टीबी डायट प्लान: टीबी का निदान (Diagnosis of TB)
टीबी का इलाज करने से पहले डॉक्टर तीन तरह का टेस्ट करने के लिए कहते हैं, जिनके नाम इस प्रकार से हैं-
स्किन टेस्ट (Skin test)
संक्रमण है कि नहीं इसका पता लगाने के लिए पीपीडी (purified protein derivative) स्किन टेस्ट किया जाता है।
ब्लड टेस्ट (Blood test)
डॉक्टर स्किन टेस्ट के आधार पर ब्लड टेस्ट करने के लिए भी कह सकते हैं।
एक्स रे (X-Ray)
इन दोनों टेस्ट के बाद डॉक्टर एक्स रे करने के लिए कह सकते हैं। एक्स रे करके यह देखा जाता है कि इंफेक्शन हुआ है कि नहीं।
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टीबी का इलाज (Treatment for TB)
टीबी का इलाज थोड़े लंबे समय तक चलता है। यह लगभग छह से नौ महीने तक चलता है। लेकिन इलाज का पूरा कोर्स करने की सलाह दी जाती है, नहीं तो टीबी की बीमारी फिर से वापस आ सकती है। फिर से होने पर जो दवाएं पहले काम कर रही थी, वह काम नहीं कर पाती। फिर रोग को संभालना मुश्किल हो सकता है। भारत में डॉक्टर कुछ दवाओं का कॉम्बिनेशन देते हैं, वह इस प्रकार से हैं-
- आइसोनियाजिड (Isoniazid)
- एथेमब्युटोल (Ethambutol)
- पायराजिनामाइड (Pyrazinamide)
- रिफैम्पिन (Rifampin)
नोट- ऊपर दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इसलिए किसी भी घरेलू उपचार, दवा या सप्लिमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
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टीबी डायट प्लान (TB Diet Plan)
टीबी के इलाज के दौरान लिवर पर प्रभाव पड़ने का डर रहता है, इसलिए टीबी का डायट प्लान भी डॉक्टर से पूछ लेना चाहिए। टीबी डायट प्लान (TB Diet Plan) ठीक होगा, तभी दवा भी ठीक तरह से काम करेगी।
टीबी डायट प्लान : टीबी मरीजों के लिए बेस्ट फूड
टीबी के मरीज को संतुलित आहार देना चाहिए। टीबी डायट प्लान (TB Diet Plan) या ट्यूबरक्युलॉसिस में डायट के बारे में पुरानी मान्यता है कि जितना महंगा खाना खिलाएंगे, उतना ही मरीज जल्दी स्वस्थ होगा। लेकिन यह सच नहीं है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आहार में पौष्टकता भरपूर मात्रा में हो और वह संतुलित हो। टीबी के इलाज के दौरान भूख कम लगती है और मरीज खाना नहीं चाहता। इसलिए खाना हेल्दी होने के साथ स्वादिष्ट भी होना चाहिए। जैसे-जैसे शारीरिक स्थिति बेहतर होने लगती है, मरीज खुद नॉर्मल तरीके से खाना शुरू कर देता है।
चलिए, अब देखते हैं कि टीबी डायट प्लान (TB Diet Plan) में क्या-क्या शामिल होना चाहिए। समझने में सहुलियत हो, इसके लिए डायट प्लान को पांच भागों में बांट लेते हैं-
- ताजी सब्जियां और फल
- दूध और दूध से बनी चीजें
- अंडा, मांस और मछली
- अनाज और दाल
- तेल, फैट और नट्स
अगर आप टीबी मरीज के डायट प्लान में सभी फूड ग्रूप से फूड्स को शामिल करेंगे, तो वह आहार संतुलित भी हो जाएगा और मरीज को पौष्टिकता भी सही मात्रा में मिल जाएगी। टीबी डायट प्लान में यह देखना चाहिए कि एनर्जी और प्रोटीन, डायट में ज्यादा से ज्यादा होना चाहिए। रोटी में घी या मक्खन लगा देने से मरीज थोड़ा ज्यादा खा सकता है। तेल और फैट्स एनर्जी के लिए होते हैं, इसलिए संतुलित मात्रा में इनका सेवन कराना चाहिए। मांस, मछली और दूध के सेवन से मरीज को जितने प्रोटीन की जरूरत होती है, उसको पूरा करने में मदद मिलती है। सब्जियों में पत्तेदार सब्जियां, विटामिन और मिनरल के जरूरत को पूरा करने में सहायता करती है।
