स्टेनोसिस शब्द का मतलब किसी संकुचित संरचना से होता है, जो ठीक से खुल नहीं पाती है। हार्ट वॉल्व स्टेनोसिस (Heart Valve Stenosis) के कारण हार्ट की वॉल्व के फ्लैप मोटे, सख्त और फ्यूज हो जाते हैं। इस कारण से हार्ट वॉल्व पूरी तरह से खुल नहीं पाती है। हार्ट वॉल्व ठीक प्रकार से न खुल पाने के कारण हार्ट को ब्लड को बॉडी में पंप करने में समस्या होती है और शरीर में जरूरी ऑक्सीजन की मात्रा भी नहीं पहुंच पाती है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि जिन लोगों को हार्ट वॉल्व स्टेनोसिस की समस्या से गुजरना पड़ता है, उनको बहुत से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको हार्ट वॉल्व स्टेनोसिस (Heart Valve Stenosis) के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही ये भी बताएंगे कि अगर किसी व्यक्ति को हार्ट से जुड़ी ये समस्या हो जाए, तो किस तरह का ट्रीटमेंट दिया जाता है।
और पढ़ें:हार्ट फेलियर से बचने के लिए किन आयनोट्रोप्स का किया जाता है इस्तेमाल?
हार्ट वॉल्व स्टेनोसिस (Heart Valve Stenosis) के कारण
हार्ट से संबंधित सभी प्रकार की बीमारियां एंज के साथ ही कॉमन हो जाती हैं। कुछ लोगों को जन्मजात हार्ट संबंधित बीमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर करीब 1% से 2% प्रतिशत तक आबादी एब्नार्मल बाइकस्पिड वॉल्व (abnormal bicuspid valve) की समस्या से साथ जन्म लेती है। इस समस्या के कारण तीन फ्लैप की बजाय दो फ्लैप एक साथ जुड़े होते हैं। इस कारण से ब्लड फ्लो में समस्या होती है।
कितने प्रकार के होते हैं हार्ट वॉल्व स्टेनोसिस (Heart Valve Stenosis)?
हार्ट वॉल्व स्टेनोसिस चार प्रकार के होते हैं। एओर्टिक स्टेनोसिस, ट्राईकस्पिड स्टेनोसिस, पल्मोनरी स्टेनोसिस और मिट्रियल स्टेनोसिस। जानिए हार्ट वॉल्व स्टेनेसिस हो जाने पर किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
और पढ़ें: जन्मजात होती है कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज, इन बातों का रखें ध्यान
एओर्टिक स्टेनोसिस (Aortic stenosis)
हार्ट वॉल्व स्टेनोसिस में एओर्टिक स्टेनोसिस शामिल है। एओर्टिक स्टेनोसिस की समस्या में महाधमनी के वॉल्व में खराबी आ जाती है जिसके कारण वो ठीक से खुल नहीं पाते हैं। वॉल्व ठीक से खुल न पाने के कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों में ब्लड की सप्लाई ठीक प्रकार से हो नहीं पाती है। जन्मजात एओर्टिक स्टेनोसिस (congenital Aortic stenosis) की समस्या होने पर समय के साथ समस्या अधिक गंभीर होती चली जाती है। डॉक्टर जांच के बाद सर्जरी कराने की सलाह देते हैं, ताकि वॉल्व को खोला जा सके और खून के संचार को पहले की तरह ठीक किया जा सके।
एओर्टिक स्टेनोसिस की समस्या (Aortic stenosis) का सामना उन लोगों को करना पड़ सकता है, जिनमें अधिक मात्रा में कैल्शियम (calcium) जमने की समस्या हो जाती है। इस कारण से वॉल्व का रास्ता संकरा हो जाता है। एओर्टिक स्टेनोसिस की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। इस समस्या के कारण सीने में दर्द के साथ ही चक्कर का एहसास भी हो सकता है। कुछ लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत महसूस हो सकती है। मेडिकेशन के साथ ही वॉल्व रिप्लेसमेंट इस समस्या से निजात दिला सकता है।
और पढ़ें: हार्मोन्स में असंतुलन बन सकता है मेनोपॉज में होने वाली हार्ट पैल्पिटेशन का कारण
ट्राइकस्पिड वाल्व स्टेनोसिस (Tricuspid Valve Stenosis)
