कोरोना वायरस ट्रीटमेंट: क्या है प्लाज्मा थेरेपी?
कोरोना वायरस का इलाज करने के लिए कई देशों में प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्लाज्मा थेरेपी एक बहुत पुरानी तकनीक है। इस थेरेपी में कोरोना से संक्रमित मरीज जो अब ठीक हो चुके हैं उनके रक्त से प्लाज्मा निकालकर बीमार रोगियों को ठीक करने के लिए दिया जाता है। दरअसल, जो लोग ठीक हो चुके हैं उन लोगों में एंटीबॉडी मौजूद होते हैं जो वायरस को दूर भगाते हैं। यह पैसिव इम्युनिटी की तरह काम करता है।
कैसे काम करती है एंटीबॉडी: ऐंटीबॉडीज व्यक्ति के शरीर में उस समय विकसित होना शुरू होती हैं, जब वायरस उसके शरीर पर हमला करता है। एंटीबॉडीज वायरस पर अटैक करती हैं और उसे डिऐक्टिवेट करने का काम करती हैं। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे डॉक्टर्स के अमुसार जब मरीज कोविड-19 से लड़कर ठीक हो जाता है तब भी उसके शरीर में ब्लड के अंदर ये ऐंटीबॉडीज काफी लंबे समय तक प्रवाहित होती रहती हैं। ऐसे में ठीक हो गए व्यक्ति के शरीर से एंटीबॉडीज को मरीज के शरीर में उन ऐंटिबॉडीज को इंजेक्ट किया जा ता है, जो उनके शरीर में जो इम्यूनिटी डेवलप करने का काम करता है। इस इम्युनिटी को पेसिव इम्युनिटी (Passive Immunity) कहा जाता है।
कई शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि यह संक्रमित की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करता है। आपको बता दें, इससे पहले इबोला के मरीजों का भी ऐसे इलाज किया गया था। प्लाज्मा थेरेपी के कारण उस समय पर इबोला वायरस का डेथ रेट करीब 30 प्रतिशत तक कम हो गया था। यह थेरेपी उन लोगों की जान बचाने में कारगर सबित हो सकती है जो 60 साल से अधिक उम्र के हैं या फिर जो कोई दूसरी क्रॉनिक डिजीज से जूझ रहे हैं।