कोरोना वायरस के कारण विश्व भर में फैले महामारी कोविड-19 से बचने के लिए भारत सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है। हालांकि, लॉकडाउन जैसे प्रयासों के बाद भी देश के अलग-अलग शहरों में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते हुए देखें जा रहे हैं। जिसमें महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली शीर्ष के तीन कोरोना शहरों की लिस्ट में पहुंच गए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के 15 इलाकों को पूरी तरह से सील करने के बाद अब उनका सैनिटाइजेशन करना शुरू कर दिया है। जिसमें सबसे पहले दिल्ली एनसीआर से नोएडा के सेक्टर्स को सैनिटाइज किया जा रहा है।
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तीन दिनों तक जारी रहेगा सैनिटाइजेशन का काम
सैनिटाइजेशन के काम में ड्रोन की मदद ली जा रही है। सबसे पहले यूपी सरकार ने नोएडा के सेक्टर 8 आठ को सैनिटाइज करने का फैसला लिया है, क्योंकि यहां की आबादी अन्य सेक्टर्स के मुकाबले अधिक है। साथ ही, पिछले कई दिनों में कोरोना के कई मामले यहां से सामने आ चुके हैं। ड्रोन की मदद से जहां कोरोना वायरस को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं हवा में किया जा रहे सैनिटाइजेशन के नुकसान भी कुछ हो सकते हैं। जिससे लोगों को बचे रहने और सावधान रहने के लिए प्राधिकरण लोगों से घरों में ही रहने और दरवाजों-खिड़कियों को बंद करने का आदेश भी दे रही है।
जानिए क्यों जरूरी है सैनिटाइजेशन करना?
कोरोना वायरस किसी भी सतह पर घंटों से लेकर दिनों तक जीवित रह सकता है। ऐसे में उस स्थान से गुजरने वाले किसी भी शख्स को आसानी से कोरोना वायरस बीमार कर सकता है। जिसे ध्यान में रखते हुए इलाकों को सील करके उन्हें सैनिटाइज करने का फैसला किया गया है। सैनिटाइजेशन का इस्तेमाल न सिर्फ हवा, सतह बल्कि, पानी तक को भी स्वच्छ करने के लिए किया जाता है।
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क्या है सैनिटाइजर?
सैनिटाइजर के नाम पर अधिकतर लोग सिर्फ हैंड सैनिटाइजर की ही जानकारी रखते हैं। हैंड सैनिटाइजर, ग्लॉपी एल्कोहलिक जेल होता है जिसका इस्तेमाल सिर्फ हथेलियों पर ही किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल आंखों या चेहरे पर नहीं किया जाना चाहिए। सैनिटाइजर के इस्तेमाल से कीटाणुओं को कुछ सेकेंड के अंदर ही मारा जा सकता है। इसलिए, कोरोना वायरस से बचाव करने के लिए शुरूआती दिनों में ही सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने की सलाह जारी कर दी गई थी।
इसलिए सुरक्षित है सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया
सैनिटाइजर के 90 फीसदी हिस्सों में तीन एक्टिव इन्ग्रेडिएन्ट्स मिलाए जाते हैं, जिनमें इथाइल अल्कोहल, आइसोप्रोपिल अल्कोहल और बेंजालोनियम क्लोराइड का मिश्रण होता है। बाकी का 10 फीसदी पानी का हिस्सा होता है। सैनिटाइजर के कई अलग-अलग प्रकार होते हैं। जिनका इस्तेमाल उनके जरूरत के मुताबित किया जाता है। इनका इस्तेमाल न सिर्फ हाथों को साफ रखने, बल्कि पीने के पानी और स्थानों को भी साफ रखने के लिए किया जाता है। अमेरिकन केमिकल सोसाइटीज रिएक्शन्स यू ट्यूब चैनल द्वारा बनाए गए एक वीडियो में बताया गया है कि एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने से वायरस और बैक्टीरिया के बाहरी परत फट जाते हैं। इसमें सक्रिय एल्कोहल के मिश्रण वायरस के बाहरी झिल्ली को पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं जिससे वायरस डेड हो जाते हैं।
हालांकि, जहां सैनिटाइजेशन के इतने फायदे हैं, वहीं इनके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। जिससे बचने के लिए आप कई तरह की सावधानियों और कुछ खास दिशा-निर्देशों का पालन कर सकते हैं। ताकि, सरकार के इस फैसले पर आप और आपका इलाका दोनों ही सुरक्षित रहें।
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क्या सैनिटाइजेशन के नुकसान भी हो सकते हैं?
