हार्ट फेलियर का यह अर्थ नहीं है कि हमारे हार्ट ने काम करना बंद कर दिया है। बल्कि, इसका अर्थ यह है कि हार्ट सामान्य से कम प्रभावी ढंग से काम कर रहा है। कई कारणों से हमारा ब्लड शरीर में स्लो रेट से मूव करता है और हार्ट में दबाव बढ़ जाता है। इसके कारण, हार्ट शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स को पंप नहीं कर सकता है। हार्ट फेलियर ऐसी स्थिति या लक्षणों का संग्रह है, जो आपके दिल को कमजोर या थिक कर सकता है। हार्ट फेलियर की कुछ क्लासेस यानी श्रेणियां भी हैं जिनके बारे में जानकारी होना आवश्यक है। आज हम हार्ट फेलियर की क्लासेस (Classes of Heart Failure) के बारे में ही बात करने वाले हैं। लेकिन, हार्ट फेलियर की क्लासेस (Classes of Heart Failure) से पहले इसके लक्षणों और कारणों के बारे में थोड़ा जान लेते हैं।
हार्ट फेलियर (Heart Failure) के क्या हैं लक्षण?
कुछ लोगों को इस कंडिशन में कोई भी लक्षण नजर नहीं आते हैं या कई बार यह लक्षण माइल्ड से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। यह लक्षण कॉन्स्टेंस हो सकते हैं या आ-जा सकते हैं। इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
- जब आप कोई एक्टिविटी कर रहे हैं या जब आप लेटे हों, तो सांस लेने में समस्या होना
- थकावट और कमजोरी
- टांगों, एड़ियों और पैरों में सूजन
- हार्टबीट का तेज या इर्रेगुलर होना
- एक्सरसाइज की एबिलिटी का कम होना
- लगातार खांसी होना
- पेट में सूजन
- फ्लूइड बिल्डअप से बहुत तेजी से वजन का बढ़ना
- जी मिचलाना और भूख का कम लगना
- कंसन्ट्रेटिंग और अलर्टनेस में समस्या होना
हार्ट फेलियर की क्लासेस (Classes of Heart Failure) के बारे में जानने से पहले इसके कारणों के बारे में भी जान लेते हैं।
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हार्ट फेलियर (Heart Failure) के क्या हैं कारण?
हार्ट फेलियर अधिकतर अन्य कंडिशंस से जुड़ा होता है। हार्ट फेलियर का सबसे सामान्य कारण है कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease)। यह एक डिसऑर्डर है, जो उन आर्टरीज के तंग होने के कारण होता है जो हार्ट तक ब्लड और ऑक्सीजन को सप्लाई करती हैं। अन्य कंडिशंस जो हार्ट फेलियर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं, वो इस प्रकार हैं:
- कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy)
- जन्मजात हृदय दोष (Congenital heart disease)
- हार्ट अटैक (Heart attack)
- हार्ट वॉल्व डिजीज (Heart valve disease)
- खास तरह के एरिथमिया या असामान्य हार्ट रिदम (Arrhythmia)
- हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
- अनट्रीटेड स्लीप एप्निया (Untreated Sleep Apnea)
- डायबिटीज (Diabetes)
- ओवरएक्टिव या अंडरएक्टिव थायरॉइड (Overactive ya underactive thyroid)
- ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (Human immunodeficiency virus)
- एनीमिया के गंभीर प्रकार (Severe forms of anemia)
- खास कैंसर ट्रीटमेंट जैसे कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
- सब्सटांस मिसयूज डिसऑर्डर (Substance Misuse Disorders)
अब जानते हैं हार्ट फेलियर की क्लासेस (Classes of Heart Failure) के बारे में।
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हार्ट फेलियर की क्लासेस (Classes of Heart Failure)
डॉक्टर आमतौर पर रोगी में हार्ट फेलियर को उसके लक्षणों की गंभीरता के आधार पर क्लासिफाय करते हैं। नीचे दिया टेबल सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाले क्लासिफिकेशन सिस्टम को डिस्क्राइब करता है। इसमें रोगियों को शारीरिक गतिविधि के दौरान वो कितने लिमिटेड रहते हैं, इसके आधार पर चार श्रेणियों में से एक में रखा गया है। रोगी में लक्षणों के आधार पर इसकी टाइप्स प्रकार हैं:
- क्लास 1: इसमें फिजिकल एक्टिविटी में कोई लिमिटेशन नहीं होती। सामान्य शारीरिक गतिविधि से रोगी को अनावश्यक थकान, पल्पिटेशन, डिस्पेनिया (सांस लेने में तकलीफ) नहीं होती है।
- हार्ट फेलियर की क्लासेस में क्लास 2: फिजिकल एक्टिविटी में थोड़ी लिमिटेशन होती है। सामान्य शारीरिक गतिविधि के परिणामस्वरूप थकान, पल्पिटेशन, डिस्पेनिया (सांस की तकलीफ) होती है।
- क्लास 3: इसमें फिजिकल एक्टिविटी लिमिटेड होती है। रेस्ट करना कम्फर्टेबल होता है। सामान्य से कम गतिविधि के कारण थकान, धड़कन या सांस की तकलीफ होती है।
