के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
अमीबियासिस आंतों में होने वाला एक परजीवी संक्रमण है जो एंटअमीबा हिस्टोलिटिका नामक प्रोटोजोआ के कारण होता है। इस बीमारी को अमिबिक डिसेंट्री के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी होने पर पेट में ऐंठन, दर्द और पतला मल होता है। वास्तव में हिस्टोलिका एक प्रजाति है जो लगभग 10 प्रतिशत संक्रमित व्यक्तियों में ही लक्षण पैदा करता है।
यह एक कोशिकीय जीव है जिसके कारण पेचिश होता है और कभी-कभी आंतों से जुड़ी गंभीर समस्याएं पैदा करता है। अगर समस्या बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
अमीबियासिस एक आम समस्या है जो आमतौर पर गंदे और प्रदूषित जगहों पर रहने वाले लोगों में होता है। ये महिला और पुरुष दोनों में सामान प्रभाव डालता है। साथ ही जेल में रहने वाले लोगों, समलैंगिक पुरुषों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों में यह समस्या होना बहुत सामान्य है। पूरी दुनिया में लाखों लोग अमीबियासिस से पीड़ित हैं। अमीबियासिस के कारण दुनिया भर में हर साल 50,000-100,000 मौतें होती हैं। आमतौर पर हर 10 में से 1 व्यक्ति अमीबियासिस के पीड़ित होता है। इस बीमारी के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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अमीबियासिस शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करता है। अमीबियासिस से पीड़ित व्यक्ति के पेट में सिस्ट बनने के 1 से 4 हफ्ते बाद इस बीमारी के लक्षण नजर आने लगते हैं। हालांकि सिर्फ 10 या 20 प्रतिशत लोग ही अमीबियासिस के कारण बीमार पड़ते हैं। समय के साथ अमीबियासिस के ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और अचानक से व्यक्ति को बुखार हो जाता है।
अमीबियासिस से पीड़ित व्यक्ति में लिवर से जुड़ी समस्याएं सामने आती हैं :
अमीबियासिस का परजीवी आंतों की दीवारों को तोड़कर ब्लडस्ट्रीम से होते हुए शरीर के विभिन्न आंतरिक अंगों में पहुंच जाता है। ये परजीवी व्यक्ति के लिवर, हृदय, मस्तिष्क सहित अन्य अंगों को फेल कर देते हैं जिससे ये अंग काम करना बंद कर देते हैं। इससे व्यक्ति गंभीर रुप से बीमार पड़ सकता है और उसे इंफेक्शन भी हो सकता है। कुछ गंभीर परिस्थितियों में अमीबियासिस के कारण व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
इसके अलावा अमीबियासिस के कुछ अन्य लक्षण भी सामने आते हैं :
अमीबियासिस से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति में सभी लक्षण एक साथ नहीं दिखते हैं या फिर इससे अलग लक्षण सामने आ सकते हैं। इसलिए इस संबंध में अपने डॉक्टर से बात कर लें।
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर अमीबियासिस अलग प्रभाव डाल सकता है। परिवार में किसी व्यक्ति में अमीबियासिस के लक्षण दिखने और खासतौर पर गंदी या प्रदूषित स्थानों पर यात्रा करने के बाद यदि पेट में मरोड़, सूजन, दर्द या दो हफ्तों से अधिक समय तक डायरिया होती है तो किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें।
यह ध्यान रखें कि अमीबियासिस होने पर लापरवाही न करें और तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। इलाज न कराने से यह बीमारी गंभीर हो सकती है और व्यक्ति का जीवन जोखिम में पड़ सकता है।
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एंटअमीबा हिस्टोलिटिका एक कोशिकीय प्रोटोजोआ है जो आमतौर पर किसी व्यक्ति के शरीर में तब प्रवेश करता है जब वह भोजन या पानी के माध्यम से सिस्ट को निगल जाता है। इसके अलावा यह परजीवी शौच के माध्यम से भी शरीर में सीधे प्रवेश कर जाता है। ये परजीवी मिट्टी और वातावरण में कई महीनों तक जिंदा रहते हैं और मल में जमा हो जाते हैं।
