गुजरात के बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (जीबीआरसी) के निदेशक जीसी जोशी ने बताया कि हमने कोरोना वायरस के संरचना की डीकोडिंग की है। इसमें कोरोना वायरस के तीन म्यूटेशन मिले हैं। इसका साफ मतलब है कि देश में तीन तरह के कोरोना वायरस के स्ट्रेन हैं। जोशी ने बताया कि गुजरात में फैला कोरोना वायरस एल-स्ट्रेन हो सकता है। चीन के वुहान में भी यहीं स्ट्रेन फैला था। वुहान में हुई ज्यादा लोगों की मौत का कारण कोरोना वायरस का एल-स्ट्रेन ही था।
जीसी जोशी ने बताया कि हो सकता है गुजरात में कोरोना वायरस का एल-स्ट्रेन फैला है, जिसकी वजह से अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में 57 मौतें हुई हैं। यहीं कारण है कि इंदौर से भी सैंपल जमा कर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेजा जा रहे हैं। इस पर अभी आगे रिसर्च चल रही है।
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एल-स्ट्रेन और एस-स्ट्रेन कोरोना वायरस में क्या अंतर है?
जैसा हमने उपरोक्त बताया कि देश में कोरोना वायरस के तीन स्ट्रेन मिले हैं, जिनमें से दो स्ट्रेन घातक हैं। कोरोना वायरस का एल-स्ट्रेन ज्यादा खतरनाक है। इसकी चपेट में आए शख्स के मरने की आशंका ज्यादा रहती है। वहीं दूसरी तरफ एस-स्ट्रेन का वायरस एल-स्ट्रेन के म्यूटेशन से ही बना है। यह एल स्ट्रेन की तुलना में कम घातक है, लेकिन यह भी जानलेवा ही है। अगर कोई शख्स पहले से कोई बीमारी से ग्रसित है तो एस-स्ट्रेन भी एल-स्ट्रेन जैसा घातक साबित हो रहा है।
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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिक कर रहे शोध
पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के अलग-अलग रूप पर रिसर्च कर रहे हैं। शोधकर्तओं का कहना है कि भारतीय मरीजों में अब तक मिलने वाले वायरस किसी एक देश के वायरस जैसे नहीं हैं। जिस देश से मरीज लौटा है उसमें वहां के स्ट्रेन का पता चला है। इस बात से यह साबित होता है कि वुहान से फैलने वाला वायरस जिस देश में भी पहुंचा, वहां के हालात के अनुसार उसने खुद को ढाल लिया। फिलहाल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी के शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस के नमूनों को केरल, इटली, ईरान से लौटे भारतीयों को पांच समूहों में बांटा और उनके नमूनों पर अध्ययन किया।
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