हैं।