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Carotid atherosclerosis: इस बीमारी में ब्रेन तक नहीं पहुंच पाता है खून, बढ़ जाता है स्ट्रोक का खतरा!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/05/2022

    Carotid atherosclerosis: इस बीमारी में ब्रेन तक नहीं पहुंच पाता है खून, बढ़ जाता है स्ट्रोक का खतरा!

    कैरोटिड एथेरोस्क्लेरोसिस या फिर कैरोटिड आर्टरी डिजीज (Carotid artery disease) की समस्या तब होती है, जब फैटी डिपॉजिस्ट यानी प्लाक ब्लड वैसल्स में जमने लगता है। इस कारण से ब्लड वैसल्स से खून मस्तिष्क तक नहीं पहुंच पाता है और व्यक्ति को स्ट्रोक का खतरा बढ़ने लगता है। ये एक प्रकार की इमरजेंसी होती है और व्यक्ति के लिए गंभीर स्थिति साबित हो सकती है।

    स्ट्रोक की स्थिति जब पैदा होती है, जब दिमाग में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। जब ऑक्सीजन मस्तिष्क में सही से नहीं पहुंच पाती है, तो ब्रेन सेल्स धीरे-धीरे मरने लगती हैं। स्ट्रोक मृत्यु का सबसे आम कारण है और इसकी वजह से विकलांगता भी हो सकती है। कैरोटिड एथेरोस्क्लेरोसिस या कैरोटिड आर्टरी डिजीज धीरे-धीरे डेवलप होती है और इसके कारण मस्तिष्क या ब्रेन में ब्लड फ्लो में रुकावट पैदा होती है। जानिए क्या है कैरोटिड एथेरोस्क्लेरोसिस (Carotid atherosclerosis) कारण और कैसे किया जाता है इस बीमारी का इलाज।

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    कैरोटिड एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण (Causes of  Carotid atherosclerosis)

    कैरोटिड एथेरोस्क्लेरोसिस (Carotid atherosclerosis) की समस्या एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) के कारण होती है। जब आर्टरीज में प्लाक बनना शुरू हो जाता है, तो ये समस्या पैदा होने लगती है। ऐसा कोरोनरी आर्टरी डिजीज के कारण होता है। प्लाक में कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol), फैट, सेल्युलर वेस्ट, प्रोटीन (Protein) और कैल्शियम का जमाव हो सकता है। एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) के कारण कैरोटिड आर्टरी संकुचित हो जाती है और साथ ही कम फ्लेक्सिबल रहती है। इस कारण से ब्लड फ्लो का अमाउंट ऑर्गन तक ठीक से नहीं पहुंच पाता है। जिन लोगों को हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) , हाय कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज (Diabetes), मोटापे आदि की समस्या होती है, उनके लिए कैरोटिड एथेरोस्क्लेरोसिस का रिस्क भी बढ़ जाता है। अधिक उम्र में इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। आपको इस हार्ट डिजीज या बीमारी के बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।

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    कैरोटिड एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण (Symptoms of carotid atherosclerosis)

    कैरोटिड एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण या कैरोटिड आर्टरी डिजीज के लक्षण रेयर नजर आते हैं। यानी जब समस्या की शुरुआत होती है, तो शरीर में किसी भी तरह की समस्या या भी लक्षण नजर नहीं आते हैं। जब करीब 80 परसेंट ब्लॉकेज हो जाता है, तो पेशेंट को कुछ समस्याएं महसूस होने लगती हैं। अधिक ब्लॉकेज हो जाने के बाद ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक (Transient ischemic attack) का खतरा बढ़ जाता है। इसे स्ट्रोक भी कहते हैं, जो व्यक्ति के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। जानिए कैरोटिड एथेरोस्क्लेरोसिस होने पर क्या लक्षण दिख सकते हैं।

  • कैरोटिड एथेरोस्क्लेरोसिस होने पर अचानक से कमजोरी लगना (Feeling weak)
  • शरीर के एक हिस्से में वीकनेस
  • किसी बात को समझने या बोलने में दिक्कत
  • चक्कर आना (Dizziness)
  • सिरदर्द होना
  • सिर के एक तरफ झनझनाहट
  • अगर आपको उपरोक्त में से कोई भी लक्षण नजर आए, तो आपको तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। समय पर कराई गई जांच आपको बड़े खतरे से बचाने का काम कर सकती है।

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    कैरोटिड आर्टरी डिजीज (Carotid Artery Disease) को कैसे किया जाता है डायग्नोज?

