दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस का इलाज और वैक्सीन की खोज करने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं। कोरोना वायरस का इलाज तलाशने में कुछ कामयाबी भी हासिल हुई है, लेकिन पूरी कामयाबी मिलने में वक्त लग सकता है। जब तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं निकलता तब तक इसका कहर पूरी दुनिया पर मंडराता रहेगा। दुनियाभर में इस खतरनाक वायरस से 30 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं दो लाख लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं। भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में गुजरात और मध्यप्रदेश का इंदौर शहर शामिल हैं। इन दोनों जगहों पर कोविड-19 से मौत के आंकड़ों की दर दूसरे शहरे के मुकाबले अधिक हैं, जो चिंता का विषय बना हुआ है। विशेषज्ञों की मानें तो देश में तीन तरह के कोरोना वायरस हैं। गुजरात और मध्यप्रदेश का इंदौर शहर में अधिक मौत का कारण कोरोना वायरस के एल-स्ट्रेन टाइप का होना हो सकता है।
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कोरोना वायरस के टाइप
कोरोना वायरस के कई रूप यानी स्ट्रेन हैं। कोरोना वायरस के एल-स्ट्रेन और एस स्ट्रेन वाले रूप को काफी घातक माना जाता है। वुहान से आया एल-स्ट्रेन सबसे ज्यादा खतरनाक है। एल-स्ट्रेन की चपेट में आने वाले मरीजों की जल्दी मौत हो जाती है। बात करें एस स्ट्रेन की तो बता दें यह एल स्ट्रेन के म्यूटेशन से ही तैयार हुआ है। यह एल-स्ट्रेन की तुलना में कम घातक है। अमेरिका में एल स्ट्रेन वायरस है। इस वजह से वहां मौत की दर अधिक है। गुजरात में अमेरिका से आने वाले लोगों की संख्या अधिक है। इसलिए अंदाजा लगाया जा रहा है कि गुजरात में कोरोना वायरस से अधिक मौत का कारण यह हो सकता है। वहीं केरल में ज्यादातर मरीज दुबई से आए थे, वहां एस-स्ट्रेन वायरस है। माना जा रहा है कि यही कारण है कि केरल में कम लोगों की जान गई है। आपको बता दें, भारत में चीन, अमेरिका और यूरोप से वायरस के स्ट्रेन आए हैं। यूरोप में जो वायरस फैला है उसे भी अमेरिका वाले वायरस से कम घातक बताया जा रहा है।
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बेहद घातक है कोरोना वायरस का एल-स्ट्रेन
गुजरात के बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (जीबीआरसी) के निदेशक जीसी जोशी ने बताया कि हमने कोरोना वायरस के संरचना की डीकोडिंग की है। इसमें कोरोना वायरस के तीन म्यूटेशन मिले हैं। इसका साफ मतलब है कि देश में तीन तरह के कोरोना वायरस के स्ट्रेन हैं। जोशी ने बताया कि गुजरात में फैला कोरोना वायरस एल-स्ट्रेन हो सकता है। चीन के वुहान में भी यहीं स्ट्रेन फैला था। वुहान में हुई ज्यादा लोगों की मौत का कारण कोरोना वायरस का एल-स्ट्रेन ही था।
जीसी जोशी ने बताया कि हो सकता है गुजरात में कोरोना वायरस का एल-स्ट्रेन फैला है, जिसकी वजह से अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में 57 मौतें हुई हैं। यहीं कारण है कि इंदौर से भी सैंपल जमा कर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेजा जा रहे हैं। इस पर अभी आगे रिसर्च चल रही है।
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एल-स्ट्रेन और एस-स्ट्रेन कोरोना वायरस में क्या अंतर है?
जैसा हमने उपरोक्त बताया कि देश में कोरोना वायरस के तीन स्ट्रेन मिले हैं, जिनमें से दो स्ट्रेन घातक हैं। कोरोना वायरस का एल-स्ट्रेन ज्यादा खतरनाक है। इसकी चपेट में आए शख्स के मरने की आशंका ज्यादा रहती है। वहीं दूसरी तरफ एस-स्ट्रेन का वायरस एल-स्ट्रेन के म्यूटेशन से ही बना है। यह एल स्ट्रेन की तुलना में कम घातक है, लेकिन यह भी जानलेवा ही है। अगर कोई शख्स पहले से कोई बीमारी से ग्रसित है तो एस-स्ट्रेन भी एल-स्ट्रेन जैसा घातक साबित हो रहा है।
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