backup og meta

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

परिचय

शरीर का तापमान जब 37 डिग्री से ज्यादा बढ़ने लगे तो इस परेशानी को बुखार कहते हैं। शरीर का तापमान बढ़ने के साथ-साथ सर्दी-जुकाम, खांसी और बॉडी पेन जैसी परेशानी भी होती है। आज इस आर्टिकल में  बुखार का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? आयुर्वेद में बुखार के आने के कई कारण बताये जाते हैं और इसे 8 अलग-अलग वर्गों में भी रखा गया है। जब बुखार का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है, तो किन-किन आयुर्वेदिक पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है? बुखार का आयुर्वेदिक इलाज जब शुरू किया जाता है, तो किन-किन जड़ी बूटियों के सेवन की सलाह दी जाती है?  

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज समझने से पहले इसके लक्षणों को समझना बेहद जरूरी है।

और पढ़ें: Flu: फ्लू क्या है?

लक्षण

बुखार के लक्षण क्या हैं?

बुखार के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:

  • अत्यधिक थकान महसूस होना
  • बॉडी पेन होना
  • शरीर का तापमान सामान्य से ज्यादा बढ़ना
  • खांसी होना
  • जोड़ो में दर्द की परेशानी शुरू होना
  • दस्त होना
  • त्वचा पर रैशेज होना
  • सर्दी-जुकाम होना
  • गले में दर्द की परेशानी होना
  • सिरदर्द होना
  • बुखार होने पर आंखें लाल होना और जलन होना
  • उल्टी और दस्त दोनों का साथ-साथ होना
  • वायरल फीवल पांच से छे दिनों तक रहता है।

इन ऊपर बताई गई लक्षणों के अलावा अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। इसलिए शरीर में हो रहे नकारात्मक बदलाओं को महसूस करें और समझें और डॉक्टर से संपर्क करें। ऐसा करने से शारीरिक परेशानी जल्दी दूर होगी।

और पढ़ें: सर्दी-जुकाम के लिए इस्तेमाल होने वाली विक्स वेपोरब कितनी असरदार

कारण

बुखार का कारण क्या है?

बुखार आने के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:-

  1. अच्छी तरह से न पके हुए अनाज का सेवन करना
  2. दूषित पानी या खाद्य पदार्थों का सेवन करना
  3. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना
  4. वायरल फीवर हुए व्यक्ति के संपर्क में आना

ऊपर बताये गए ये चार कारण अहम मानें जाते हैं और इन कारणों के अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं। इसलिए संक्रमण से बचकर रहें।

और पढ़ें: कॉफी से इम्यूनिटी पावर को कैसे बढ़ाएं? जाने कॉफी बनाने की रेसिपी

इलाज

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज कैसे किया जाता है?

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज निम्नलिखित तरह से किया जाता है:-

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज 1: वमन पद्धति

वमन पद्धति या वमन कर्म को अगर सामान्य भाषा में समझा जाये तो इस प्रक्रिया के दौरान ऐसे जड़ी-बूटियों का सेवन मरीज को करवाया जाता है, जिससे पेशेंट को उल्टी हो सके। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि उल्टी के माध्यम से कफ भी बाहर निकल जाता है और संक्रामक कफ की वजह से हुए बुखार से राहत मिलती है। वमन कर्म गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों, बच्चों, हार्ट पेशेंट या हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों पर नहीं की जाती है।

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज 2: विरेचन कर्म

आयुर्वेदिक विज्ञान में पंचकर्म थेरिपी के अंतर्गत विरेचन कर्म को रखा गया है। इस दौरान पेशेंट को ऐसी जड़ी बूटियों का सेवन करवाया जाता है, जिससे लिवर और स्मॉल इंटेस्टाइन को साफ किया जाता है। आयुर्वेदिक विज्ञान के अनुसार विरेचन कर्म से लंबे वक्त से बुखार की चली आ रही परेशानी को भी दूर करने में मदद मिलती है।

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज 3: लंघन

आयुर्वेद में व्रत को लघन शब्द से संबोधित किया गया है। दरअसल अगर बुखार का आयुर्वेदिक इलाज लघन के द्वारा किया जाता है, तो मरीज को उपवास रखने की सलाह दी जाती है। इस दौरान भूख लगने पर ही हल्के और अच्छी तरह से डायजेस्ट होने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है। यहां व्रत का अर्थ यह नहीं होता है की पूरी तरह से उपवास रखना हो।

