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मैनिक डिप्रेशन (Manic Depression) कितना खतरनाक हो सकता है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Smrit Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/04/2021

    मैनिक डिप्रेशन (Manic Depression) कितना खतरनाक हो सकता है?

    किसी भी मानसिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति के हिंसक होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। भले ही उन लोगों में हिंसक प्रवृत्ति न हो लेकिन फिर भी इस मानसिक विकार से ग्रस्त होने पर उनके हिंसक होने की संभावना रहती है। आज इस आर्टिकल में समझेंगे मैनिक डिप्रेशन (Manic Depression) की वजह से क्या-क्या शारीरिक या मानसिक परेशानी शुरू हो सकती है।

    मैनिक डिप्रेशन (Manic Depression) को ही बायपोलर डिसऑर्डर (Bipolar disorder) भी कहा जाता है। इससे पीड़ित लोगों के बीच हिंसा के जोखिम को समझना जटिल है। कुछ अनुमानों के अनुसार, बायपोलर डिसऑर्डर या मैनिक डिप्रेशन से पीड़ित 11 से 16 प्रतिशत लोगों में हिंसक प्रवृत्ति सामने आई है।

    आमतौर पर हिंसा के मामले अत्यधिक मूड खराब होने या दवा या शराब के अधिक सेवन के कारण होती हैं। हालांकि, एक बड़ी आबादी पर किए अध्ययन से पता चला है कि हिंसा की संभावना का आधार सिर्फ मानसिक बीमारी को नहीं कहा जा सकता है।

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    मैनिक डिप्रेशन (Manic Depression) क्या है?

    मैनिक डिप्रेशन-Manic Depression

    मैनिक डिप्रेशन (बायपोलर डिसऑर्डर) एक मानसिक बीमारी है, जिसमें मूड बहुत ज्यादा प्रभावित होता है। इसके लक्षणों में मूड का बहुत ज्यादा बदलना शामिल है, जिसे मेनिया भी कहते हैं। इसमें कभी-कभी डिप्रेशन जैसा भी महसूस हो सकता है। बायपोलर डिसऑर्डर को बायपोलर डिजीज या मेनिक डिप्रेशन भी कहा जाता है।

    मैनिक डिप्रेशन से ग्रस्त व्यक्ति को रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत आती है औ उन्हें अपने संबंधों को भी मैनेज करने में परेशानी होती है।

    मैनिक डिप्रेशन (Manic Depression) या बायपोलर डिसऑर्डर के लक्षण क्या हैं? 

    इसके तीन प्रमुख लक्षण होते है जिनमें मेनिया, हाइपोमेनिया और डिप्रेशन शामिल हैं।

    मेनिया की स्थिति में व्यक्ति बहुत ज्यादा इमोशनल महसूस कर सकता है। हाइपोमेनिया भी मेनिया की तरह ही होता है लेकिन यह मेनिया जितना गंभीर नहीं होता। डिप्रेशन में बहुत ज्यादा दुख महसूस होना, निराशा, एनर्जी में कमी, नींद कम या ज्यादा आना और आत्महत्या के विचार आना शामिल हैं।

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    कारक जो हिंसा के जोखिम को बढ़ाते हैं

    सिर्फ मैनिक डिप्रेशन को व्यक्ति के हिंसक होने का कारण नहीं माना जा सकता है, बल्कि मैनिक डिप्रेशन या बायपोलर डिसऑर्डर के साथ कुछ विशेष परिस्थितियों में व्यक्ति हिंसक हो जाता है। जैसे कि किसी व्यक्ति को बायपोलर डिसऑर्डर है, उस व्यक्ति को अगर उकसाया जाए या चिढ़ाया जाए तो वो आसानी से हिंसक हो सकता है। इसके कुछ अन्य उदाहरण इस प्रकार हैं :

    नशीली दवाओं या शराब का दुरुपयोग करने पर भी हिंसक होने की संभावना बढ़ जाती है। मानसिक बीमारी वाले लोगों में नशीले पदार्थ का उपयोग आम बात है। दुर्भाग्य से, ड्रग्स और एल्कोहल हिंसक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के कारक बन सकते हैं। ड्रग्स और शराब लोगों को उन स्थितियों में डाल सकती हैं जहां व्यक्ति के हाथों से हिंसा हो सकती है।

