अगर लक्षणों के दिखने पर भी ध्यान न दिया जाए, तो समस्या बढ़ सकती है और साथ ही धीरे-धीरे हार्ट भी कमज़ोर होने लगता है। अगर समय पर ट्रीटमेंट करा लिया जाए, किसी बड़ी परेशानी का सामना करने से बचा जा सकता है।
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एओर्टिक कैल्सीफिकेशन के कारण (Cause of Aortic calcification)
एओर्टिक कैल्सीफिकेशन (Aortic calcification) होने की संभावना उम्र बढ़ने के साथ ही बढ़ जाती है। ऐसा जरूरी नहीं है कि ये अधिक उम्र यानी 60 से 65 साल की उम्र में ही देखने को मिले। कम उम्र के लोगों में भी ये समस्या देखने को मिल सकती है। जिन लोगों को बर्थ के समय ही हार्ट डिफेक्ट होता है या जन्मजात ह्रदय रोग यानी कन्जेनायटल हार्ट डिजीज होती है या फिर किडनी फेलियर (Kidney failure) की समस्या होती है, उनमें भी ये भी बीमारी होने की अधिक संभावना होती है। सीने में किसी प्रकार की समस्या होने पर भी कैल्शियम की मात्रा अधिक हो जाती है। अगर किसी व्यक्ति को कैंसर की बीमारी हुई है, तो उसमें भी हार्ट में एओर्टिक वाल्व पर कैल्शियम जमा होने लगता है। महिलाओं की तुलना में ये समस्या पुरुषों को ज्यादा होती है।
कैसे किया जा सकता है इस बीमारी का ट्रीटमेंट?
हार्ट में दो वॉल्व होते हैं। वॉल्व हार्ट में राइट डायरेक्शन में ब्लड पहुंचाने का काम करते हैं। माइट्रल वॉल्व और ट्राइकस्पिड वॉल्व एट्रिया और वेंट्रिकल्स के मध्य में स्थित होते हैं। अगर किसी कारण से हार्ट वॉल्व में ठीक तरह से ब्लड फ्लो नहीं हो पाता है, तो हार्ट वॉल्व डिजीज की समस्या शुरू हो जाती है। अगर हार्ट वॉल्व से संबंधित समस्या दवाओं से ठीक नहीं होती है, तो ऐसे में हार्ट वॉल्व को चेंज करना या फिर सर्जरी ही अंतिम विकल्प के रूप में इस्तेमाल की जाती है।
वॉल्व का मोटा होना या फिर कठोरता या फिर एओर्टिक कैल्सीफिकेशन (Aortic calcification) के कारण जरूरी नहीं है कि हार्ट से संबंधित अधिक समस्याओं का सामना करना पड़े। अगर किसी भी व्यक्ति को हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure), कैंसर, किडनी संबंधित समस्याएं (Kidney problems) आदि हो, तो रेग्युलर चेकअप बहुत जरूरी हो जाता है। हार्ट तभी दुरस्त रहता है, जब पौष्टिक आहार के सेवन के साथ ही रोजाना एक्सरसाइज की जाए। आपको हाय बीपी को भी कंट्रोल में रखने की जरूरत है। अगर एओर्टिक कैल्सीफिकेशन के कारण वॉल्व अधिक संकुचित हो जाते हैं, तो सर्जरी बहुत जरूरी हो जाती है और वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी ( Valve replacement surgery) की हेल्प ली जाती है। आप इस बारे में अधिक जानकारी डॉक्टर से भी ले सकते हैं। हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता।
किन लक्षणों के दिखने पर दिखाना चाहिए डॉक्टर को?
जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं कि हार्ट की समस्या के किसी भी लक्षण के दिखने पर आपको डॉक्टर से जांच कराने की जरूरत होती है। अगर आपको हाय ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है या फिर हार्ट बीट कम या फिर ज्यादा हो जाती है, तो ऐसे में आपको डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। डॉक्टर टीईई टेस्ट के माध्यम से एओर्टिक स्टेनोसिस की जांच कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर ईसीजी (Electrocardiography), लेफ्ट हार्ट कैथीटेराइजेशन, ट्रांसेसोफेगल इकोकार्डियोग्राम (TEE) आदि के माध्यम से जांच कर सकते हैं।
अगर डॉक्टर को जरूरत पड़ती है, तो वो हार्ट का एमआरआई (MRI) भी करते हैं। अगर आपकी हार्ट बीट नियमित नहीं रहती है, तो डॉक्टर आपको कुछ दवाओं को खाने की सलाह देंगे। साथ ही आपको एल्कोहॉल और स्मोकिंग से भी दूर रहने की सलाह दी जाती है। अगर जरूरत पड़ती है, तो डॉक्टर कुछ समय बाद तक चेकअप के लिए दोबारा भी बुला सकते हैं। अगर आपको कुछ दवाएं दी जाएं, तो रोजाना समय पर उनका सेवन करें। साथ ही किसी भी तरह का कंफ्यूजन होने पर डॉक्टर से जरूर पूछ लें। ऐसा करने से आपकी हार्ट हेल्थ दुरस्त रहेगी।
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हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको एओर्टिक कैल्सीफिकेशन (Aortic calcification) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।