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज 4: बस्ती कर्म

यह एक तरह की एनिमा थेरिपी है और इस दौरान मल द्वार से पेट को साफ किया जाता है। इससे शारीरिक पीड़ा दूर होने के साथ ही इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं जैसे ब्लीडिंग होना या कमजोरी महसूस होना। बस्ती कर्म कोलोन कैंसर या दस्त की परेशानी झेल रहे लोगों पर नहीं की जाती है।

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज 5: गुडूची (Guduchi)

आयुर्वेद में कहा गया है कि गुडूची इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग करने में अत्यधिक मददगार होता है। इसलिए शरीर का तापमान सामान्य से ज्यादा बढ़ने पर बुखार का आयुर्वेदिक इलाज गुडूची से किया जाता है। शरीर का तापमान बढ़ने के साथ-साथ उल्टी, दस्त, सर्दी-जुकाम या खांसी की परेशानी बुखार से पीड़ित व्यक्ति को कमजोर बनाने के लिए काफी है। इस औषधि में शक्तिशाली गुण मौजूद होने की वजह से यह डायजेशन प्रोसेस को भी ठीक रखने में मददगार है। इसलिए आयुर्वेद विशेषज्ञ बुखार होने पर गुडूची को औषधि की तरह सेवन करने की सलाह देते हैं।

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज 6: पिप्पली (Long pepper)

पिप्पली में पिपरिन, स्टेरॉइड्स, ग्लूकोसाइड्स, पिपलार्टिन एवं पाईपरलोगुमिनिन जैसे पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। इन्हीं औषधीय गुणों की वजह से पिप्पली को आयुर्वेदिक इलाज के विकल्प में अपनाया जाता है। बुखार के साथ-साथ अगर कोई व्यक्ति लिवर संबंधित बीमारियों से भी पीड़ित है, तो उन्हें आयुर्वेदिक विशेषज्ञ लॉन्ग पेपर के सेवन की सलाह देते हैं।

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज 7: वासा (Adoosa)

वासा औषधीय पौधों के श्रेणी में शामिल है क्योंकि इसमें फायटोकेमिकल्स मौजूद होते हैं। इस पौधे के सभी भागों जैसे पत्तियों, फूल एवं जड़ में औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसमें एक विशिष्ट प्रकार की गंध होती है और इसका स्वाद कड़वा होता है। बुखार होने पर वासा के सेवन की सलाह आयुर्वेदिक विशेषज्ञ देते हैं। बुखार के साथ-साथ वासा खांसी, बॉडी पेन, नर्वस सिस्टम से संबंधित परेशानी, डायजेशन की समस्या, डायबिटीज की परेशानी, बार-बार टॉयलेट जाने की समस्या और सांस संबंधी परेशानियों को भी दूर करने में सक्षम है।  

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज 8: आमलकी (Amalaki)

आमलकी शब्द हो सकता है आपके लिए नया हो लेकिन, इसे हमसभी बड़े अच्छे से जानते हैं। दरअसल आयुर्वेद में आंवला (Gooseberry) को आमलकी कहते हैं। कुछ लोग आंवले की पूजा भी करते हैं। आयुर्वेदिक विज्ञान आमलकी को औषधि की श्रेणी में रखता है। आंवले की हेल्थ बेनिफिट से तो हम सभी वाकिफ हैं लेकिन, आंवला बालों की चमक, आंखों की रोशनी बढ़ाने, पेट साफ रखने के साथ-साथ शरीर के सामान्य से ज्यादा बढ़े हुए तापमान को भी नियंत्रिक करने में कारगर है। इसमें मौजूद विटामिन-सी, विटामिन-बी 5, विटामिन-बी 6 एवं फायबर शरीर के लिए कई तरह से लाभकारी होते हैं। इसलिए बुखार होने पर आयुर्वेदिक डॉक्टर आंवले की औषधि सेवन करवाते हैं।

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज 9: गिलोय (Giloy)