    उच्च भावनात्मक तनाव

    भावनात्मक तनाव जैसे किसी प्रियजन को खोना या किसी रिश्ते से अलगाव होना, मिजाज को ट्रिगर कर सकता है। यह भावनात्मक स्थितियां हिंसा के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।

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    खुद को नुकसान पहुंचाना

    वास्तव में, मैनिक डिप्रेशन से पीड़ित लोग किसी और की तुलना में खुद के लिए अधिक खतरा हो सकते हैं। वे खुद की सुरक्षा के बारे में अनावश्यक रूप से चिंता कर सकते हैं और जाने-अनजाने खुद को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। इन जोखिमों में शामिल हैं :

    आत्महत्या या आत्महत्या का प्रयास

    बायपोलर डिसऑर्डर वाले लोगों में आत्महत्या की दर काफी अधिक है। बायपोलर डिसऑर्डर से ग्रस्त लोग अन्यों की तुलना में नौ गुना अधिक आत्महत्या करने की संभावना रखते हैं।

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    नशीली दवाओं या शराब का सेवन

    बायपोलर डिसऑर्डर वाले लोगों को मादक द्रव्यों के सेवन या इन पर निर्भरता से अधिक खतरा होता है। बायपोलर रोगियों में ड्रग्स या एल्कोहल लेने से उन्माद या उदास रहने की आदत हो सकती है।

    अगर आंकड़ों पर गौर करें, तो पाएंगे कि बायपोलर डिसऑर्डर वाले 46 प्रतिशत लोग शराब पर निर्भर होते हैं और 41 प्रतिशत अन्य दवाओं पर निर्भर करते हैं।

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    कभी-कभी, बायपोलर डिसऑर्डर वाले लोग खुद को जानबूझकर चोट पहुंचाते हैं।

    यदि आप या आप से जुड़ा कोई इंसान इस बीमारी की चपेट में है तो “अवसाद या उन्माद के संकेतों के प्रति सतर्क रहें। विशेष रूप से जब उन्माद और अवसाद दोनों के लक्षण दिखाई देते हैं तो इस स्थिति में पीड़ित के मन में आत्मघाती विचार आ सकते हैं और व्यक्ति अपनी ही जान लेने का प्रयास कर सकता है।’

    अवसाद के लक्षणों में उदास होना या सामान्य से अधिक सोने की आदत शामिल है। उन्माद के चेतावनी संकेतों में अधिक बात करना, अधिक सक्रिय होना, कम सोना और आवेगी बनना शामिल है। उन्माद से पैदा हुए चिड़चिड़ापन और अपने गुस्से को कंट्रोल न कर पाने के कारण हिंसात्मक स्थिति पैदा हो सकती है।

    यदि आप अपनी सुरक्षा या बायपोलर डिसऑर्डर वाले व्यक्ति की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, तो आप डॉक्टर या पुलिस को पीड़ित के बारे में सूचित कर सकते हैं। आजकल ऐसी प्रभावी दवाएं उपलब्ध हैं, जो हिंसा के जोखिम को कम करने और बायपोलर लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। यदि तत्काल स्थितियों की समय पर पहचान हो जाती है, तो इस विकार से उत्पन्न खतरों को रोका जा सकता है।

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    मैनिक डिप्रेशन (Manic Depression) के लक्षणों को कम करने के लिए उपचार की प्रक्रिया क्या हो सकती है?

    बायपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों को कम करने के लिए और इस मानसिक स्थिति का उपचार करने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं। हालांकि, हर व्यक्ति पर इनका सफल रूप से प्रभावी होना मुश्किल हो सकता है।

    इसके उपचार के लिए डॉक्टर सामान्य तौर पर मनोविशेषज्ञ से परामर्श की सलाह दे सकते हैं और मूड-स्टैबिलाइजिंग (STABILIZING) ड्रग जैसे, एंटीसाइकोटिक, बेंजोडायजेपाइन या एंटीडिप्रेसेंट का सेवन करने के लिए भी कह सकते हैं।

    क्या प्राकृतिक तौर पर मैनिक डिप्रेशन (Manic Depression) का उपचार किया जा सकता है?

