कोलेस्ट्रॉल एक वैक्सी सब्सटांस है, जो ब्लड में पाया जाता है। हमारे शरीर को हेल्दी सेल्स को बनाने के लिए कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है। लेकिन, कोलेस्ट्रॉल के हाय लेवल से हार्ट डिजीज के जोखिम बढ़ जाता है। हाय कोलेस्ट्रॉल लेवल से ब्लड वेसल्स में फैटी डिपॉजिट्स विकसित हो सकता है। कई बार इसके कारण हार्ट अटैक को स्ट्रोक का रिस्क भी बढ़ सकता है। ऐसा माना जाता है कि कई खाद्य पदार्थ भी हाय कोलेस्ट्रॉल लेवल का कारण बन सकते हैं। झींगा यानी श्रिम्प को इनमें से एक माना जाता है। आज हम बात करने वाले हैं श्रिम्प और हार्ट डिजीज (Shrimp and Heart Health) के बीच के कनेक्शन के बारे में। लेकिन श्रिम्प और हार्ट डिजीज (Shrimp and Heart Health) से पहले जान लेते हैं कि क्या श्रिम्प में हाय कोलेस्ट्रॉल होता है?।
क्या श्रिम्प में हाय कोलेस्ट्रॉल होता है?
ऐसा माना जाता है कि सौ ग्राम श्रिम्प में 189 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। यह भी कहा जाता है कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को सही रखने के लिए अपने खानपान का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। एक हेल्दी ईटिंग पैटर्न को फॉलो करने वाले व्यक्ति को रोजाना 100 से 300 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल का सेवन करने की सलाह दी जाती है। पहले डॉक्टर ऐसा मानते थे कि सभी कोलेस्ट्रॉल हेल्थ के लिए बुरे होते हैं। लेकिन अब रीसर्च के मुताबिक हाय डेंसिटी लिपोप्रोटीन (High density lipoprotein) या गुड कोलेस्ट्रॉल, लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन यानी बैड कोलेस्ट्रॉल के बुरे प्रभाव को बैलेंस कर सकता है। इसका परिणाम एक हेल्दी बैलेंस होता है।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो गुड कोलेस्ट्रॉल हार्ट डिजीज के रिस्क को कम कर सकता है, जबकि बैड कोलेस्ट्रॉल इस रिस्क को बढ़ा सकता है। यह तो थी जानकारी श्रिम्प और कोलेस्ट्रॉल के बारे में। अब जानते हैं श्रिम्प और हार्ट डिजीज (Shrimp and Heart Health) के बीच के कनेक्शन के बारे में।
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श्रिम्प और हार्ट डिजीज (Shrimp and Heart Health) के बीच में क्या है लिंक जानिए
ऐसा भी पाया गया है कि श्रिम्प यानी झींगा खाने से हाय डेंसिटी लिपोप्रोटीन (High density lipoprotein) या गुड कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ सकता है। लेकिन, इससे बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी बढ़ सकता है। ऐसा भी माना जाता है कि श्रिम्प हार्ट हेल्थ को बदतर नहीं बनाता है बल्कि उसके लिए लाभदायक हो सकता है। ऐसे फूड्स जिनमें सैचुरेटेड और ट्रांस फैट्स हाय होते हैं, वो बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ा सकते हैं। हालांकि, सौ ग्राम के श्रिम्प में 0.3 ग्राम फैट होता है जो अधिकतर अनसेचुरेटेड होता है।
अन्य शब्दों में कहा जाए तो श्रिम्प में पाया जाने वाला फैट कंटेंट आमतौर पर बैड कोलेस्ट्रॉल को नहीं बढ़ाता है। स्टडीज यह भी बताती हैं कि अधिकतर फूड्स जिनमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है उनमें सैचुरेटेड फैट अधिक होता है। लेकिन, श्रिम्प और एग योल्क एक्सेप्शन्स हैं। यह दोनों में सैचुरेटेड फैट कम होते हैं लेकिन अन्य न्यूट्रिएंट्स अधिक होते हैं।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) ने भी श्रिम्प को उन फूड्स की श्रेणी में रखा था जिनमें कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है। श्रिम्प में कुछ ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं। यह हेल्थफुल फैट हैं जो कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम और अन्य बॉडी फंक्शन्स के लिए लाभदायक है। यह तो आप समझ ही गए होंगे कि श्रिम्प और हार्ट डिजीज (Shrimp and Heart Health) के बीच में क्या लिंक है। लेकिन श्रिम्प के सेवन से कुछ लोग कई समस्याओं का अनुभव कर सकते हैं या इसके सेवन से कुछ चीजों के जोखिम बढ़ सकते हैं। आइए जानें इन जोखिमों के बारे में।
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श्रिम्प और हार्ट डिजीज (Shrimp and Heart Health): श्रिम्प के कारण होने वाले जोखिम
श्रिम्प के सेवन से कोलेस्ट्रॉल लेवल तो नहीं बढ़ता है लेकिन इसके कारण लोग कई परेशानियां महसूस कर सकते हैं। हालांकि, यह हार्ट हेल्दी है लेकिन हो सकता है कि इसे पकाने का तरीका हेल्दी न हो। इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कि यह हार्ट हेल्दी हो या इसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम हो, हमें इसे बेक, उबाल, ग्रिल या बिलकुल कम तेल में पकाना चाहिए। इसमें साथ ही आप मसलों, लहसुन या हर्ब्स आदि का इस्तेमाल भी इसे पकाने में कर सकते हैं। लेकिन इसे कभी भी फ्राय, अधिक तेल, बटर या घी में न पकाएं। इसे अधिक नमक में पकाने से भी बचें। इसके साथ ही इन चीजों का भी ध्यान रखें:
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पोलूटेंट्स (Pollutants)
स्टोर या जहां से भी आप झींगा खरीद रहे हैं वहां सबसे पहले इसकी पैकिंग को चेक करें। इसके साथ ही यह भी पता करें कि इसे कहां से लाया गया है। श्रिम्प को समुद्र से किसी प्रदूषित जगह से उठाया जा सकता है। हालांकि, पैकिंग के ऊपर लिखे लेबल से इस बात का पता नहीं चलता है कि श्रिम्प सेफ है। इसके अलावा, मर्क्युरी किसी तरह के सीफूड को लेकर चिंता का विषय हो सकता है। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि श्रिम्प में मर्क्युरी की मात्रा कम होती है।
स्टोरेज और कुकिंग (Storage and cooking)
हमेशा श्रिम्प को रिलाएबल सोर्सेज से ही खरीदें। क्योंकि, सही से इसे स्टोर न करने पर फूड पोइज़निंग का जोखिम बढ़ सकता है। इसे ठंडा रखना जरूरी है। लेकिन, इसे कितने तापमान पर स्टोर करना यह जानकारी होना आवश्यक है। कुकिंग के बाद भी श्रिम्प तो तुरंत ठंडा कर के दो घंटों के अंदर फ्रिज में फिर से रखना जरूरी है। इस बात का भी ध्यान रखें कि इसे सही तरीके से ही पकाएं। श्रिम्प और हार्ट डिजीज (Shrimp and Heart Health) के लिंक के साथ यह जानकारी भी जरूरी है।
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एलर्जी (Allergies)
उम्मीद है कि श्रिम्प और हार्ट डिजीज (Shrimp and Heart Health) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। श्रिम्प के सेवन के बाद कुछ लोग एलर्जी महसूस कर सकते हैं। श्रिम्प शेलफिश है, इसलिए जिन लोगों को शैलफिश से एलर्जी है, उन्हें इसे खाने से बचना चाहिए। जिन लोगों को शैलफिश से एलर्जी है उन्हें हर एक चीज से बचना चाहिए जो श्रिम्प के कांटेक्ट में आई हों, जिन्हें इसे पकाने वाले बर्तन भी शामिल हैं। अगर कोई इसे गलती से खा लेता है, तो एलर्जी के लक्षणों को पहचानें। यह लक्षण इस प्रकार हैं:
- हाइव्स या रैश
- सूजन
- सांस लेने में समस्या
अगर किसी व्यक्ति को इनमें से कोई भी लक्षण नजर आएं तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें। क्योंकि, गंभीर एलर्जिक रिएक्शन जानलेवा हो सकते हैं। श्रिम्प में एक प्रोटीन होता है जिसे ट्रोपोमायोसीन (Tropomyosin) कहा जाता है। यह प्रोटीन कुछ लोगों में गंभीर एलर्जिक रिएक्शन का कारण बन सकती है। श्रिम्प एलर्जी का एकमात्र उपचार है अपनी डायट से पूरी तरह से श्रिम्प को निकाल देना। ओवरआल श्रिम्प यानी झींगा एक हेल्दी फूड है और बैलेंस डायट का हिस्सा है।
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यह तो थी श्रिम्प और हार्ट डिजीज (Shrimp and Heart Health) के बारे में पूरी इंफॉर्मेशन। डॉक्टर श्रिम्प यानी झींगा को अधिकतर लोगों के लिए सुरक्षित मानते हैं, फिर चाहे उनका कोलेस्ट्रॉल लेवल कैसा भी हो। क्योंकि श्रिम्प के सेवन से कई जरूरी न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं। अगर आप ऐसा मानते हैं कि श्रिम्प खाने से हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ता है, तो यह शंका अपने दिमाग से निकाल दें। अगर आप कोई स्ट्रिक्ट डायट फॉलो कर रहे हैं तो इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर या डायटीशियन से पूछ लें। यही नहीं, अगर आपको इससे एलर्जी है तो इसका सेवन करने से बचें। अगर आपके मन में इसके बारे में कोई भी सवाल है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें।
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