गिलोय इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाने में मदद करता है।  इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग होने की वजह से एकसाथ कई बीमारियों का खतरा टल जाता है। गिलोय की पत्त‍ियों में प्रोटीन, कैल्शि‍यम, फॉस्फोरस जैसे कई अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं। यही नहीं इसमें एंटी-लेप्रोटिक और मलेरिया-रोधी गुण भी मौजूद होते हैं। इसके अलावा इसके तनों में स्टार्च की भी अच्छी मात्रा होती है। यह एक शक्तिशाली इम्युनोमोड्यूलेटर है, जो इम्यून सिस्टम को फिट रखता है। इसलिए गिलोय का सेवन वायरल फीवर होने पर भी किया जाता है। सर्दी-जुकाम जैसी परेशानियों से भी राहत दिलाने में गिलोय मददगार होता है।

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज 10: दालचीनी (Cinnamon)

किचेन में आसानी से मिलने वाला दालचीनी गर्म मसाले और खाने का जायका बढ़ाने में तो खूब किया जाता है, तो वहीं आयुर्वेदिक विज्ञान बुखार, संक्रामक खांसी, गले में दर्द की समस्या या जुकाम जैसी शारीरिक परेशानी को दूर करने के लिए इसके सेवन की सलाह देते हैं। दरअसल दालचीनी में पानी, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और कैल्शियम मौजूद होते हैं। ये सभी मिलकर शरीर को ताकत प्रदान करते हैं।

बुखार का आयुर्वेदिक इलाज 11:  तुलसी (Basil)

तुलसी में  विटामिन-ए, विटामिन-के, कैल्शियम, आयरन और मैगनीज जैसे अन्य खनिज तत्व मौजूद होते हैं। ये सभी तत्व मिलकर मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। इसलिए बुखार के दौरान शरीर के संक्रमण को खत्म करने के लिए और बॉडी टेम्प्रेचर नॉर्मल रखने के लिए डॉक्टर तुलसी के सेवन की सलाह देते हैं।

फीवर का आयुर्वेदिक इलाज 12: अदरक (Ginger)

सब्जियों में जायका बढ़ाने के लिए चाय में ताजगी महसूस करने के लिए अदरक का सेवन तो खूब किया जाता है लेकिन, आयुर्वेदिक एक्सपर्ट अदरक फीवर से  परेशान लोगों के लिए भी इसकी खासियत बताते हैं। बुखार होने पर इसके सेवन से लाभ मिलता है। क्योंकि अदरक में विटामिन-बी 6 और मैग्नेशियम जैसे अन्य तत्व मौजूद होते हैं, जो शरीर के लिए लाभकारी होता है।

फीवर का आयुर्वेदिक इलाज 13: मेथी (Fenugreek)

मेथी में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सिडेंट गुण पाए जाते हैं। इसलिए आयुर्वेदिक एक्सपर्ट मेथी के दाने को पानी मिलाकर कुछ घंटे के लिए छोड़ दें और उसके बाद इसे छान लें और फिर इस पानी का सेवन करें। इससे शरीर फिट रहता है और वजन भी संतुलित रहता है।

फीवर का आयुर्वेदिक इलाज 14: लहसुन (Garlic)

लहसुन में मौजूद औषधीय गुण वायरल फीवर, बॉडी पेन एवं संक्रमण से बचाये रखने में मददगार होता है। इसलिए कच्चे लहसुन का नियमित सेवन हाई कोलेस्ट्रॉल, दिल से संबंधित बीमारी और हाई ब्लड प्रेशर जैसी परेशानियों को दूर करने या इन बीमारियों से दूर रहने में सहायता प्रदान करता है। इसके साथ ही सरसों तेल में कच्चे लहुसन का हल्का पकाकर लगाने से भी शरीर की कमजोरी और दर्द दूर होती है।

इन ऊपर बताये गए उपाय बुखार का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। लेकिन, इन खाद्य पदार्थों का सेवन खुद की इच्छा से न करें क्योंकि इनकी संतुलित मात्रा का सेवन करना लाभकारी हो सकता है। इसके साथ ही इन औषधियों को किस तरह से और कैसे सेवन करना चाहिए इसकी सलाह भी आयुर्वेदिक चिकित्षक आपको देते हैं।

