हायपरट्रॉफी ( Hypertrophy), यानि कि वेट लिफ्टिंग (weight Training) एक ट्रेनिंग है। फिटनेस की भाषा में इसे हम एक तकनीक भी कह सकते हैं। इसमें मांसपेशियों के निमार्ण के साथ उसकी कार्यक्षमता को भी बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। मस्कयुलर ग्रोथ के लिए आज के समय में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है। इसमें मसल्स के निमार्ण के साथ बल्की मांसपेशियों को टोनड भी किया जाता है।
इसी तरह स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जैसी एक्सरसाइज में भी पहले वेट लिफ्टिंग पर जोर दिया जाता है। इसमें भी डंबल (Dumble) आदि की सहायता से रेप्स और पेप्स कर मांसपेशियों की क्षमता को बढ़ाया जाता है। हम यह कह सकते हैं कि दोनों की लगभग कुछ हद तक एक हीहैं। हायपरट्रॉफी बनाम स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के प्रॉसेज में लगभग काफी सामान्ताएं हैं। दोनों में ही पहले वेट लिफ्टिंग के कुछ नियमों पालन करना जरूरी है। इनके स्टेप्स में आपको बेसिक से लेकर एडवांस एक्सरसाइज तक करायी जाती है। यानि की आपकी मसल्स की स्ट्रेंथ को धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है। यह दोनों जिम में ही करायी जाने वाली वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज है।
हालांकि, कुछ लोग इसे केवल अपने शरीर की स्टेमिना बनाए रखने के लिए डेली एक्सरसाइज के तौर पर भी करते हैं। इसे शरीर वेट उतना ही बना रहता है और बॉडी एक्टिव भी रहती है। इसके अलावा, जिनकी बॉडी बल्की हो चुकी होती है। उनके लिए भी यह एक्सरसाइज बेस्ट है। जहां तक हमने यह जाना कि हायपरट्रॉफी बनाम स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में प्रॉसेज में काफी समानताएं हैं। लेकिन अब हम इन दोनों के बीच के थोड़े से अंतर को भी समझते हैं।
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हायपरट्रॉफी (Hypertrophy) और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (Strength Training) के बीच अंतर
अगर हम साफ-साफ बात करें, तो इन दोनों में सबसे बड़ा पाया जाने वाला फर्क यह है कि हायपरट्राॅफी एक्सरसाइज बॉडी बिल्डर के लिए होती है। बल्कि साधारण लोगों के लिए टोनड बॉडी के लिए स्टेंथ ट्रेनिंग होती है। हम यह भी कह सकते कि हायपरट्रॉफी, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग का एडवांस रूप है।
इसके अलावा, इन दोनों में पाए जाने वाले अंतर कुछ इस प्रकार हैं:
- हायपरट्रॉफी में स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के मुकाबले अधिक सेट होते हैं और समय भी अधिक लगता है।
- हायपरट्रॉफी में कंपाउंट लिफ्ट की जरूरत हाेती है। क्योंकि इसमें मांसपेरशियों के विकास पर फोक्स किया जाता है।
- स्ट्रेंथ एक्सरसाइज में थोड़े सिंपल स्टेप्स होते हैं
- जिनका प्रभाव मांसपेशियों की क्षमता में पड़ रहा होता है।
- स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में मुख्य रूप से फ्री वेट पर जोर दिया जाता है। बल्कि हायपरट्रॉफी में मशीन पर ज्यादा फाेक्स किया जाता है।
- इन दोनों की स्पीड में भी काफी अंतर होता है। हायपरट्रॉफी में ज्यादा समय लगता है। इसका परिणाम भी पहले सामने आता है।