मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) हेल्थ कंडिशन का एक समूह है जो हार्ट डिजीज (Heart disease), स्ट्रोक (Stroke) और डायबिटीज (Diabetes) के होने के रिस्क को बढ़ा देती हैं। इन रिस्क फैक्टर्स में हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), हाय ब्लड शुगर (High Blood sugar), अधिक बॉडी फैट खास तौर पर कमर पर, कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) और ट्रायग्लिसराइड (Triglyceride) का असामान्य स्तर शामिल हैं। हालांकि, इनमें से किसी एक हेल्थ कंडिशन के होने का मतलब ये नहीं है कि आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) है, लेकिन इसका मतलब ये जरूर हो सकता है कि आपको गंभीर बीमारी होने की संभावना है। अगर आपके शरीर में यहां बताई गईं कंडिशन्स में से एक से अधिक डेवलप हो रही हैं तो आपको टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) और हार्ट डिजीज (Heart disease) होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) या इसका कारण बनने वाली कंडिशन को जीवनशैली में किए गए बदलावों से कंट्रोल किया जा सकता है। यहां तक कि गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम्स के डेवलपमेंट को रोका जा सकता है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम को सिंड्रोम एक्स (Syndrome X), इंसुलिन रेजिस्टेंस सिंड्रोम (Insulin resistance syndrome) और डिसमेटाबॉलिक सिंड्रोम (Dysmetabolic syndrome) के नाम से भी जाना जाता है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम के लक्षण तो उतने नहीं है, लेकिन कुछ संकेतों से इसकी पहचान की जा सकती है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम के लक्षण (Metabolic syndrome Symptoms)
मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़े ज्यादातर डिसऑर्डर के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं। एक लक्षण जो दिखाई देता है वह है कमर पर अधिक मात्रा में फैट का जमा होना और अगर आपका ब्लड शुगर हाय (High Blood sugar) है तो आपको डायबिटीज (Diabetes) के संकेत और लक्षण दिखाई दे सकते हैं। जिसमें अधिक प्यास लगना, थकान अधिक होना , धुंधला दिखाई देना आदि शामिल हैं। अगर मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) का कोई एक फैक्टर भी दिखाई देता है तो डॉक्टर से संपर्क करें। चलिए अब इस सिंड्रोम के कारण भी जान लेते हैं।
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मेटाबॉलिक सिंड्रोम के कारण (Metabolic syndrome causes)
मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) का संबंध ओवरवेट, ओबेसिटी और एक्टिव ना रहने से है। यह एक और कंडिशन से संबंधित है जिसे इंसुलिन रेजिस्टेंट (Insulin resistance) कहा जाता है। डाजेस्टिव सिस्टम आप जो खाना खाते हैं उसे शुगर में ब्रेकडाउन करता है। इंसुलिन एक हॉर्मोन है जिसे पेंक्रियाज बनाता है जो शुगर को कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद करता है। कोशिकाएं इसका उपयोग फ्यूल की तरह करती हैं। इंसुलिन रेजिस्टेंस होने पर कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से रिस्पॉन्स नहीं करती और ग्लूकोज आसानी से कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता। जिसके परिणामस्वरूप ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। व्यक्ति की शारीरिक संरचना और मौजूद रिस्क फैक्टर्स से मेटाबॉलिक सिंड्रोम का पता लगाया जाता है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम का निदान कैसे लगाया जा सकता है? (Metabolic syndrome diagnosis)
आपमें मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) को तब डायग्नेास किया जा सकता है जब आपके साथ नीचे बताई गई तीन या उससे अधिक कंडिशन हों।
- अगर पुरुषों की वेस्टलाइन 40 इंच या इससे अधिक हो। वहीं महिलाओं की वेस्टलाइन 35 इंच या इससे अधिक हो।
- ब्लड प्रेशर 130/85 mm Hg या इससे ज्यादा हो या आप ब्लड प्रेशर की दवाएं लेते हों।
- ट्रायग्लिसराइड का लेवल 150 mg/dl हो।
- फास्टिंग ग्लूकोज लेवल 100 mg/dl या इससे ज्यादा हो या आप ग्लूकोज को कम करने वाली दवाएं ले रहे हों।
- हाय डेंसिटी लिपोप्रोटीन का लेवल पुरुषों के लिए 40 mg/dl और महिलाओं के लिए 50 mg/dl हो।
ऊपर बताई गई कंडिशन के आधार पर डॉक्टर ट्रीटमेंड रिकमंड करते हैं जो हर एक लिए अलग हो सकता है।
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मेटाबॉलिक सिंड्रोम का ट्रीटमेंट (Metabolic syndrome treatment)
लाइफ स्टाइल में बदलाव जैसे कि डायट और एक्सरसाइज जब पर्याप्त नहीं होते हैं तो डॉक्टर ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगल लेवल को कंट्रोल करने के लिए दवाएं दे सकते हैं। किसी भी प्रकार की दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें। बात दें कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम से बचा भी जा सकता है अगर आप अपनी लाइफ स्टाइल में थोड़ा सुधार कर लें। वे सुधार कौन से हैं चलिए जान लेते हैं।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम से बचाव कैसे किया जा सकता है? (How do I prevent or reverse metabolic syndrome?)