माइक्रोस्कोपिक सिस्ट मिट्टी, उर्वरक और पानी को प्रदूषित करता है। प्रदूषित पानी पीने से अमीबियासिस होता है। इसके अलावा यह बीमारी एनल और ओरल सेक्स, प्रेगनेंसी और कुपोषण के कारण भी होती है।
शरीर में प्रवेश करने के बाद सिस्ट पाचन तंत्र में घूमते रहते हैं। फिर वे परजीवी के रुप में एक्टिव हो जाते हैं जिन्हें ट्रोफोसाइट कहा जाता है। परजीवी पाचन तंत्र में प्रजनन करते हैं और बड़ी आंत में चले जाते हैं। वहां ये परजीवी आंतों की दीवार में बैठ जाते हैं जिसके कारण खूनी डायरिया, कोलाइटिस की समस्या होती है।
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अमीबियासिस एक सामान्य बीमारी है। अमीबियासिस के कारण कई समस्याएं हो सकती हैं। इस बीमारी के शुरुआती लक्षण बहुत हल्के होते हैं लेकिन समय पर इलाज न कराने से यह बीमारी गंभीर रुप ले सकती है। जिसके कारण व्यक्ति को फेफड़े, लिवर और मस्तिष्क में फोड़े, कोलाइटिस, टॉक्सिक मेगाकोलोन, रेक्टल रेशनल फिस्टुला और कैंसर होने का भी जोखिम रहता है।
अमीबियासिस से पीड़ित व्यक्ति का शरीर कमजोर हो जाता है और कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो सकता है। कुछ गंभीर परिस्थितियों में अमीबियासिस के कारण मौत भी हो सकती है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
अमीबियासिस का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इसके अलावा मल का सैंपल लेकर एंटअमीबा हिस्टोलिटिका सिस्ट की स्क्रीनिंग की जाती है। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
कुछ मरीजों में ब्लड टेस्ट के द्वारा अमीबियासिस का पता लगाया जाता है। लेकिन, कभी-कभी अमीबियासिस का निदान करने में बहुत कठिनायी होती है क्योंकि माइक्रोस्कोप से देखने पर अन्य परजीवी भी एंटअमीबा हिस्टोलिटिका परजीवी की तरह ही दिखायी देते हैं। इसलिए किसी अच्छे हेल्थ सेंटर में इस बीमारी का उचित निदान कराना चाहिए।
अमीबियासिस के इलाज के कई विकल्प मौजूद हैं। कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में अमीबियासिस के असर को कम किया जाता है। अमीबियासिस के इस तरह की मेडिकेशन की जाती है :
इसके अलावा अमीबियासिस से पीड़ित व्यक्ति की आंत में छिद्र बनने से रोकने के लिए एंटीबायोटिक दी जाती है। साथ ही डायट में बदलाव करने से भी इसका जोखिम कम होता है। अगर लिवर पूरी तरह से डैमेज हो चुका है तो लिवर ट्रांसप्लांट एक मात्र विकल्प बचा रहता है। इस बीमारी के जोखिम से बचने के लिए गंदे जगहों पर यात्रा करने से बचना चाहिए और प्रदूषित भोजन या पानी का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। अमीबियासिस का इलाज शुरू होने पर मरीज को ठीक होने में कम से कम दो हफ्तों का समय लगता है।
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अगर आपको अमीबियासिस है तो आपके डॉक्टर वह आहार बताएंगे जिसमें बहुत अधिक मात्रा में पोषक तत्व पाये जाते हों और आसानी से पचते हों। इसके साथ ही पानी को उबालकर या फिल्टर करके पीने की सलाह दी जाती है। वहीं, फल और सब्जियों को बिना धोए नहीं खाना चाहिए। अमीबियासिस होने पर आपको निम्न आहार लेना चाहिए:
इसके साथ ही जीवनशैली और आदतों में बदलाव करके भी अमीबियासिस से काफी हद तक बचा जा सकता है। पेय पदार्थों में बर्फ के टुकड़े मिलाकर न पीएं और पनीर, दूध या किसी भी अपाश्चुरीकृत डेयरी उत्पादों का सेवन करने से बचें।
साथ ही बाजार की कोई भी चीज खाने से बचना चाहिए। साफ-सफाई का उचित ध्यान रखकर भी इस बीमारी से बचा जा सकता है। टॉयलेट यूज करने, डायपर या माहवारी का पैड बदलने के बाद साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह धोना चाहिए।
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इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
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