backup og meta

Electroencephalogram (EEG) : इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम क्या है?

Electroencephalogram (EEG) : इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम क्या है?

Definition

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम क्या है?

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम ब्रेन यानी कि मस्तिष्क से संबंधित टेस्ट है। इस टेस्ट का मुख्य उद्देश्य मस्तिष्क के इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को जानना है। क्योंकि ब्रेन सेल्स एक दूसरे से इलेक्ट्रिक इम्पल्स के द्वारा संपर्क करती हैं। जब ये कोशिकाएं आपस में संपर्क नहीं कर पाती हैं तो इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम टेस्ट की जरूरत पड़ती है। इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम को ईईजी (EEG) भी कहते हैं।

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम मस्तिष्क के तरंगों के पैटर्न को रिकॉर्ड करता है। छोटे, चपटे मेटल के डिस्क का इस्तेमाल इस टेस्ट में किया जाता है, जिन्हें इलेक्ट्रोड कहते हैं। इलेक्ट्रोड्स को व्यक्ति के सिर के ऊपर स्कैल्प पर चिपकाया जाता है। इलेक्ट्रोड से जुड़े तार दिमाग की तरंगों को कंप्यूटर के मॉनिटर पर दिखाते हैं। जो तरंगें लाइन के रूप में ऊपर नीचे कर के दिखाई देती हैं। जिसे देख कर डॉक्टर ब्रेन सेल्स की समस्या को समझते हैं।

और पढ़ें : Brain tumor: ब्रेन ट्यूमर क्या है?

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम क्यों किया जाता है?

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम (EEG) को तब किया जाता है जब ब्रेन डिसऑर्डर के लक्षण सामने आते हैं। जैसे- मिरगी आना(epilepsy)मस्तिष्क से संबंधित अन्य परेशानियों में भी इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम (EEG) टेस्ट किया जाता है :

  • ब्रेन ट्यूमर (Brain tumor)
  • सिर में चोट के कारण ब्रेन डैमेज हो जाना (Brain damage from head injury)
  • एन्सेफेलोपैथी, यानी कि कई कारणों से मस्तिष्क का सही से काम न करना
  •  ब्रेन में जलन या दर्द होना
  • स्ट्रोक
  • स्लीप डिसऑर्डर

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम (EEG) का इस्तेमाल कोमा में गए हुए व्यक्ति में ब्रेन डेड को कंफर्म करने के लिए भी किया जाता है।

और पढ़ें : ब्रेन को हेल्दी रखती है छोटी इलायची, जानें इसके 9 फायदे

जानिए जरूरी बातें

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम करवाने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम कराने में किसी तरह का कोई रिस्क नहीं है। ये पूरी तरह सुरक्षित और दर्दरहित होता है। कुछ इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम में लाइट या स्टिमुलाई नहीं होते है। ऐसा तब होता है जब टेस्ट में किसी भी तरह की असमान्यता नजर न आए। क्योंकि इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम में इस्तेमाल होने वाली लाइट अबनॉर्मलिटीज को बढ़ावा देती है। अगर किसी को मिरगी या कब्जा विकार है तो स्टिमुलाई का इस्तेमाल किया जाता है।

[mc4wp_form id=’183492″]

और पढ़ें : बच्चे की ब्रेन पावर बढ़ाने लिए बढ़ाने 10 बेस्ट माइंड गेम्स

प्रक्रिया

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम के लिए मुझे खुद को कैसे तैयार करना चाहिए?

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम टेस्ट कराने से पहले आपको निम्न चरणों को अपनाना होगा :

  • इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम कराने से एक रात पहले अपने बालों को अच्छे से धुल कर साफ कर लें। इसके अलावा बालों में किसी भी तरह का कोई भी प्रोडक्ट की इस्तेमाल न करें।
  • इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम टेस्ट कराने से पहले आपको डॉक्टर से अपने द्वारा ली जा रही दवाओं के बारे में बताना चाहिए।
  • टेस्ट कराने से कितने समय पहले से आपको खान-पीना बंद कर देना है इस बात की जानकारी ले लें।

इसके अलावा डॉक्टर आपको इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम टेस्ट के एक रात पहले बहुत कम सोने के लिए कह सकते हैं। क्योंकि टेस्ट के दौरान आपके मस्तिष्क को रिलेक्स पोजीशन में रहने की जरूरत होती है। ऐसे में अगर आपको टेस्ट के पहले सोने के लिए कहा जाएगा। अगर आप नहीं सो पाते हैं तो आपको नींद की दवा दी जाएगी। इसके बाद आपका टेस्ट किया जाएगा। टेस्ट के बाद आप अपनी दिनचर्या को सामान्य रूप से शुरू कर सकते हैं। लेकिन, टेस्ट कराने हॉस्पिटल जाते समय अपने किसी परिजन को साथ में ले लें। अगर टेस्ट के दौरान आपको नींद की दवा दे दी गई तो आप खुद से घर नहीं जा पाएंगे।

और पढ़ें : बच्चों के लिए टॉप 10 ब्रेन फूड्स

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम में होने वाली प्रक्रिया क्या है?

