परिचय
निम्न रक्तचाप या हाइपोटेंशन सामान्य से नीचे ब्लड प्रेशर में आई गिरावट की स्थिति है। ब्लड प्रेशर का सामान्य स्तर 120/80 एमएमएचजी होता है। लो ब्लड प्रेशर की स्थिति में यह 90/60 एमएमएचजी से कम हो जाता है। ज्यादातर लोग हाई ब्लड प्रेशर की तुलना में हाइपोटेंशन (hypotension) को बड़ी समस्या नहीं मानते हैं। अगर ब्लड प्रेशर लेवल अचानक या ज्यादा नीचे चला जाए तो यह हेल्थ के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकता है। हालांकि लो ब्लड प्रेशर का आयुर्वेदिक इलाज मौजूद है। जिससे इस पर नियंत्रण किया जा सकता है। बता दें कि जब कोरोनरी धमनियों (हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों) में रक्त पहुंचाने के लिए अपर्याप्त ब्लड प्रेशर होता है, तो व्यक्ति को चेस्ट पेन या हार्ट अटैक भी आ सकता है। ऐसे में लो ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए आयुर्वेद का सहारा लिया जा सकता है। क्या है, हाइपोटेंशन की आयुर्वेदिक दवा कितनी प्रभावी है, जानते हैं इस आर्टिकल में-
आयुर्वेद के अनुसार लो ब्लड प्रेशर (hypotension) क्या है?
आयुर्वेद में निम्न रक्तचाप (low blood pressure) की मुख्य वजह वात को माना गया है। हालांकि, पित्त और कफ भी इनडाइरेक्ट तरीके से ब्लड प्रेशर को प्रभावित करते हैं। कफ और पित्त के असंतुलन की वजह से एनीमिया (anemia) और कमजोरी होती है जो लो ब्लड प्रेशर का कारण बन सकती हैं। हाइपोटेंशन एक वात विकार है। इसमें शरीर की ओज और रस धातु भी प्रभावित होती है। वात दोष की वजह से रस और रक्त धातु के बिगड़ने से हाइपोवोलेमिया (रक्त की मात्रा कम होना) की स्थिति पैदा हो सकती है। यह हेल्थ कंडीशन भी लो ब्लड प्रेशर का कारण बनती है।
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लक्षण
आयुर्वेद के अनुसार लो ब्लड प्रेशर के लक्षण क्या हैं?
शुरुआत में निम्न रक्तचाप कोई ख़ास संकेत नहीं देता है। यही कारण है कि इसे शुरूआती दौर में पकड़ना आसान नहीं होता है। अक्सर स्तिथि खराब हो जाने पर ही लो ब्लड प्रेशर का पता चलता है। ब्लड प्रेशर कम होने के क्या लक्षण हैं तो हम आपको बता दें कि इसके सबसे सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- बेहोशी
- चक्कर आना
- जी मिचलाना
- ध्यान की कमी
- थकान
- धुंधला दिखना
- शरीर में दर्द और भारीपन
- सुस्ती
- कमजोरी आना आदि।
जब ब्लड प्रेशर का लेवल एकदम से गिरता है तो हाइपोटेंशन विशेष रूप से खतरनाक साबित हो सकता है। यदि आपको भ्रम, ठंड लगना और सांस हल्की आने की समस्या लग रही है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह ले। लंबे समय तक हाइपोटेंशन (low blood pressure) से मस्तिष्क और हृदय में रक्त का प्रवाह कम हो सकता है, जिससे ऑर्गन डैमेज हो सकते हैं।
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कारण
लो ब्लड प्रेशर के कारण क्या हैं?