जब ट्राइकस्पिड वाल्व ओपनिंग संकरी हो जाती है, तो ट्राइकस्पिड वाल्व स्टेनोसिस (Tricuspid Valve Stenosis) की समस्या पैदा हो जाती है। ट्राइकस्पिड स्टेनोसिस के कारण हार्ट के राइट साइड में अपर एट्रियम और लोअर वेट्रिकल में ब्लड फ्लो नहीं हो पाता है। इस कारण से राइट एट्रियम इंलार्ज्ड (enlarged atrium) हो जाती है और पास के चैंबर और वेंस में प्रेशर और ब्लड फ्लो में असर पड़ता है। राइट एट्रियम में प्रेशर कम हो सकता है क्योंकि राइट एट्रियम में ब्लड फ्लो कम हो जाता है। इस कारण से कम ब्लड लंग से ऑक्सीजन ले पाते हैं। इस कारण से पेशेंट को चेस्ट में दर्द हो सकता है। साथ ही पैरों में सूजन और थकान का एहसास (fatigue) हो सकता है। सर्जिकल रिपेयर की मदद से इस समस्या से निजात पाया जा सकता है।
पल्मोनरी स्टेनोसिस (Pulmonary valve stenosis)
पल्मोनरी स्टेनोसिस की समस्या पल्मोनरी वॉल्व की ओपनिंग में संकुचन के कारण होती है। पल्मोनरी स्टेनोसिस के कारण लोअर राइट चैम्बर से ब्लड पल्मोनरी ऑर्टरी में जाने से बाधित होता है। यहां से ब्लड लंग में जाता है। ऐसा जन्मजात हार्ट डिफेक्ट के कारण होता है। ये समस्या एडल्ट्स में रेयर होती है। ये बर्थ डिफेक्ट के रूप में पाई जाती है। इसे चाइल्डहुड में डायग्नोज कर लिया जाता है।अगर पल्मोनरी स्टेनोसिस की समस्या माइल्ड है, तो लोगों में इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं या फिर उन्हें बीमारी के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है। वहीं कुछ लोगों में इस समस्या के कारण थकान, सांस लेने में दिक्कत, चेस्ट पेन (Chest pain), दिल की असामान्य ध्वनि (Heart murmur) आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जब राइट वेट्रिकल में प्रेशर अधिक हो जाता है, तो हार्ट फेल का खतरा बढ़ जाता है। इस कारण से रिपेयर्ड या फिर रिप्लेस सर्जरी की हेल्प ली जाती है।
और पढ़ें: क्या प्रेग्नेंसी के दौरान हार्ट पैल्पिटेशन सामान्य है?
माइट्रियल वॉल्व स्टेनोसिस (Mitral Valve Stenosis)
जब किसी कारण से माइट्रियल वॉल्व की ओपनिंग में संकुचन हो जाता है, तो माइट्रियल वॉल्व स्टेनोसिस की समस्या पैदा हो जाती है। माइट्रियल वॉल्व स्टेनोसिस के कारण लेफ्ट एट्रियम से लेफ्ट वेंट्रिकल की ओर ब्लड फ्लो बाधित हो जाता है। इस कारण से खून में ऑक्सीजन की मात्रा में कमी होने लगती है। व्यक्ति को इस कारण से सांस लेने में दिक्कत होती है। ये समस्या भी जन्मजात हो सकती है। मेडिकेशंस की हेल्प से वॉल्व डिफेक्ट को ठीक करने की कोशिश की जाती है। डॉक्टर डाइयूरेटिक्स की हेल्प से फेफड़ों में द्रव संचय (fluid accumulation) को कम करने की कोशिश करते हैं। वहीं ब्लड थिनर्स का इस्तेमाल क्लॉट न बनने के लिए किया जाता है। अगर हार्ट रिदम में समस्या हो रही है, तो इसके लिए भी दवाएं दी जाती हैं। इस समस्या से राहत दिलाने के लिए डॉक्टर्स सर्जरी भी कर सकते हैं। आपको इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए।
ज्यादातर सभी हार्ट वॉल्व स्टेनोसिस की समस्या को मेडिकेशंस और सर्जरी की हेल्प से ठीक करने की कोशिश की जाती है। आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए कि सर्जरी या मेडिकेशंस के बाद क्या किसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप हार्ट वॉल्व स्टेनोसिस का ट्रीटमेंट नहीं कराएंगी, तो सीरियस कंडीशन हो सकती है और जान भी ले सकती है।
हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको हार्ट वॉल्व स्टेनोसिस के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
[embed-health-tool-heart-rate]