    कैरोटिड आर्टरी डिजीज (Carotid Artery Disease) को डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट करते हैं। टेस्ट के माध्यम से बीमारी के बारे में जानकारी मिलती है। डॉक्टर पेशेंट के कुछ अर्ली साइन के माध्यम से भी बीमारी के बारे में पता लगाने की कोशिश करते हैं।फिजकल एक्जाम के दौरान डॉक्टर हार्टबीट (Heartbeat) चेक करने के साथ ही नेक के पास आर्टरीज को भी सुनते हैं। इससे कैरोटिड वैसल्स के बारे में जानकारी मिलती है। डॉक्टर स्ट्रेंथ के साथ ही मैमोरी की भी जांच कर सकते हैं। कैरोटिड अल्ट्रासाउंट (Carotid ultrasound) की हेल्प से वैसल्स में ब्लड के प्रेशर की जांच की जाती है।

    वहीं सीटी एंजियोग्राफी के जरिए वैसल्स का एक्स-रे किया जाता है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर हेड सीटी स्कैन (Head CT scan) कराने की सलाह भी देते हैं। वहीं एमआरआई स्कैन (MRI scan) की हेल्प से ब्रेन टिशू के बारे में जानकारी मिलती है। कुछ केसेज में सेरिब्रल एंजियोग्राफी की भी जरूरत पड़ती है, जिसमें कैरोटिड आर्टरी में फ्लेक्सिबल, पतली ट्यूब (catheter) डाली जाती है। फिर डाई और एक्स-रे (X-ray) की हेल्प से अनियमितताओं की जांच की जाती है। अगर आपको कैरोटिड आर्टरी डिजीज (Carotid Artery Disease) के डायग्नोसिस के संबंध में विस्तृत जानकारी चाहिए, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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    कैरोटिड आर्टरी डिजीज (Carotid Artery Disease) का ट्रीटमेंट

    कैरोटिड आर्टरी में बनने वाले ब्लड क्लॉट ब्लड फ्लो को ब्लॉक करने का काम करते हैं। ब्लड क्लॉट कैरोटिड आर्टरी में टूट जाते हैं और फिर ब्रेन की स्मॉलर आर्टरी को ब्लॉक करने का काम करते हैं। डॉक्टर बीमारी को डायग्नोज करने के बाद स्मोकिंग (Smoking) छोड़ने की सलाह से लेकर बेहतर लाइफस्टाइल अपनाने की सलाह देते हैं। अगर आपको पहले से ही हार्ट डिजीज है, तो आपको अधिक सावधान रहने की जरूरत है। हार्ट डिजीज के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

    डॉक्टर आपको कुछ दवाओं का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं। अधिक गंभीर समस्या में डॉक्टर कैरोटिड आर्टरी को खोलकर ब्लॉक को हटाने की कोशिश करते हैं। इसके लिए कैरोटिड एंडार्टेरेक्टॉमी (Carotid endarterectomy) सर्जरी की मदद ली जा सकती है। सर्जरी की हेल्प से भविष्य में होने वाले स्ट्रोक के खतरे को भी कम किया जा सकता है। डॉक्टर अन्य ऑप्शन के रूप में कैरोटिड आर्टरी स्टेंट (carotid artery stent) का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। स्टेंट की सहायता से आर्टरी को खोलने में मदद मिलती है और ब्लॉकेज की समस्या हल हो जाती है। अगर आपको इस बारे में अधिक जानकारी चाहिए, तो बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से इस संबंध में जानकारी लें।

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    अगर आपको शरीर में किसी भी तरह का बदलाव महसूस हो, तो बिना देरी किए डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। बीमारी की शुरुआत में पकड़ उसे फैलने से रोकती है या फिर भविष्य में होने वाले गंभीर खतरों से भी बचाती है। आपको रोजाना हेल्दी फूड्स का सेवन करना चाहिए। रोजाना एक्सरसाइज के साथ ही बुरी आदतों से दूरी भी आपको हार्ट संबंधी समस्याओं से दूर रखने का काम करेगी।

    हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से कैरोटिड एथेरोस्क्लेरोसिस (Carotid atherosclerosis)  के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

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