टीबी डायट प्लान (TB Diet Plan) या ट्यूबरक्युलॉसिस में डायट में इन सब बातों का ध्यान रखना इसलिए जरूरी है कि इनके अभाव में मरीज कुपोषण (malnutrition) का शिकार हो सकता है, जिससे मरीज की शारीरिक स्थिति और भी खराब हो सकती है। इस कारण दवाएं रोग के लिए ठीक तरह से काम नहीं कर पाएंगी और शरीर इस बीमारी से लड़ नहीं पाएगा। टीबी के अधिकतर मरीजों का वजन बहुत कम हो जाता है क्योंकि वह ठीक तरह से खा-पी नहीं पाते। इसलिए डॉक्टर हमेशा मरीज के डायट प्लान पर नजर रखने के लिए कहते हैं। इसके अलावा मरीज को थोड़ी बहुत फिजिकल एक्टिविटी भी करनी चाहिए, जिससे कि भूख लगे और मरीज अच्छी तरह खा पाए।
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टीबी डायट प्लान (TB Diet Plan) अपनाएं लेकिन न करें इनका सेवन
जिन लोगों को टीबी हुआ है या हाल में ठीक हुए हैं, उनको इन फूड्स से परहेज करना चाहिए-
- ड्रिंक्स का सेवन
- अत्यधिक मात्रा में चाय का सेवन
- अत्यधिक मात्रा में कॉफी का सेवन
- तंबाकू का सेवन
- सिगरेट
- अल्कोहल या शराब का सेवन ( यह दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है)
- अत्यधिक मात्रा में मसाला और नमक का सेवन
नोट- ऊपर दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इसलिए किसी भी घरेलू उपचार, दवा या सप्लिमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
अध्ययनों से यह पता चला है कि, भारत में पल्मोनरी ट्यूबरक्युलॉसिस होता है और इसके लिए टीबी डायट में ऊपर दिए खाद्द पदार्थों के साथ इन चीजों को भी शामिल करना पड़ता है। टीबी डायट में माइक्रोन्यूट्रीएंट्स का रोल बहुत महत्वपूर्ण होता है।
जिंक- ट्यूबरक्युलॉसिस के कारण शरीर में जिंक की बहुत कमी हो जाती है। जिंक की कमी इम्युन सिस्टम पर भी गहरा असर करता है। साथ ही विटामिन ए के मेटाबॉलिज्म में जिंक बहुत मदद करता है। इसलिए टीबी डायट प्लान में जिंक रिच फ़ूड शामिल करें।
विटामिन ए- ट्यूबरक्युलॉसिस में विटामिन ए की भूमिका प्रतिरक्षात्मकता (Immunocompetent) की होती है। विटामिन ए का मूल स्रोत कॉडलिवर ऑयल होता है। इसलिए टीबी डायट प्लान में विटामिन ए रिच फ़ूड शामिल करें।
विटामिन डी- शायद आपको पता नहीं विटामिन डी भी ट्यूबरक्युलॉसिस के इलाज में अहम भूमिका निभाता है। विटामिन मैक्रोफेज का काम करता है। टीबी डायट प्लान में नियमित विटामिन डी का सेवन करें।
विटामिन ई- इस विटामिन की मात्रा अक्सर तपेदिक के मरीजों में कम हो जाती है। इसको आप खट्टे फलों के सेवन से प्राप्त कर सकते हैं। इन सबके अलावा आयरन, सेलेनियम और कॉपर भी जरूरी तत्व होते हैं। टीबी डायट प्लान में विटामिन ई का भी विशेष ख़याल रखें।
टीबी डायट प्लान: टीबी से कैसे करें बचाव
आजकल बीसीजी (Bacillus Calmette Guerin or BCG) का वैक्सीन लोगों के पास उपलब्ध है, जो शिशु को बचपन में ही देना सरकार द्वारा अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा हर माता-पिता का यह कर्तव्य होता है कि वह अपने बच्चे को रोगों से बचाने के लिए सारे वैक्सीन सही समय पर लगवाएं। जो लोग टीबी के मरीज होते हैं, उनको मास्क पहनने की सलाह दी जाती है, जिससे कि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
टीबी का इलाज जितना जरूरी है उतना ही उसका बचाव भी जरूरी होता है। टीबी के लिए दी जाने वाली दवा ठीक तरह से काम करे, इसके लिए जरूरी है कि टीबी डायट प्लान (TB Diet Plan) या ट्यूबरक्युलॉसिस में डायट अच्छी तरह से फॉलो हो। टीबी डायट प्लान फॉलो करने से पहले अपने डॉक्टर से भी इस बारे में जरूर सलाह लें। ऊपर दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इसलिए किसी भी घरेलू उपचार, दवा या सप्लिमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।