    मौजूदा समय में बायपोलर डिसऑर्डर के उपचार के लिए उपलब्ध प्रक्रियाओं में से किसी को भी हम पूरी तरह से सफल नहीं मान सकते हैं। हालांकि, इनकी मदद से इसके लक्षणों को थोड़ा कम जरूर किया जा सकता है।

    अगर आप प्राकृतिक तौर पर इसका उपचार करना चाहते हैं, तो आपको अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी कई जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा और कुछ आदतों में बदलाव भी लाना होगा।

    नेशनल एलायंस ऑन मेंटल इलनेस (NAMI) का अनुमान है कि संयुक्त राज्य में लगभग 2.6 प्रतिशत लोग इस द्विध्रुवी विकार से ग्रस्त हैं और इसके लगभग 83 प्रतिशत मामले काफी गंभीर हैं।

    उनके अनुसार, इसके लक्षण 25 वर्ष की उम्र में सबसे ज्यादा देखे जा सकते हैं। वहीं, भारत में इसके आंकड़ों की बात करें, तो अभी भी इस पर सटीक आंकड़े प्राप्त नहीं किए गए हैं। हालांकि, प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रति एक हजार लोगों में 0.15 फीसदी लोग बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रस्त होते हैं जिनमें सफल उपचार सिर्फ 15 फीसदी लोगों को ही मिल पाता है।

    इस मानसिक विकार का उपचार करने के लिए आप निम्न प्राकृतिक तरीकों को अपना सकते हैं :

    जीवनशैली में परिवर्तन लाना

    संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी – cognitive behavioral therapy [CBT]) की मदद से और जीवनशैली में परिवर्तन लाकर इसके लक्षणों में काफी सुधार लाया जा सकता है।

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    नींद का पैटर्न सुधारना

    इस मानसिक विकार के कारण व्यक्ति को नींद से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे बहुत ज्यादा नींदा आना या नींद न आना। ऐसी स्थिति में आपको अपनी नींद की क्वालिटी बेहतर बनाने के विकल्पों के बारे में सोचना चाहिए।

    अच्छी नींद आपके मूड को फ्रेश बनाए रखने में मदद करती है जिससे बायपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों को ट्रिगर होने से रोकने में मदद मिल सकती है।

    अच्छी नींद के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें :

    • रोजाना तय समय पर सोने जाना और सुबह तय समय पर उठना।
    • सोने का कमरा साफ-सुथरा, ठंडा और हवादार हो
    • सोने से लगभग एक घंटे पहले फोन या किसी भी गैजेट का इस्तेमाल करना बंद कर दें। इससे आपको चैन की नींद आएगी।
    • सोने से दो घंटे पहले ही रात का भोजन खा लें। डिनर हल्का होना चाहिए और भरपेट खाना खाने से बचें।
    • सोने से पहले शराब का सेवन न करें।

    अगर इन जरूरी बातों का ध्यान रखने के बाद भी आपको नींद से जुड़ी समस्या होती है, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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    पौष्टिक आहार का सेवन करें

    साल 2011 में एक अध्ययन किया गया था जिसमें बायपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को शामिल गया था। इसमें शामिल लगभग 68 प्रतिशत लोगों के शरीर पर अतिरिक्त वजन या मोटापे की समस्या भी देखी गई। साथ ही, इन लोगों में डायबिटीज, हृदय रोग, बीपी जैसी अन्य गंभीर स्थितियों के भी लक्षण देखे गए।

    हालांकि, डॉक्टरों को इसके मुख्य कारण के बारे में पता नहीं था लेकिन यह मस्तिष्क में रसायनों के असंतुलन के कारण हो सकता है। इन रसायनों को न्यूरोट्रांसमीटर भी कहा जाता है जिसमें नॉरएड्रेनालाईन, डोपामाइन और सेरोटोनिन शामिल हो सकते हैं।

    सेरोटोनिन रसायन हमारे भूख लगने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। अगर शरीर में सेरोटोनिन का स्तर कम हो जाता है, तो लोगों में कार्बोहाइड्रेट युक्त और मीठे खाद्य पदार्थों को खाने की अधिक क्रेविंग होने लगती है जो कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

    स्वस्थ और पौष्टिक आहार से जुड़ी जरूरी बातों का ध्यान रखें :

    • अपने खाने का समय तय करें।
    • दिनभर में कितना, क्या और कितनी मात्रा में खाना है यह भी तय करें।
    • अपने आहार को संतुलित करने के लिए, हर दिन अपने खाद्य पदार्थों में बदलाव करते हैं। यह बदलाव आप तरह-तरह की सब्जियों, दालों और फलों से कर सकते हैं।

    अगर मैनिक डिप्रेशन (Manic Depression) या बायपोलर डिसऑर्डर से जुड़े आपको कोई सवाल हैं, तो कृपया अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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