- हार्ट फेलियर की क्लासेस में क्लास 4: बिना किसी परेशानी के कोई भी शारीरिक गतिविधि करने में असमर्थ रहना। इसमें आराम करने पर हार्ट फेलियर के लक्षण नजर आते हैं। यदि कोई शारीरिक गतिविधि की जाती है, तो बैचेनी बढ़ जाती है।
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ऑब्जेक्टिव असेसमेंट (Objective Assessment) के अनुसार हार्ट फेलियर की क्लासेस (Classes of Heart Failure) इस प्रकार हैं:
- A : इसमें कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का कोई ऑब्जेक्टिव एविडेंस नहीं है। सामान्य फिजिकल एक्टिविटी में कोई लक्षण और कोई सीमा नहीं है।
- B : इसमें मिनिमम कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का ऑब्जेक्टिव एविडेंस है। सामान्य गतिविधि के दौरान हल्के लक्षण और स्लाइट लिमिटेशन देखने को मिलती है।
- C : मॉडेरटेली गंभीर कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का ऑब्जेक्टिव एविडेंस मिलते हैं। सामान्य से कम गतिविधि के दौरान भी लक्षणों के कारण एक्टिविटी में लिमिटेशन हो सकती है। रोगी को आराम करने पर ही अच्छा महसूस होता है
- D : इसमें रोगी को गंभीर कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के ऑब्जेक्टिव एविडेंस मिलते हैं। रेस्ट के दौरान भी लक्षणों का अनुभव होता है।
रोगी जिनमें कम या बिलकुल भी लक्षण नजर न आएं। लेकिन, उनके एओर्टिक वॉल्व में एक लार्ज प्रेशर ग्रेडिएंट या मुख्य कोरोनरी आर्टरी के गंभीर ऑब्स्ट्रक्शन हो, तो उन्हें फंक्शन कैपेसिटी I और ऑब्जेक्टिव असेसमेंट D में क्लासिफाइड किया जाता है। रोगी जो गंभीर एंजाइनल सिंड्रोम (Anginal syndrome) से पीड़ित हों। लेकिन उनमें एंजियोग्राफिक रूप से कोरोनरी आर्टरीज सामान्य हों। तो उन्हें फंक्शन कैपेसिटी IV, और ऑब्जेक्टिव असेसमेंट A में क्लासिफाइड किया जाता है। यह तो थी हार्ट फेलियर की क्लासेस (Classes of Heart Failure) के बारे में जानकारी। अब जानते हैं कि हार्ट फेलियर से कैसे बचा जा सकता है?
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हार्ट फेलियर (Heart Failure) से कैसे बचा सकता है?
हार्ट फेलियर से बचने के लिए इसके रिस्क फैक्टर्स को कम करना शामिल है। हम हेल्दी लाइफस्टाइल, सही दवा लेने और डॉक्टर की सलाह का पालन करने से हार्ट डिजीज के कई रिस्क फैक्टर्स को कम किया जा सकता है। जन्मजात हार्ट फेलियर को अवॉयड करने के लिए उन कंडिशंस को नजरअंदाज करना शामिल हैं जो इसका कारण बनती हैं। हार्ट फेलियर से कैसे बचें:
स्मोकिंग करने से बचें
अगर आप स्मोकिंग नहीं करते हैं तो इस बुरी आदत को शुरू भी न करें। यह आर्टेरियल डैमेज का बड़ा कारण है, जो हार्ट फेलियर की वजह बन सकता है। सेकंडहैंड स्मोकिंग से भी बचें।
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हार्ट हेल्दी डायट को फॉलो करें
हार्ट हेल्दी डायट का सेवन करना बेहद जरूरी है। अपने आहार में अधिक फल, सब्जियों और साबुत अनाज अधिक को शामिल करें। सैचुरेटेड फैट्स, शुगर, सोडियम आदि का सेवन करने से बचें। हार्ट हेल्दी डायट के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर और डायटीशियन से बात करें।
वजन कम करें
अगर आप ओवरवेट हैं तो सही डायट के साथ ही फिजिकल एक्टिव रहने भी जरूरी है। इससे आपके हार्ट और आपको सम्पूर्ण रूप से हेल्दी रहने में मदद मिलेगी। अगर आपको हार्ट डिजीज या कोई भी समस्या है, तो ट्रीटमेंट प्लान को फॉलो करें।
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उम्मीद है कि हार्ट फेलियर की क्लासेस (Classes of Heart Failure) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होंगी। हार्ट फेलियर एक लॉन्ग-टर्म कंडिशन है, जिसमें कॉम्प्लीकेशन्स से बचने के लिए ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। अगर हार्ट फेलियर का उपचार न किया जाए तो हार्ट वीक हो सकता है जिससे गंभीर कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती हैं। ऐसे में हार्ट फेलियर के लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है। ताकि, सही समय पर इसका उपचार हो सके। अगर इसके बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है, तो डॉक्टर से उस बारे में अवश्य बात करें।
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