बारिश का मौसम जहां एक तरफ खुशनुमा एहसास ले कर आता है, वहीं मलेरिया और डेंगू जैसी मौसमी बीमारियां भी लेकर आता है। कई बार तो लोग ये भी कहते हैं कि ‘काश! मच्छर इस धरती पर हो ही ना।’ लेकिन, ऐसा संभव नहीं है। मच्छर के लार में पाए जाने वाले परजीवी ‘प्लाज्मोडियम’ के कारण होता है। जब मच्छर हमें काटता है तो उसके लार के जरिए प्लाज्मोडियम हमारे खून में चला जाता है और मलेरिया का कारण बनता है। ऐसे में केन्या देश से एक राहत भरी खबर आई है कि माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम की जा सकती है। इस आर्टिकल में हम आपको माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम के बारे में सारी जानकारी देंगे।
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मलेरिया क्या है?
मलेरिया एक मच्छर जनित रोग है, जो एनाफिलीज नामक मादा मच्छर के काटने से होता है। मलेरिया प्लाज्मोडियम नामक एक परजीवी के कारण होता है, जो दूषित पानी में पाया जाता है। जब मच्छर दूषित पानी में पनपते हैं तो वह मच्छरों के लार में चला जाता है और फिर मच्छरों के काटने से प्लाज्मोडियम इंसान के खून में पहुंच जाता है। इसके बाद इंसान के शरीर में मलेरिया बीमारी को पैदा करता है।
मलेरिया के लक्षण क्या हैं?
मलेरिया के लक्षण निम्न हैं :
- शरीर का कांपना और ठंड लगना
- तेज बुखार, सिर में दर्द और उल्टियां होना
- थकान महसूस होना
- अचानक से पसीना आना
- पूरी तरह से होश में ना होना
- शरीर में ऐंठन होना
- सांस लेने में परेशानी
- शरीर से असामान्य ब्लीडिंग
- एनीमिया के लक्षण सामने आना
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माइक्रोब क्या है?
माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम जानने से पहले आपको माइक्रोब को जानना होगा। माइक्रोब एक प्रकार का मलेरिया को ब्लॉक करने वाला सूक्ष्म बग है। माइक्रोब को माइक्रोस्पोरिडिया (MB) कहते हैं, माइक्रोस्पोरिडिया एक प्रकार की सुक्ष्म फंफूद है। केन्या और यूनाइटेड किंगडम के वैज्ञानिकों ने केन्या स्थित विक्टोरिया झील के किनारों पर मच्छरों पर रिसर्च की। जिसमें उन्हें कीड़ों-मकौड़ों के पेट और गुप्तांगों में माइक्रोब मिला।
रिसर्चर्स ने पाया कि जिन मच्छरों के पेट और गुप्तांगों में माइक्रोब पाया गया, उनमें प्लाज्मोडियम (मलेरिया को पैदा करने वाला परजीवी) नहीं मिला। नेचर कम्यूनिकेशन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम संभव है। यूं कह सकते हैं कि मलेरिया का अंत माइक्रोब की मदद से हो सकता है। अगर माइक्रोब सभी मच्छरों में पाए जाने लगे तो वह प्लाज्मोडियम को मच्छर के शरीर में पनपने से रोकेगा। जिससे मलेरिया मच्छर के काटने के बाद भी नहीं होगा।
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माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम कैसे की जा सकती है?
माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम पर अभी रिसर्च जारी है। फिलहाल के लिए वैज्ञानिकों ने सिर्फ इतनी ही पुष्टि की है कि माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम मच्छर के इम्यून सिस्टम को बेहतर कर के की जा सकती है। जब मच्छर का इम्यून सिस्टम माइक्रोब के कारण सही रहेगा तो मच्छर में प्लाज्मोडियम का इंफेक्शन नहीं हो सकता है। जब माइक्रोब मच्छर के शरीर में पाया जाएगा, तो वह मलेरिया के परजीवी को पनपने के लिए उपयुक्त परिवेश नहीं देगा। जिससे भी मलेरिया का फैलाव घटेगा।
हालांकि, माइक्रोब भी एक प्रकार का परजीवी ही है, ये फंफूद मच्छर के जननांगों और पेट में पाया जाता है। माइक्रोब का इंफेक्शन मच्छरों में लंबे समय तक रहता है, जिसके आधार पर वैज्ञानिकों का ये मानना है कि माइक्रोब का इंफेक्शन लंबे समय तक होने के कारण मलेरिया का परजीवी भी लंबे समय तक मच्छर को इंफेक्ट नहीं कर सकेगा।
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माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम कितनी प्रभावी होगी?
माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम के प्रभाव पर केन्या के इंटरनेशनल सेंटर ऑफ इंसेक्ट फिजिओलॉजी एंड इकोलॉजी ने कहा है कि माइक्रोब मलेरिया के परजीवी को 100 फीसदी तक ब्लॉक कर सकती है। माइक्रोब के खोज से मलेरिया को खत्म करने में भी मदद मिल सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हर साल पूरी दुनिया में चार लाख लोगों की जान सिर्फ मलेरिया के कारण जाती है। इसमें सबसे ज्यादा मौतें पांच साल से कम उम्र के बच्चों की होती है। हालांकि, लोग मलेरिया से बचने के लिए मच्छरदानी, स्प्रे और साफ-सफाई करते हैं। लेकिन फिर भी मलेरिया को रोकने के लिए ये प्रयास पर्याप्त नहीं होता है। ऐसे में माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम जड़ से प्रभावी साबित होगी।
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माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम कैसे काम करता है?
मलेरिया के सिर्फ 40 प्रतिशत मच्छरों में ही माइक्रोब पाए जाते हैं। माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम के लिए माइक्रोब से सबी मच्छरों को इंफेक्ट कराया जाना जरूरी है। माइक्रोस्पोरिडिया नर मच्छर से मादा मच्छर के शरीर में प्रजनन के समय जाता है। ऐसे में रिसर्चर्स दो मुख्य स्ट्रेटजी पर काम कर रहे हैं, जिससे मादा मच्छरों में माइक्रोब की संख्या बढ़ाई जा सके :
- माइक्रोस्पोरिडिया के स्पोर को ज्यादा मात्रा में मच्छर में इंफेक्ट कराया जाए।
- नर मच्छर को लैब में माइक्रोब से संक्रमित कराया जाए और उन्हें छोड़ दिया जाएं, जिससे जब वे मादा मच्छर के साथ सेक्स करें तो उससे मादा मच्छर भी संक्रमित हो सकें।
माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम करने में हमें ज्यादा मदद मिल सकती है, जिससे मलेरिया के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा भी हम घटा सकते हैं। हालांकि माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम कोई नई बात नहीं है। इसके पहले भी वैज्ञानिकों ने बैक्टीरिया की मदद से डेंगू की रोकथाम पर भी काम किया है। डेंगू की रोकथाम के लिए एक प्रकार के बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया गया, जिसका नाम वोल्बाचिया (Wolbachia) है।
मलेरिया के रोकथाम के अन्य उपाय क्या हैं?
माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम पर जब तक पूरी तरह से काम शपरू नहीं हो जाता है, तब तक के लिए आप निम्न तरीकों से मलेरिया की रोकथाम कर सकते हैं :
- मॉस्क्विटो रिपेलेंट को स्किन और कपड़ों पर लगाएं। इसके अलावा पर्मेथ्रिन लोशन या स्प्रे को कपड़ों पर लगाना आपके लिए और बच्चों के सुरक्षित होगा।
- सोने के लिए अपने बेड पर मच्छरदानी लगा कर सोना बेहतर विकल्प हो सकता है। मच्छरदानी से जहां एक तरफ किसी प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल नहीं करना होता है, वहीं आप रोजाना के फिजूल खर्च से भी बच सकते हैं।
- मलेरिया से बचाव के लिए बाहर जाते समय पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। ऐसा करने से मच्छर आपसे दूर रहेंगे। बेहतर होगा कि बच्चों को भी फुल स्लीव्स वाले कपड़े ही पहनाएं।
- घर में या घर के आसपास किसी भी जगह पर पानी को एकत्र न होने दें।
माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम की मंजूरी डब्ल्यूएचओ की तरफ से मिलने के बाद मलेरिया एक ऐसी बीमारी हो सकती है, जो कभी किसी को हुआ करती थी। तब तक आप अपने तरफ से मलेरिया और मच्छर जनित बीमारियों से बचने का उपाय करते रहें।
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