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम टेस्ट को करने में लगभग 60 मिनट का समय लगता है। इस टेस्ट को करने से पहले टेक्नीशियन आपके सिर पर पेंसिल या पेन से निशान बनाते हैं। इन्हीं निशानों के जगह पर टेस्ट के लिए मेटल के डिस्क यानी कि इलेक्ट्रोड्स को चिपाकाया जाता है। बालों के जड़ों में इलेक्ट्रोड्स को चिपकाने के लिए एक विशेष प्रकार के ग्लू का इस्तेमाल किया जाता है। इस डिस्क के तार कंप्यूटर के मॉनीटर से जुड़े रहेंगे।

एक बार इलेक्ट्रोड आपके सिर पर चिपकाने के बाद आपको सोने के लिए कहा जाएगा। कभी-कभी टेस्ट के बीच में टेक्नीशियन आपको आंखें खोलने या बंद करने के लिए कहते हैं। ताकि मस्तिष्क की तरंगों को सही तरीके से माप सके। इसके साथ ही टेस्ट के दौरान आपको किसी आसान से सवाल को हल करने के लिए कहा जा सकता है। साथ ही किसी पैराग्राफ को पढ़ने, चित्र को देखने, गहरी व लंबी सांस लेने के लिए कहा जा सकता है। इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम में अपने आप आपके मस्तिष्क तरंगों का वीडियो रिकॉर्ड हो जाता है। इन्हीं तरंगों के आधार पर डॉक्टर पता करते हैं कि आपके मस्तिष्क में समस्या कहा पर है।

और पढ़ें : पहली ब्रेन सर्जरी जिसे लोगों ने फेसबुक पर लाइव देखा

कभी-कभी ऑफिस या घर आदि जगहों पर इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम टेस्ट के सभी उपकरण सेट किए जाते हैं। ऐसा तब होता है जब आपके मस्तिष्क के तरेंगों को कई दिनों तक रिकॉर्ड करना होता है। इस तरह के इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम को एम्बुलेट्री इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम कहा जाता है।

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम के बाद क्या होता है?

  • इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम टेस्ट के बाद आपके सिर से इलेक्ट्रोड्स को निकाल देते हैं। इसके बाद अगर आपको नींद की दवा नहीं दी गई है तो आप तुरंत बाद घर जा सकते हैं।
  • अगर आपको नींद की दवा दी गई है तो आप खुद से घर नहीं जा पाएंगे। ऐसे में घर जाने के लिए आप अपने किसी परिजन का सहारा लें।
  • आप रिजल्ट के साथ अपने डॉक्टर से मिल सकते हैं। किसी भी तरह की समस्या होने पर आप हेल्थ प्रोफेशनल से तुरंत बात करें।

और पढ़ें : स्टडी: ब्रेन स्कैन (brain scan) में नजर आ सकते हैं डिप्रेशन के लक्षण

रिजल्ट को समझें

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम के रिजल्ट का क्या मतलब है?

जिस टेक्नीशियन ने आपका टेस्ट किया है वह पूरी रिकॉर्डिंग का वीडियो आपके डॉक्टर के पास भेज देते हैं। आप अपने डॉक्टर के पास जा कर टेस्ट के रिजल्ट को समझ सकते हैं। इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम का रिजल्ट निम्न तरह से हो सकता है।

नॉर्मल रिजल्ट

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम में मस्तिष्क के तरंगों का पैटर्न सामान्य रहा। अलग-अलग लेवल पर यानी कि जागते, सोते, पढ़ते आदि गतिविधियों में भी आपके मस्तिष्क की तरंगे सामान्य बनी रहीं। जब आप जागते हैं तो आपकी मस्तिष्क तरंगें बहुत तेजी से बढ़ती है, लेकिन सोते समय वह धीमी गति से आगे बढ़ती हैं। इसलिए टेस्ट का रिजल्ट सामान्य है और किसी भी तरह का कोई डिसऑर्डर नहीं है।

अबनॉर्मल रिजल्ट

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम का टेस्ट निम्न कारणों से असामान्य आता है :

  • मिरगी या अन्य किसी दिमागी विकार के कारण
  • असामान्य ब्लीडिंग या हैमरेज
  • स्लीप डिसऑर्डर
  • एन्सेफेलाइटिस
  • ट्यूमर
  • माइग्रेन
  • मृत कोशिकाएं जिन्होंने रक्त संचार को ब्लॉक कर दिया है
  • सिर में चोट लगने के कारण
  • ज्यादा एल्कोहॉल या ड्रग का सेवन करने से

वहीं, बता दें कि टेस्ट की रिपोर्ट हॉस्पिटल और लैबोरेट्री के तरीकों पर निर्भर करती है। इसलिए आप अपने डॉक्टर से टेस्ट रिपोर्ट के बारे में अच्छे से समझ लें। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

[embed-health-tool-bmi]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

EEG (Electroencephalogram). https://www.healthline.com/health/eeg#uses. Accessed November 13, 2019.

EEG (electroencephalogram). https://www.mayoclinic.org/tests-procedures/eeg/about/pac-20393875. Accessed November 13, 2019.

Current Version

08/09/2020

Shayali Rekha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


संबंधित पोस्ट

Testicular Torsion: टेस्टिकुलर टॉर्सन क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

Pap Smear Test: पैप स्मीयर टेस्ट क्या है?


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/09/2020

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement