कोरोना से लंग्स प्रॉब्लम होना प्रमुख लक्षण है, इसलिए डॉक्टर्स ने पेशेंट की जांच की। डॉक्टर ने सीटी स्कैनर या एक्स-रे मशीन की सहायता से फेफड़ों की जांच की। रिजल्ट में फेफड़े हेल्दी दिख रहे थे, लेकिन फेफड़ों के कुछ हिस्सों में संक्रमण के कारण कुछ स्पॉट भी साफ नजर आ रहे थे। फफड़ों का ज्यादातर हिस्सा काला और भरा हुआ नजर आ रहा था। न्यूयार्क में कोविड-19 पेशेंट का इलाज कर रहे डॉक्टर का कहना है पेशेंट के फेफड़ों को देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे कि पेशेंट 30,000 फीट पर एक विमान में फंस गए हों और केबिन का दबाव धीरे-धीरे खत्म कर दिया गया हो। एमरजेंसी रूम में काम कर रहे एमडी डॉ कैमरन काइल-सिडल ने अपने इस अनुभव को फेसबुक में साझा किया। ऑरोरा में यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉक्टर टॉड बुल कहते हैं कि इस प्रकार के रोगियों में खून में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है, लेकिन फेफड़े स्वस्थ्य दिखाई देते हैं। कोरोना वायरस के लक्षण रोगियों में अलग-अलग नजर आ रहे हैं।
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जर्मनी में गोटिंगेन विश्वविद्यालय गेस्ट प्रोफेसर और एमडी लुसिआनो गट्टिनोनी कहते हैं कि उन्होंने जब इटली में कोरोने के पेशेंट का इलाज किया था तब वहां मुझे जांच के दौरान कई ऐसे पेशेंट मिले थे, जिन्हें सांस लेने में कोई समस्या नहीं, लेकिन उनके खून में ऑक्सीजन का लेवल बहुत कम था। लुसिआनो गट्टिनोनी के अनुसार, करीब 30 प्रतिशत कोविड-19 पेशेंट को एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) के क्लासिक सिम्टम्स पाएं गए। इमेजिंग स्केन के दौरान इन रोगियों के लंग्स क्लाउडी थे। साथ ही फेफड़ें सही तरह से काम भी नहीं कर रहे थे। वहीं कुछ पेशेंट ऐसे भी थे जिनके ब्लड में ऑक्सीजन का लेवल कम था और उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। डॉक्टर को पेशेंट में इंफ्लुएंजा और सार्स जैसे रेस्पिरेट्री डिसीज भी पेशेंट में दिखी।