अगर इस रोग की वजह से रोगी के हार्ट को लगातार बीट करने में समस्या हो रही हो, तो रोगी को पेसमेकर की जरूरत पड़ सकती है। यह वो डिवाइस है, जो हार्ट को रेगुलर रिदम मेंटेन करने में मदद करता है। इसके साथ ही रोगी को अगर हार्ट के स्ट्रक्चर या वॉल्व्स में समस्या है, तो सर्जरी की आवश्यकता भी हो सकती है।
इसके उपचार का उद्देश्य राइट वेंट्रिकल की वॉल्स की थिकनिंग को कम करना या रोकना होता है। अभी इन वॉल्स से पूरी तरह से थिकनिंग को रिवर्स करने के लिए कोई ट्रीटमेंट नहीं है। हालांकि, दवाईयों से कुछ राहत मिल सकती है। कुछ मामलों में राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) को बदतर होने से बचा जा सकता है। इसमें रिस्क फैक्टर्स को कम करना और हार्ट और लंग हेल्दी लाइफस्टाइल को प्रोमोट करना शामिल है। इसके अलावा रोगी के लिए स्मोकिंग को छोड़ना, सही आहार का सेवन करना, नियमित व्यायाम, सही वजन को मेंटेन रखना जरूरी है।
हर मामलें में राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) की स्थिति में लक्षण नजर नहीं आते हैं। लेकिन, इसका उपचार बेहद जरूरी है। क्योंकि, इसके परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं, जिनमें हार्ट फेलियर भी शामिल हैं। ऐसे में इसके लक्षणों को सही समय पर पहचानना और उपचार जरूरी है। अगर इसके बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।