सैनिटाइजेशन के नुकसान भी संभव हैं, हालांकि अगर निम्न स्थितियां शामिल हैंः
लीवर से जुड़े हो सकते हैं सैनिटाइजेशन के नुकसान
जैसा की सैनिटाइजर बनाने में 60 फीसदी से अधिक मात्रा में एल्कोहल का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में हवा में किए जा रहे सैनिटाइजेशन के कण हवा के जरिए सांसों में प्रवेश करके लीवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
ऐसे करें बचाव
अपने लीवर को सैनिटाइजेशन के नुकसान से बचाने के लिए सैनिटाइज किए जा रहे इलाकों के लोगों को कुछ दिनों तक घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए। साथ ही, न ही उन्हें घरों के दरवाजों और खिड़कियों को खोलना चाहिए। हो सके, तो घर में ऐसी सभी जगहों को बंद कर दें जिनसे हवा में सैनिटाइज किए जा रहे की मात्रा घर के अंदर प्रवेश कर सकें।
दूषित पानी का कारण बन सकता है सैनिटाइजेशन के नुकसान
जैसा कि हर किसी का इस्तेमाल एक सीमित मात्रा तक ही स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित मानी जाती है। इसी तरह सैनिटाइजर का इस्तेमाल भी एक सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। हवा में किए जा रहे, सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया के कारण खुले में बहने वाले पानी दूषित हो सकते हैं।
ऐसे करें बचाव
अगर आपके इलाके में भी सैनिटाइजेशन का कार्य हुआ है, तो अगले कुछ समय तक सिर्फ फिल्टर किए गए पानी का ही इस्तेमाल करें। अगर आपके इलाके के लोग समरसिबल के पानी इस्तेमाल करते हैं, तो आपको अगले कुछ दिनों तक पीने के पानी से लेकर खाना बनाने, नहाने, कपड़े धुलने के लिए भी फिल्टर किए गए पानी का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
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इन स्थानों में प्रभावी नहीं होता
सैनिटाइजेशन ग्रीस या तैलीय युक्त चीजों को साफ करने में प्रभावी नहीं होते हैं। ऐसे में अगर कोरोना वायरस किसी तैलीय पदार्थ पर होगा, तो सैनिटाइजेशन की मदद से उसे खत्म नहीं किया जा सकता है।
ऐसे करें बचाव
किचन में कभी भी तेल के डिब्बे या चिकनाई युक्त डिब्बों को खुला न रखें। इन्हें हमेशा बंद करके घर के अंदर ही रखें।
इम्यून सिस्टम की वीकनेस से जुड़ा हो सकता है सैनिटाइजेशन के नुकसान
बहुत अधिक मात्रा में सैनिटाइज का इस्तेमाल करना हमारे इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित कर सकता है। कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि सैनिटाइजर के लगातार और बहुत ज्यादा इस्तेमाल करने से शरीर के अच्छे और बुरे दोनों ही तरह के बैक्टीरिया का विकास प्रभावित हो जाता है। ऐसे में शरीर को संक्रमण से बचाने वाले बैक्टीरिया का विकास भी कम हो सकता है। इस सोच को फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने भी स्वीकार किया है।
ऐसे करें बचाव
किसी भी तरह की सब्जी या फल खाने से पहले उसे साफ पानी में अच्छी तरह से धोएं। कोरोना वायरस के कारण बाजारों में मिलने वाली हर तरह की सब्जियों और फलों को भी सैनिटाइज किया जा रहा है। तो जब भी आप बाजार से सब्जी या फल लेकर आएं, उन्हें हल्के गुनगुने साफ पानी से जरूर धोएं।
सैनिटाइजर की मीठी गंध भी सैनिटाइजेशन के नुकसान से जुड़ी हो सकती है
पूरे इलाके को एक बड़ी मात्रा में सैनिटाइज करने के बाद वहां की हवा में एक मीठी गंध आ सकती है, जो अत्यधिक जहरीली हो सकती है। सैनिटाइजर में यह गंध फेफलेट्स नामक यौगिक के कारण होता है। ये यौगिक आसानी से खाद्य पदार्थों में और फिर आपके शरीर में पहुंच सकते हैं।
ऐसे करें बचाव
घर से बाहर निकलते समय हमेशा फेस मास्क का इस्तेमाल करें। कॉटन या साधारण फेस मास्क की जगह आपको अच्छी क्वालिटी के फेस मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि आपको मिलने वाली सांस फ्रेश और केमिकल फ्री हो।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 8 बड़े हॉटस्पॉट और 4 छोटे हॉटस्पॉट इलाकों की पहचान कर उन्हें पूरी तरह से सील किए गए हैं, जिनमें शामिल हैंः
- कैंट थाना क्षेत्र में अलीजान मस्जिद का इलाका
- थाना वजीरगंज थाना क्षेत्र में मोहम्मदी मस्जिद का इलाका
- थाना कैसर बाग में फूलबाग मस्जिद का इलाका
- थाना कैसरबाग में नजर बाग मस्जिद का इलाका
- थाना सहादतगंज मोहम्मदिया मस्जिद के आसपास का इलाका
- थाना तालकटोरा में पीर मक्का मस्जिद के आसपास का इलाका
- थाना हसनगंज में त्रिवेणी नगर के खजूर वाली मस्जिद के आसपास का इलाका
- थाना गुडंबा में रजौली मस्जिद के आसपास का इलाका
- विजय खंड गोमती नगर का इलाका
- इंदिरा नगर में डॉ. इकबाल अहमद क्लीनिक, मेट्रो स्टेशन, मुंशी पुलिया का इलाका
- खुर्रमनगर में अलीना एनक्लेव का क्षेत्र
- मड़ियाव में आईआईएम पावर हाउस के पास का इलाका
कोरोना वायरस से बचाव करने के लिए सरकार द्वारा सैनिटाइज किए जाने वाले फैसले और कार्य को सफल बनाने के लिए जरूरी है कि इस दौरान आप अपने घरों में ही रहें। यहां तक की छत के ऊपर या बैलकॉनी में भी जाने से कुछ दिनों तक परहेज करें। ऐसा करने से ही आप सैनिटाइजेशन के नुकसान से बचे रहेंगे और कोरोना वायरस के डर से भी जल्दी ही आजाद हो जाएंगे।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है।
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