तनाव एक ऐसी समस्या है, जिससे अधिकतर लोग परेशान हैं। छोटी-छोटी बातों में स्ट्रेस होना आम है, लेकिन यह जब लंबे समय तक बना रहे, तो लोगों में हार्ट डिजीज और डायबिटीज जैसी समस्या का कारण बन सकता है। यही नहीं तनाव और भी कई क्रॉनिक डिजीज को जन्म दे सकता है। जिससे बचाव बहुत जरूरी है। आज हम यहां बात करें कि तनाव से हार्ट डिजीज और डायबिटीज (Heart disease and diabetes from stress) कैसे होता है और इनके कारण क्या हैं। आइए जानते हैं कि तनाव से हार्ट डिजीज और डायबिटीज (Heart disease and Diabetes from stress) के होने वाले बुरे प्रभाव से कैसे बचें? इससे पहले यह जानते हैं कि तनाव है क्या?
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स्ट्रेस क्या है (Stress)?
तनाव अच्छा है, वास्तव में यह हमारे लिए बहुत अच्छा है। क्योंकि कभी-कभी यह मोटीवेशन (Motivation) का कार्य करता है, यानि किहमें कुछ सबसे कठिन परिस्थितियों से गुजरने के लिए प्रेरणा, लचीलापन और हिम्मत प्रदान करता व सिखाता है। लेकिन यह तभी तक अच्छा है, जब यह कुछ कम मात्रा में कुछ समय के लिए ही है। पर जब तनाव किसी में लगातार और लंबे समय तक बना रहता है, तो वह उनके लिए घातक हो सकता है। जोकि कई शारीरिक बीमारियों और कमजोर मानसिक स्वास्थ्य की ओर ले जाता है। इसे समझने के सबसे आसान तरीकों में से एक यह है जब तनाव हमें सकारात्मक रूप से चुनौती देती है, जैसे कि एक नई नौकरी की चाह, कुछ नया सिखने के लिए कुछ करना या ऑफिस के काम को लेकर टेशन आदि। तो इस तरह का स्ट्रेस आपमें कुछ समय के लिए ही रहता है और उसे पूरा करने की हिम्मत देता है। लेकिन वहीं आप पैसों या रिश्तों को लेकर, आदि कारणों से लंबे समय तनाव में रहते हैं, तो तनाव से हार्ट डिजीज और डायबिटीज का बढ़ता रिस्क बढ़ सकता है।
तनाव से हार्ट डिजीज और डायबिटीज का बढ़ता खतरा (Heart disease and diabetes from stress)
तनाव के दौरान दिमाग में आने वाली नकारात्मक सोच कई हेल्थ रिस्क को बढ़ा सकती है। नकारात्मक प्रभाव संकट के रूप में जाना जाता है। सकारात्मक या नकारात्मक स्थिति, तनाव की धारणा पर निर्भर करती है, साथ ही उनके नियंत्रण की भावना और सामना करने की क्षमता पर निर्भर करती है। लंबे समय तक तनाव बने रहना संकट की ओर ले जाता है।जो बदले में हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। कई अध्ययनों ने खराब शारीरिक स्वास्थ्य और स्ट्रेस के बीच एक मजबूत संबंध पाया है। जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली यानि कि इम्यूनिटी को भी प्रभावित करता है। बढ़ता तनाव, कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम, तंत्रिका तंत्र और न्यूरो-एंडोक्राइन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। यह ग्लूकोज को चयापचय करने के लिए शरीर की क्षमता को कम करता है। कई बार बढ़ते तनाव के कारण भी शरीर में इंसुलिन का निमार्ण नहीं हो पाता है।
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तनाव से हार्ट डिजीज और डायबिटीज में संबंध (Relationship of stress to heart disease and diabetes)
किसी व्यक्ति का लंबे समय से तनाव में रहने कारण उनमें उच्च कोर्टिसोल देखने को मिलता है और इससे इंसुलिन का उत्पादन करने की क्षमता कम हो जाती है। किसी व्यक्ति का कोर्टिसोल का स्तर दिन के दौरान उच्च होता है और कभी-कभी रात में और भी अधिक बढ़ सकता है। जो अनिद्रा की ओर ले जाता है और इस प्रकार अगले दिन व्यक्ति को थकावट महसूस होती है। इसके कारण कई बार व्यक्ति चिड़चिड़े होने के साथ तनाव का स्तर और भी अधिक महसूस करने लगते हैं। ऐसे में थकान, अवसाद और कोर्टिसोल के स्तर में उतार-चढ़ाव और भी कई बीमारियों को जन्म दे सकता है । कहने की जरूरत नहीं है कि यह एक दुष्चक्र का कारण बनता है, तनाव और कोर्टिसोल के स्तर का प्रबंधन किसी के रक्त शर्करा के स्तर में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण है। वास्तविक जीवन में, जीवन में ऐसा कैसे हो सकता है और यह कैसे बदल सकता है। हमें इन पहलूओं पर भी ध्यान देना चाहिए।
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तनाव से हार्ट डिजीज और डायबिटीज से बचने के लिए टिप्स
सबसे पहले तो तनाव के बचने के लिए हमें तनाव के कारणों को जानना चाहिए। यह सोचना चाहिए कि आपमें तनाव है क्यों? उन कारणों को सुलझाने की कोशिश करें। ताकि आपमें तनाव की वजह खत्म हो। इसके अलावा तनाव से बचने के लिए और भी कई बातों पर ध्यान दें, जैसे कि आपका, अपनी नींद और व्यायाम के स्तर के बारे में जागरूक होना। यदि आप उनमें कोई बदलाव देखते हैं, जिसमें वृद्धि, कमी या गड़बड़ी शामिल है। तो मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट का एक संकेत है। इससे बचाव के लिए आप अच्छी नींद लें, नियमित अंतराल पर स्वस्थ भोजन खाएं और नियमित व्यायाम करें। किसी व्यक्ति पर भरोसा करने या विश्वास करने के लिए अक्सर बोझ हल्का होता है और भावनात्मक आराम भी देता है। आप अपने मन का बोझ किसी अपने और भरोसेमंद से बाटें। इससे आप तनाव में हल्का महसूस करेंगे।
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जैसा कि आपने यहां जाना कि तनाव से हार्ट डिजीज और डायबिटीज का रिस्क कैसे बढ़ जाता है। इसके अलावा, तनाव और भी कई हेल्थ प्रॉब्लम को जन्म दे सकता है। यदि आपमें लंबे समय से तनाव बना हुआ है, तो आपको डाॅक्टर से मिलने की जरूरत है, नहीं तो आप किसी बड़ी हेल्थ प्रॉब्लम की चपेट में आ सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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