लक्षण, कारण और बुखार का आयुर्वेदिक इलाज समझने के साथ-साथ शरीर को फिट रखने के लिए योगासन भी अत्यधिक जरूरी है। इसलिए नियमित रूप से अनुलोम विलोम, चक्रासन एवं धनुरासन करें। अगर इन योग को पहले आपने नहीं किया है, तो योगा एक्सपर्ट से समझें और फिर इसे रोजाना करें। ध्यान रखें गलत योग शारीरिक परेशानी बढ़ा सकता है। इसलिए पहले अच्छी तरह से समझें और फिर शुरुआत करें।

और पढ़ें: जानिए कैसे वजन घटाने के लिए काम करता है अश्वगंधा

घरेलू उपाय

वायरल बुखार से बचने के क्या हैं घरेलू उपाय?

निम्नलिखित घरेलू उपाय से बुखार की परेशानी से बचा जा सकता है। जैसे:-

  • आयुर्वेदिक एक्सपर्ट का मानना है की खाने में प्रायः उबली हुई सब्जियां और हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए
  • दूषित खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • पानी को उबालकर और छान कर पीना लाभकारी होता है
  • किसी खाद्य पदार्थों के सेवन से पहले हाथों को अच्छी तरह धोएं
  • वायरल फीवर के पेशेंट के संपर्क में न आएं और अगर घर में कोई सदस्य को बुखार है तो हाइजीन और साफ-सफाई का ख्याल रखें। बच्चों और बुजुर्गों को पेशेंट के संपर्क में न आने दें
  • मौसम के बदलने पर शरीर का तापमान बढ़ सकता है, सर्दी-जुकाम और खांसी की परेशानी से बचकर रहें
  • विटामिन-सी युक्त फलों का सेवन करें
  • हल्दी दूध का सेवन करें
  • शरीर की मालिश करवाएं
  • तेल मसाले और जंक फूड का सेवन न करें
  • ओवरईटिंग न करें, बेहतर होगा हल्का खाने की आदत डालें
  • मल आने पर या पेशाब लगने पर रोकने की आदत न डालें
  • नियमित योग करें या वॉकिंग पर जाएं
  • आयुर्वेदिक इलाज के दौरान डॉक्टर से अपनी कोई भी शारीरिक परेशानी न छुपाएं

इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर इंफेक्शन से बचा जा सकता है, जिससे हेल्दी रहना आसान हो सकता है। इन सबके बीच यह ध्यान रखें की वायरल फीवर कोई बड़ी परेशानी नहीं है और यह दो से तीन दिनों में ठीक भी हो जाता है। लेकिन, अगर दो दिनों तक शरीर का तापमान ज्यादा रहे तो देर न करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।

अगर आप बुखार का आयुर्वेदिक इलाज या किसी भी शारीरिक पीड़ा से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Papaya, dengue fever and Ayurveda/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3902531/Accessed on 04/06/2020

Ayurvedic Cold and Flu Remedies/https://kripalu.org/resources/ayurvedic-cold-and-flu-remedies/Accessed on 04/06/2020

Role of Ayurveda in Emergency Treatment/https://www.longdom.org/open-access/role-of-ayurveda-in-emergency-treatment-2165-7548.1000127.pdf/Accessed on 04/06/2020

Ayurvedic Cure For Fever/http://www.whyayurveda.org/products/2014/09/23/ayurvedic-cure-for-fever.aspx/Accessed on 04/06/2020

Papaya, dengue fever and Ayurveda/http://www.ancientscienceoflife.org/article.asp?issn=0257-7941;year=2013;volume=32;issue=3;spage=131;epage=133;aulast=Manohar/Accessed on 04/06/2020

Immunomodulatory effects of Tinospora cordifolia (Guduchi) on
macrophage activation/https://www.longdom.org/open-access/immunomodulatory-effects-of-tinospora-cordifolia-guduchi-on-macrophage-activation-0974-8369-3-099.pdf/Accessed on 04/06/2020

Amalaki – the ultimate healer/https://www.keralaayurveda.us/wellnesscenter/amalaki/Accessed on 04/06/2020

Current Version

11/08/2020

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ

Updated by: Niharika Jaiswal


संबंधित पोस्ट

कोरोना काल में कैंसर के इलाज की स्थिति हुई बेहतर: एक्सपर्ट की राय

Fever : बुखार क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय


के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड

डॉ. पूजा दाफळ

· Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 11/08/2020

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement