कोरोना वायरस के कारण देशभर में लाॅकडाउन है। ऐसे में सरकारी कर्मचारियों से लेकर प्राइवेट संस्थानों ने आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाले कर्मचारियों को छोड़कर बाकियों को छुट्टी या तो घर से ही काम करने को कहा है। ऐसे में वर्किंग कपल या सामान्य कपल जिन्होंने बेबी प्लानिंग के बारे में अब तक नहीं सोचा, घर पर ज्यादा समय बिताने के कारण वे प्रेग्नेंसी प्लानिंग के बारे में सोच रहे हैं। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि कोरोना के दौरान बेबी प्लानिंग करना कितना सही है?
कोरोना वायरस का प्रेग्नेंसी व शिशु पर असर की नहीं है पुख्ता जानकारी
जमशेदपुर टाटा मेन हास्पिटल की चीफ गायनेकोलाॅजिस्ट डाॅक्टर ममता रथ दत्ता बतातीं हैं कि, ‘कोरोना वायरस नया है। बीते साल यह चीन के वुहान से विश्व में फैला है। ऐसे में इस पर ज्यादा शोध भी नहीं किए गए हैं। ऐसे में कोरोना का प्रेग्नेंसी और शिशु पर क्या असर होता है इसके बारे में पुख्ता जानकारी नहीं है। ऐसी कोई गाइडलाइन नहीं आई है कि कोरोना के दौरान बेबी प्लानिंग नहीं कर सकते हैं। ऐसे में कोशिश यही करनी रहनी चाहिए कि इस समय में बेबी प्लानिंग न करें तभी बेहतर है। क्योंकि देशभर के हाॅस्पिटल में सिर्फ व सिर्फ जरूरी सेवाओं पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। रूटीन के मरीजों को सलाह दी जा रही है कि वे घर पर ही रहें। जब तक बेहद ही जरूरी न हो अस्पताल न जाएं। ऐसे में यदि कोरोना के दौरान बेबी प्लानिंग की सोच रहे हैं और महिला कंसीव कर लेती है तो उस स्थिति में दोनों को ही बार बार अस्पताल आना पड़ेगा, जो जच्चा-बच्चा और साथ ही जो इन्हें लेकर आएगा उसके स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।’
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न्यूक्लियर फैमिली में रहने वाले कोरोना के दौरान बेबी प्लानिंग न करें
बकौल डाक्टर ममता सामान्य दिनों में यदि महिला गर्भवती होती है तो हमारा पूरा परिवार ही उसकी सेवा में जुट जाता है। शुरुआती दिनों में गर्भवती महिला से कुछ काम नहीं कराया जाता, रिश्तेदार घर में आ जाते हैं। वहीं जरूरत पड़ने पर कोई भी आसानी से अस्पताल लेकर जा सकता है, लेकिन लाॅकडाउन की स्थिति में न तो घर में मेड आ रही है, वहीं कहीं से हमारे रिश्तेदार भी नहीं आ पा रहे हैं, ऐसे में हर किसी के पास सपोर्ट सिस्टम उपलब्ध नहीं है। ऐसे में जरूरी है कि कोरोना के दौरान बेबी प्लानिंग न ही करें तो बेहतर हैं। यदि कोई इस खाली समय में बेबी प्लानिंग करना चाहता है तो डाॅक्टरी सलाह लेने के बाद ही कोरोना के दौरान बेबी प्लानिंग करे।
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ये कपल्स कर सकते हैं कोरोना के दौरान बेबी प्लानिंग
जमशेदपुर ब्रह्मानंद हास्पिटल की गायनेकोलाॅजिस्ट डॉ संगीता बताती हैं कि यदि पुरुष व महिला दोनों हर स्वस्थ हैं, उम्र के हिसाब से वजन सही है और किसी बीमारी से पीड़ित भी नहीं हैं तो वो चाहे तो प्रेग्नेंसी प्लान कर सकते हैं। खासतौर से वैसे कपल जो दोनों ही वर्किंग हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन दिनों दोनों ही साथ में रह रहे हैं, काम के प्रेशर से दूर हैं वहीं कम तनाव वाली जीवनशैली जी रहे हैं तो कोरोना के दौरान बेबी प्लानिंग कर सकते हैं। वहीं सामान्य कपल भी चाहें तो अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए बेबी प्लानिंग कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप डाक्टरी सलाह जरूर लें।
तब रखें इन बातों का विशेष ध्यान
डाक्टर ममता बतातीं हैं कि यह कपल की निजी चाहत है कि वो बेबी प्लानिंग करे या फिर न करें। यदि वे स्वस्थ हैं और उन्होंने बेबी प्लानिंग की तैयारी कर ली है। वहीं महिला गर्भवती हो गई तो उसे खास बातों को ध्यान रखना चाहिए। शुरुआती दिनों में जरूरी है कि शरीर पर ज्यादा दबाव न डाले, कोई भी भारी काम करने से बचना चाहिए, वहीं हल्का वाॅक करें, आसान योग करना चाहिए।
हेवी एक्सरसाइज कतई नहीं करना चाहिए। वहीं महिला को अपने खानपान पर खास ध्यान देना चाहिए। कोशिश यही रहनी चाहिए कि घर पर बने खाद्य पदार्थ का ही सेवन करें। बाहर से खाना न खाया जाए। वहीं खाने में पौष्टिक आहार का ही सेवन करना चाहिए। सोशल डिस्टेंसिंग अपनाने के साथ कहीं बाहर जाने से बचें। यदि ट्रैवल करने की सोच रहे हैं तो इन दिनों ऐसा न करें। तनाव न लें, डाक्टर की बताई बातों पर ध्यान दें।
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न्यूट्रिशन को बढ़ाने के साथ बढ़ाएं इम्युनिटी
डाक्टर संगीता बतातीं हैं कि यदि कोरोना के दौरान बेबी प्लानिंग के बारे में सोच लिया है तो न्यूट्रिशनल स्टेटस को बढ़ाने के साथ इम्युनिटी को बढ़ाने पर भी फोकस करना होगा। हरी साक-सब्जियों का सेवन करने के साथ अभी गर्मी का मौसम है तो ऐसे में कम से कम चार लीटर पानी का सेवन करना फायदेमंद साबित होता है। वहीं अपनी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दूध, च्वनप्राश आदि का सेवन करना भी फायदेमंद होता है। घर में हैं तो फाइबर युक्त फल का सेवन करें।
वहीं सबसे जरूरी यह है कि आप कोरोना के दौरान बेबी प्लानिंग कर रहे हैं तो इस स्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग का आपको सबसे ज्यादा पालन करना होगा। गर्भवती के लिए शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होनी चाहिए इसके लिए पालक, नट्स, अनार, सेब सहित अन्य फल का सेवन करना फायदेमंद साबित होता है। दाल का अधिक से अधिक सेवन करें इसमें प्रोटीन की अधिक मात्रा होती है। वहीं नियमित चेकअप कराते रहें।
कोरोना के दौरान बेबी प्लानिंग के लिए ऑव्युलेशन को समझना है जरूरी
गायनकोलाजिस्ट संगीता बताती हैं कि सही समय पर यदि पति पत्नी शारिरिक संबंध बनाते हैं तभी महिला के कंसीव करने के चांजेस बढ़ जाते हैं। सामान्य तौर हम भी लोगों को यही बताते हैं कि ऑव्युलेशन पीरियड के दौरान ही शारीरिक संबंध बनाने से आप कंसीव करते हैं।
इसे ऐसे समझा जा सकता है। सामान्य तौर पर व्यस्क महिला का 28 दिनों का पीरियड साइकिल होता है। ऐसे में हम उन्हें पीरियड खत्म होने के 14 दिनों के बाद शारीरिक संबंध बनाने की सलाह देते हैं। इस दौरान शारीरिक संबंध बनाने से कंसीव करने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं। वहीं पीरियड खत्म होने के 12 दिनों के बाद से हम शारीरिक संबंध बनाने की सलाह देते हैं। ताकि ऑव्युलेशन पीरियड में शारीरिक संबंध बनाने से सीमेन एग तक पहुंचता है, इसके बाद गर्भावस्था की पूरी प्रक्रिया की शुरुआत होती है।
प्रेग्नेंट महिलाएं घबराएं नहीं
शोधकर्ता इस बात का पता लगा रहे हैं कि कोरोना वायरस का हमारी सामान्य जीवनशैली पर किस प्रकार असर पड़ता है। डाॅ डिनाइस जेमिसन के अनुसार अभी तक ऐसे परिणाम नहीं मिले हैं जिससे पता चले कि गर्भवती महिलाओं पर यह वायरस तेजी से हमला करता है। वायरस के संक्रमण के तीसरे दौर में चाइना के वुहान में एक गर्भवती को कोविड 19 के कारण नियोमोनिया हो गया था, लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि उसका बेबी हेल्दी था।
बता दें कि वहीं अमेरिकन सोसाइटी फाॅर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन की गाइडलाइन के अनुसार कोरोना वायरस के कारण लोगों का फर्टिलिटी का ट्रीटमेंट नहीं कराया जा रहा है। वहीं अभी तक किसी भी संस्था ने यह मना नहीं किया है कि इस दौरान प्राकृतिक तौर पर कंसीव नहीं कर सकते।
कोरोना के दौरान बेबी प्लानिंग विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाक्टरी सलाह लें। ।
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