सिंगल वेंट्रिकल डिफेक्ट्स (Single Ventricle Defects) के अधिकतर मामलों में शिशु को जन्म के बाद ही इंटेंसिव मेडिकल इंटरवेंशन की जरूरत होती है। इसके लक्षण बच्चे की कंडीशन की गंभीरता और हार्ट डिफेक्ट के प्रकार पर निर्भर करते हैं। अगर प्रसव से पहले इस स्थिति का निदान न हो पाए, तो शिशु के जन्म के बाद उसमे निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकते हैं:
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) के अनुसार इस स्थिति में वेंट्रिकल का अविकसित होना, कुछ मामलों में शरीर या फेफड़ों में ब्लड फ्लो को प्रभावित कर सकता है। इस समस्या का जल्दी निदान या उपचार न होने के कारण यह स्थिति जानलेवा भी साबित हो सकती है। इसके बहुत कम रोगी शरीर और फेफड़ों के बीच की सर्कुलेशन को बैलेंस करते हैं और बिना सर्जरी के भी बचपन में सर्वाइव कर पाते हैं। अब जानिए सिंगल वेंट्रिकल डिफेक्ट्स (Single Ventricle Defects) के कारण क्या हो सकते हैं?
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सिंगल वेंट्रिकल डिफेक्ट्स के कारण (Causes of Single Ventricle Defects)
आमतौर पर फीटल डेवलपमेंट के पहले आठ हफ्तों के दौरान सिंगल वेंट्रिकल डिफेक्ट्स होते हैं, जब दिल बन रहा होता है और केवल एक वेंट्रिकल ही बना होता है। कई सिंगल वेंट्रिकल डिफेक्ट्स (Single Ventricle Defects) को अनुवांशिक (Hereditary) माना जाता है। जो बच्चे डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) के साथ पीड़ित होते हैं, उनमें भी जन्मजात हृदय दोष होने का जोखिम अधिक होता है। अन्य क्रोमोजोमल असामान्यताएं (Chromosomal Abnormalities) या एनवायर्नमेंटल फैक्टर्स (Environmental Factors) भी सिंगल वेंट्रिकल डिफेक्ट्स (Single Ventricle Defects) के कारण हो सकते हैं।
अधिकतर मामलों में हार्ट डिफेक्ट (Heart Defects) एकदम से पैदा होते हैं और इनका कोई कारण नहीं होता। यही नहीं, इन डिफेक्ट्स से बचाव भी संभव नहीं है, लेकिन अधिकतर मामलों में इनका उपचार हो सकता है। जानिए कैसे संभव है इस समस्या का निदान?
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सिंगल वेंट्रिकल डिफेक्ट्स का निदान (Diagnosis of Single Ventricle Defects)
सिंगल वेंट्रिकल डिफेक्ट्स (Single Ventricle Defects) के साथ पैदा हुए बच्चे जिनमें जन्म से पहले इसका निदान नहीं हो पाता है, जन्म के बाद बहुत अधिक बीमार पड़ सकते हैं। इस विकार के सही लक्षण, इसके कारणों पर निर्भर करते हैं। इसके उपचार का पहला स्टेप है इसका सही निदान। पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट (Pediatric Cardiologist) इस समस्या के निदान के लिए कई टेस्ट्स कराने के लिए कह सकते हैं। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं :
चेस्ट एक्स रे (Chest X-ray)