ध्यान रखें कि हार्ट डिजीज के लिए आप जो दवाएं ले रहे हैं, वे हाय पोटैशियम में योगदान कर सकती हैं। अगर आप बीटा-ब्लॉकर्स, एसीई इनहिबिटर्स, या डाययूरेटिक्स ले ले रहे हैं, तो ये दवाएं हाइपरक्लेमिया का कारण बन सकती हैं।
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शरीर में हाय पोटैशियम की मात्रा के कारण किडनी की बीमारी से भी संबंधित हो सकता है। जिन लोगों को किडनी संबंधित बीमारी होती है या फिर किडनी फेलियर की समस्या हो गई होती है, उनमें पोटेशियम का लेवल बिगड़ जाता है। हमारे शरीर में पोटैशियम का अवशोषण कुछ सप्लीमेंट, फूड, डिंक्स आदि के माध्यम से होता है। शरीर में अगर पोटैशियम अधिक हो जाता है, तो किडनी के माध्यम से यूरिन के रूप में बाहर निकाल दिया जाता है लेकिन जब किडनी काम नहीं करती है, तो शरीर में पोटेशियम की मात्रा बढ़ने लगती है। अगर यह कहा जाए कि जिन लोगों को किडनी की समस्या हो जाती है, उनके शरीर में धीरे-धीरे पोटैशिम बढ़ने लगता है, तो यह गलत नहीं होगा।
शरीर में हाय पोटैशियम का प्रभाव न पड़े, इसके लिए आपको कुछ प्रयास करने की जरूर है। अगर आपके शरीर में पोटेशियम की मात्रा अधिक हो गई है, तो ऐसे में आपको अपने फूड्स में ऐसे पदार्थों को शामिल नहीं करना चाहिए, जिनमें पोटेशियम अधिक मात्रा में होता है। हरी पत्तेदार सब्जियां या फिर खट्टे फल बेहतर होगा कि आप कम मात्रा में खाएं या फिर बिल्कुल बंद कर दें। आप इस बारे में डॉक्टर से भी जानकारी ले सकते हैं। और साथ ही खाने में कम पोटेशियम आहार में शामिल कर सकते हैं। पोटैशियम को कम करने के लिए डॉक्टर आपको कुछ मेडिसिंस भी दे सकते हैं। अगर आपको किसी प्रकार की कंडीशन का सामना करना पड़ रहा है, तो बेहतर होगा कि उसका भी ट्रीटमेंट कराएं ताकि आपको हाय पोटैशियम की समस्या का सामना ना करना पड़े।
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इस आर्टिकल में हमने आपको शरीर में हाय पोटैशियम का प्रभाव से संबंधित अहम जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।