हार्ट या दिल हमारे शरीर का एक मस्कुलर ऑर्गन है, जो ब्लड पंप का काम करता है। यह पूरे शरीर में ऑक्सीजन युक्त ब्लड को पहुंचाने का काम करता है। अगर किसी कारण से ब्लड को पंप करने में दिक्कत हो जाती है, तो शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं पहुंच पाता है। इसे गंभीर स्थिति माना जाता है। वहीं हार्ट फेलियर शब्द से मतलब है कि हार्ट ठीक तरह से काम नहीं कर पाता है।हार्ट फेलियर का यह बिल्कुल मतलब नहीं है कि हार्ट बिल्कुल काम करना बंद कर दे। अगर ऐसा हो जाए, तो व्यक्ति मर जाता है। हार्ट फेलियर से मतलब हार्ट के कमजोर होने से होता है या फिर हार्ट के प्रभावी ढंग से रक्त को पंप ना कर पाने से होता है। हार्ट फेलियर की समस्या को कैसे डायग्नोज किया जाता है और कौन से लक्षण होते हैं जिनको देखने के बाद डॉक्टर इस बीमारी को डायग्नोज कराने की सलाह देते हैं, आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे।
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हार्ट फेलियर का डायग्नोज (Diagnosing Heart Failure)
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि हार्ट फेलियर का डायग्नोज (Diagnosing Heart Failure) करने से पहले डॉक्टर आपसे उन लक्षणों के बारे में पूछेंगे, जो आपने कुछ समय में महसूस किए हैं। डॉक्टर सबसे पहले शारीरिक परीक्षण करते हैं। शारीरिक परीक्षण के दौरान व्यक्ति का वजन नापना, स्टेथोस्कोप (Stethoscope) के से हार्टबीट की जांच करना, गले की नस को टेस्ट करना आदि किया जाता है। डॉक्टर गले की नस दबाव (जेवीपी) के माध्यम से भी टेस्ट कर सकते हैं। नस की मदद से यह जानने की कोशिश करते हैं कि दिल में खून सही ढंग से पहुंच रहा है कि नहीं। जिन लोगों को हार्ट फेलियर की समस्या हो जाती है, उन्हें जरा सा काम करने के बाद ही थकान का अनुभव होने लगता है। साथ ही ऐसे व्यक्तियों को सांस लेने में भी तकलीफ होती है। खांसी आना, कंसंट्रेट करने में मुश्किल होना, वेट का बढ़ जाना, पेट में सूजन आ जाना आदि लक्षण देख सकते हैं। डॉक्टर शारीरिक परीक्षण करने के बाद अन्य टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। आइए जानते हैं हार्ट फेलियर का डायग्नोज (Diagnosing Heart Failure) कैसे किया जाता है।
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हार्ट फेलियर का डायग्नोज करने के लिए टेस्ट
हार्ट फेलियर का निदान करने के लिए आपका डॉक्टर निम्न में से एक या अधिक परीक्षणों की सलाह दे सकता है। जरूरी नहीं है कि सभी टेस्ट कराने की सलाह दी जाए। हम आपको यहां कुछ टेस्ट के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
- डॉक्टर सबसे पहले ब्लड टेस्ट कर सकते हैं। ब्लड टेस्ट (Blood test) की मदद से डॉक्टर को बायोमार्कर की जांच करने में मदद मिलेगी। जैसे कि बी-टाइप नैट्रियूरेटिक पेप्टाइड (बीएनपी) या प्रो-बीएनपी आदि हार्ट फेलियर के दौरान बढ़ जाते हैं।
- इकोकार्डियोग्राम, या इको एक नॉनइंवेसिव टेस्ट है, जो हार्ट के इंजेक्शन फ्रक्शन को साउंड वेव की मदद से मापता है। यह लेफ्ट वेंट्रिकल में ब्लड का प्रतिशत है, जिसे शरीर में पंप किया जाता है। यह इस बात का एक महत्वपूर्ण संकेत है कि आपका हार्ट कितनी अच्छी तरह रक्त पंप करता है।
- कार्डिएक सीटी स्कैन (Cardiac CT scans) और कार्डिएक एमआरआई स्कैन (cardiac MRI scans) हृदय शरीर रचना ( heart anatomy)और कार्य के बारे में जानकारी देते हैं।
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- वहीं कार्डिएक कैथीटेराइजेशन (Cardiac catheterization) की मदद से ब्लड वैसल्स के ब्लॉक होने या फिर न होने के बारे में जानकारी मिलती है। इस दौरान ब्लड वैसल्स में कैथेटर रखा जाता है।
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम या ईसीजी या ईकेजी की मदद से हार्ट बीट के बारे में जानकारी मिलती है। इस दौरान छाती पर लगाए गए इलेक्ट्रोड हृदय गति को रिकॉर्ड करने के लिए कंप्यूटर से जुड़े होते हैं।
- डॉक्टर स्ट्रेस टेस्ट की भी मदद ले सकते हैं। इस दौरान ट्रेडमिल की मदद से ये पता लगाने की कोशिश की जाती है कि आपका दिल कैसे काम कर रहा है।
- डॉक्टर चेस्ट एक्स-रे भी कर सकते हैं। छाती का एक्स-रे फेफड़ों में या उसके आसपास बढ़े हुए हार्ट फ्लूड की जांच कर सकता है।
डॉक्टर पहले पेशेंट से लक्षणों के बारे में जानकारी लेते हैं और उसके बाद ही उपरोक्त दिए गए टेस्ट में कुछ या सभी टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। आपको इसके बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी लेनी चाहिए।
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हार्ट फेलियर के निदान के बाद इलाज है जरूरी
डॉक्टर हार्ट फेलियर डायग्नोज करने के बाद बीमारी का ट्रीटमेंट शुरू कर देते हैं। डॉक्टरों बीमारी के लक्षणों की मदद से पर्टिकुलर क्लास को भी पहचान लेते हैं। ऐसा लक्षणों के आधार पर पता चल जाता है। इसके बाद डॉक्टर पेशेंट को अस्पताल में रहने के लिए भी कह सकते हैं। जब तक की पेशेंट का स्वास्थ्य ठीक ना हो जाए, आपको हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की सलाह दी जाती है। एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि हेल्दी लाइफस्टाइल में एक-दो दिन में अपनाने से कुछ नहीं हो सकता है। आपको इसके लिए लंबे समय तक हेल्दी हैबिट्स को अपनाना होगा। आपको शराब का सेवन बंद करना होगा और स्मोकिंग से दूरी बनानी होगी। स्ट्रेस को कम करने के लिए मेडिटेशन का सहारा लेना होगा। खाने में नमक, शक्कर की कम मात्रा शामिल करनी होगी और साथ ही पर्याप्त मात्रा में नींद भी लेनी होगी। ऐसा करने से आपका स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।
आपको डॉक्टर हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की सलाह देने के साथ ही कुछ मेडिसिंस लेने की सलाह भी देंगे। इसमें बीटा ब्लॉकर्स (beta-blockers), मिनरलोकॉर्टिकॉइड रिसेप्टर एंटागोनिस्ट, सोडियम-ग्लूकोज सह-ट्रांसपोर्टर 2 अवरोधक आदि लेने की सलाह दी जा सकती है। आपको हार्ट सर्जरी, इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर या मैकेनिकल हार्ट पंप आदि की जरूरत भी पड़ सकती है। डॉक्टर लास्ट ऑप्शन के तौर पर हार्ट ट्रांसप्लांट भी कर सकते हैं। आपको हार्ट फेलियर का डायग्नोज (Diagnosing Heart Failure) के साथ ही हार्ट फेलियर के ट्रीटमेंट के बारे में डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए।
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हार्ट फेलियर एक गंभीर स्थिति है, जिसे मैनेज करना बहुत जरूरी है। अगर आपको हार्ट फेलियर के लक्षण दिखाई पड़ते हैं, तो आपको उन्हें इग्नोर नहीं करना चाहिए बल्कि तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। डॉक्टर लक्षणों के आधार पर बीमारी को डायग्नोज करते हैं और साथ ही आगे होने वाली किसी भी बड़ी बीमारी से बचाने के लिए आपको कई उपाय भी बताते हैं। ऐसे में खान-पान पर ध्यान देना, समय पर दवाओं का सेवन करना और हेल्दी लाइफस्टाइल जीना मुख्य होता है।
इस आर्टिकल में हमने आपको हार्ट फेलियर का डायग्नोज (Diagnosing Heart Failure) से संबंधित जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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