के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
एट्रियल फ्लटर हृदय से जुड़ी एक प्रकार की बीमारी है जिसमें हार्ट बीट असामान्य हो जाती है। यह समस्या तब होती है जब हृदय के ऊपरी चैम्बर ज्यादा तेजी से धड़कने लगते हैं। जब आपके हृदय के ऊपरी चेम्बर नीचे वाले चेम्बर की तुलना में ज्यादा तेजी से धड़कने लगे तो ऐसी स्थिति में हार्ट बीट एक समान नहीं होती है जिससे एट्रियल फ्लटर की समस्या होती है। आपको बता दें कि एट्रियल फ्लटर की स्थिति ठीक वैसे ही होती है जैसे कि एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) की होती है।
एट्रियल फ्लटर दो प्रकार के होते हैं;
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यह एक ऐसी सामान्य बीमारी है जिसमें हार्ट में मौजूद अट्रिया (Atria) वेंट्रिकल (Ventricle) की तुलना में अधिक तेजी से धड़कता है। ऐसी स्थिति में हार्ट की गति एक समान नहीं होती है। सामान्य तौर पर हृदय एक मिनट में 60 से 100 बार धड़कता है, लेकिन अगर आपको एट्रियल फ्लटर की समस्या है तो इस स्थिति में हृदय 250 से 300 बार एक मिनट में धड़कता है।
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आमतौर पर जिस इंसान को यह बीमारी होती है उन्हें यह महसूस ही नहीं होता है कि उनका हृदय तेज भी धड़कता है। इस बीमारी के लक्षण दूसरी तरह से जाहिर होते हैं। इसके निम्नलिखित लक्षण होते हैं।
आपको बता दें कि तनाव आपके हार्ट की रेट को भी बढ़ाता है, और एट्रियल फ्लटर के लक्षणों को बढ़ा सकता है। एट्रियल फ्लटर के ये लक्षण और भी दूसरी समस्याओं के भी हो सकते हैं।
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर एट्रियल फ्लटर (Atrial flutter) अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से जरुर बात कर लें।
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आपके हृदय के राइट एट्रियम (Right Atrium) में एक साइनस नोड (Sinus node) होता है जो दाएं और बाएं दोनों अट्रिया में इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजने का काम करता है। जब आपको एट्रियल फ्लटर की समस्या होती है, तो साइनस नोड इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजता है लेकिन सिग्नल का हिस्सा दाहिने एट्रियम के चारों ओर एक लूप में यात्रा करता है। इस वजह से एट्रिया संकुचित हो जाता है जिससे एट्रिया, वेंट्रिकल्स की तुलना में तेजी से धड़कता है और हार्ट बीट असामान्य होता है।
इसके अलावा ऐट्रियल फ्लटर जैसी बीमारी होने के और भी बहुत से कारण होते हैं जैसे;
कुछ पदार्थ भी होते हैं जिनके सेवन से ऐट्रियल फ्लटर जैसी समस्या हो सकती है जैसे;
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको एट्रियल फ्लटर के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से संपर्क करें।
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जब आपका हार्ट बहुत तेजी से धडकता है तब हार्ट अच्छी तरह से ब्लड को पम्प नहीं करता है जिसकी वजह से और भी दूसरी समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती है जैसे
एट्रियल फ्लटर की समस्या होने पर मेडिकेशन समय पर लेना बहुत जरूरी है और इसे सक्सेसफुल भी माना जाता है। ट्रीटमेंट के बाद भी एट्रियल फ्लटर की समस्या दोबारा होने के चांसेज रहते हैं। अगर आप चाहते हैं कि एट्रियल फ्लटर की समस्या आपको दोबारा न हो, इसके लिए स्ट्रेस लेना बिल्कुल छोड़ दें। साथ ही जो भी दवाएं लेनी की सलाह दी गई है, उन्हें समय पर ही लें। आप चाहे तो इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकती हैं।
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जब आपका डॉक्टर इस बीमारी को डायग्नोस करता है तब यह बहुत जरूरी है यह जानना कि आपके परिवार में तो यह समस्या किसी को नहीं है। जब आपका हृदय एक मिनट में 100 से ज्यादा बार धड़के तब डॉक्टर को संदेह होता है कि आपको एट्रियल फ्लटर की समस्या है। इसके अलावा अगर आपको पहले से हार्ट संबंधी समस्या, उलझन और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रही हो तो ये सारी समस्याएं ऐट्रियल फ्लटर की समस्या को और बढ़ा सकते हैं. ऐसी स्थिति में डॉक्टर टेस्ट करने के लिए कार्डियोलोजिस्ट को रेफर (Refer) करता है। इसके लिए कुछ टेस्ट होते हैं जो इस प्रकार हैं;
डॉक्टर का मुख्य उद्देश्य आपके हार्ट रेट को नार्मल करना होता है। आपको बता दें कि इस बीमारी का इलाज मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। निम्नलिखित दवाइयां इस बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होती हैं;
एट्रियल के ट्रीटमेंट के लिए सर्जरी का सहारा भी लिया जा सकता है। एबलेशन थेरिपी की सहायता तब ली जाती है जब मेडिकेशन से भी एट्रियल फ्लटर की समस्या से राहत नहीं मिलती है। सर्जरी की सहायता से हार्ट के उन टिशू को डिस्ट्रॉय किया जाता है जो एब्नॉर्मल रिदम के लिए जिम्मेदार होते हैं। साथ ही सर्जरी के बाद पेशेंट को पेसमेकर की जरूरत भी पड़ सकती है। पेसमेकर की सहायता से हार्टबीट को कंट्रोल किया जाता है। बिना एबलेशन के भी पेसमेकर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
कार्डियोवर्जन के इस्तेमाल के दौरान इलेक्ट्रिसिटी का यूज किया जाता है जिससे हार्ट रिदम को नॉर्मल किया जा सके। इसे डिफिब्रिलेशन (defibrillation) भी कहा जाता है। पैडेल्स या फिर पैचेस को शॉक के लिए चेस्ट में इंड्यूस किया जाता है। एट्रियल फ्लटर के ट्रीटमेंट के दौरान कौन-सी सावधानियां रखनी चाहिए, आप इस बारे में डॉक्टर से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
हार्ट बीट की अनियमितता कई कारणों से हो सकती है। हार्ट बीट कुछ कंडीशन जैसे कि हार्ट फेलियर, हार्ट डिजीज, एल्कोहलिज्म, डायबिटीज, थायरॉइड की समस्या या फिर क्रोनिक लंग डिजीज होने पर दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। ऐसे में व्यक्ति को ध्यान देने की जरूरत है कि वो अपनी लाइफस्टाइल को बेहतर बनाएं और इन हेल्थ कंडीशन से छुटकारा पाएं। हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए हेल्दी फूड के साथ ही एक्सरसाइज को भी रोजाना करना चाहिए। स्मोकिंग की आदत छोड़ना और एल्कोहॉल का सेवन न करना हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के लिए बहुत जरूरी है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर की राय जरूर लें।
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ऐट्रियल फ्लटर से होने वाली समस्याएं हानिकारक हो सकती हैं, लेकिन इसका इलाज से इसको रोका भी जा सकता है। आशा करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा और आपको एट्रियल फ्लटर से जुड़ी बहुत सी बातों की जानकारी मिल गई होगी। अगर आप अन्य स्वास्थ्य से संबंधित आर्टिकल्स पढ़ना चाहते हैं तो हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट पर विजिट करें। साथ ही अपडेट के लिए आप हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज को लाइक करें।
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