अगर आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) या इसका कारण बनने वाली कोई भी हेल्थ कंडिशन डायग्नोस हुई है तो लाइफ स्टाइल में बदलाव गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम्स जैसे कि हार्ट अटैक और स्ट्रोक को रोकने के साथ ही इनके प्रोग्रेसन को डिले कर सकता है। हेल्दी लाइफस्टाइल चेंजेस में निम्न चीजें शामिल हैं।
रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी (Regular physical activity)
हेल्थ एक्सपर्ट हर दिन 30 मिनट की एक्सरसाइज रिकमंड करते हैं जिसमें वॉकिंग शामिल है, लेकिन किसी भी प्रकार की एक्सरसाइज को एक साथ एक ही दिन में ना करें। धीरे-धीरे फिजिकल एक्टिविटीज को बढ़ाएं। ड्राइव की जगह वॉकिंग और लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का उपयोग करें।
वजन घटाएं (Loose weight)
वजन को घटाने से आप इंसुलिन रेजिस्टेंट और ब्लड प्रेशर को कम कर सकते हैं जिससे डायबिटीज का रिस्क भी कम हो जाता है। वजन कम करना हर प्रकार से लाभदायक है। वेट लॉस को मेंटेन करते रहे। अगर डायट और एक्सरसाइज के जरिए वेट कम नहीं हो रहा है तो इस बारे में डॉक्टर की सलाह लें।
हेल्दी डायट (Healthy diet)
हेल्दी डायट वहीं होती है जिसमें सब्जियां, फल, हाय फायबर , होल ग्रेन्स और लीन प्रोटीन शामिल है। इसके साथ ही आपको शुगर, मीठे पेय पदार्थ, एल्कोहॉल, नमक और फैटी चीजों को खाना बंद करना होगा। साथ सैचुरेटेड और ट्रांस फैट के आइटम्स से दूरी बनाएं।
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स्मोकिंग बंद कर दें (Quit smoking)
सिगरेट का सेवन बंद करने से आपकी ओवरऑल हेल्थ इम्प्रूव होगी। अगर आप स्मोकिंग की आदत चाहकर भी नहीं छोड़ पा रहे, तो डॉक्टर से इस बारे में बात करें।
स्ट्रेस को मैनेज करें (Manage your stress)
फिजिकल एक्टिविटी, मेडिटेशन, योग आदि स्ट्रेस को मैनेज करने और इमोशनल और फिजिकल हेल्थ को इम्प्रूव करने में मदद करते हैं। इनका सहारा लें।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम के कॉम्प्लिकेशन क्या हो सकते हैं? (Metabolic syndrome complications)
मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) निम्न बीमारियों के खतरों को बढ़ा सकते हैं।
- यदि आप अपने अतिरिक्त वजन को नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में बदलाव नहीं करते हैं, तो आप इंसुलिन रेजिस्टेंस को विकसित कर सकते हैं, जिससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है। आखिरकार, इंसुलिन रेजिस्टेंस से टाइप 2 डायबिटीज हो सकता है।
- उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप धमनियों में प्लाक के बिल्डअप में योगदान कर सकते हैं। प्लाक धमनियों को संकीर्ण और सख्त कर सकते हैं, जिससे दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है।
- किडनी की नमक निकालने की क्षमता में परिवर्तन, जिससे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और स्ट्रोक हो सकता है।
- ट्राइग्लिसराइड के स्तर में वृद्धि, जिसके परिणामस्वरूप हृदय रोग विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है
- रक्त का थक्का बनने का खतरा बढ़ जाता है, जो धमनियों को अवरुद्ध कर सकता है और दिल के दौरे और स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
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उम्मीद करते हैं कि आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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