हाइपोटेंशन के कारण बहुत हैं, आमतौर पर विभिन्न शरीर और स्वास्थ्य स्थितियों की वजह से निम्न रक्तचाप की समस्या होती है। कुछ सबसे आम कारणों में शामिल हैं:
- गर्भावस्था
- अंतःस्रावी विकार (Endocrine disorders)
- दिल की बीमारी (Heart disease)
- खून की कमी होना (Blood loss)
- डिहाइड्रेशन (Dehydration)
- गंभीर एलर्जी रिएक्शंस
- गंभीर संक्रमण
- फोलेट और विटामिन बी 12 की कमी
- कुछ दवाएं और बीमारियां आदि।
निम्न रक्तचाप किसी भी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है, जिनमें बच्चे, युवा वयस्क और 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग शामिल हैं।
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लो ब्लड प्रेशर का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
लो ब्लड प्रेशर को कैसे कंट्रोल करें? अगर यह सवाल आपके मन में है तो आपको बता दें कि इसके लिए आयुर्वेद में कई चिकित्सा प्रणाली मौजूद हैं। जैसे-
लो ब्लड प्रेशर का आयुर्वेदिक इलाज : थेरिपी
आयुर्वेद में हाइपोटेंशन के उपचार के लिए कई तरह की थेरेपीज उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग करके समस्या को मैनेज किया जा सकता है।
सरवांग शीरोधारा
यह एक आयुर्वेदिक उपचार है जिसमें दूध या तेल को कई तरह की जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर लिक्विड मिक्चर तैयार किया जाता है। फिर इसे सिर पर डाला जाता है।
अभ्यंग
अभ्यंग में शरीर में मालिश के जरिए ऊर्जा का उचित प्रवाह किया जाता है। 60 से 90 मिनट तक के लिए की जाने वाली इस प्रक्रिया से लो ब्लड प्रेशर का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है।
स्वेदन
इस आयुर्वेदिक थेरेपी में गर्म पुल्टिस से 30 से 40 मिनट तक शरीर की सिकाई की जाती है। इससे शरीर से पसीना निकलता है जिससे शरीर में जमे टॉक्सिन्स आसानी से निकल जाते हैं।
शोधन कर्म
लो ब्लड प्रेशर के आयुर्वेदिक इलाज में शोधन कर्म का उपयोग भी कर सकते हैं:
- एनिमा या बस्ती : इस आयुर्वेदिक कर्म से तीनों दोष वात, पित्त और कफ को संतुलित किया जा सकता है। इसमें कई तरह की हर्ब्स का तेल या काढ़ा इस्तेमाल में लाया जाता है।
- नास्य कर्म : इसमें नांक के नोस्ट्रिल्स में औषधीय तेल की बूंदें डाली जाती हैं। यह तेल कई जड़ी-बूटियों से मिलकर बना होता है।
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लो ब्लड प्रेशर का आयुर्वेदिक इलाज : हर्ब्स
तुलसी पत्तियां
रोज सुबह पांच से छह तुलसी के पत्ते खाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। तुलसी के पत्तों में पोटेशियम, मैग्नीशियम और विटामिन सी उच्च मात्रा में पाया जाता है। यह यूजेनॉल नामक एंटीऑक्सिडेंट से भी भरा हुआ है जो रक्तचाप को नियंत्रण में रखता है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है।
मुलेठी (Licorice)
एडाप्टोजेनिक और एंटी-इंफ्लामेट्री गुणों से भरपूर मुलेठी के फायदे सेहत के लिहाज से बेहिसाब हैं। आयुर्वेद में, इसकी जड़ का इस्तेमाल पित्त और वात को शांत करने के लिए किया जाता है। यह निम्न रक्तचाप को भी कंट्रोल करने में काफी प्रभावी है। शोध के अनुसार, पोटेशियम की कमी के कारण हाई ब्लड प्रेशर के कारण इसे हाइपरटेंशन के रोगियों को न लेने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इसमें रक्तचाप बढ़ाने वाला प्रभाव होता है, इसलिए यह लो ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए उपयोगी होती है। इसके लिए डॉक्टर की सलाह से आप मुलेठी कैप्सूल या इसकी जड़ का सेवन कर सकते हैं।
लहसुन
आयुर्वेद में लहसुन काफी लाभदायक माना गया है, जिसे रसोनम के नाम से जाना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में एनर्जी देने वाले और वायुनाशक गुण होते हैं। एक्सपर्ट दिल की कई बीमारियों के लिए इसका इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। यह पाउडर, रस व ऑयल के रूप में आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
रोजमेरी (Rosemary Oil)
एक फ्लेवरिंग हर्ब के रूप में रोजमेरी का इस्तेमाल लंबे समय से किया जा रहा है। रोजमेरी एसेंशियल ऑइल का उपयोग एरोमाथेरेपी में भी किया जाता है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि यह हाइपोटेंशन के उपचार में भी मदद कर सकता है।
शोधकर्ताओं की माने तो रोजमेरी में फाइटोकेमिकल्स (phytochemicals) जैसे रोजमरिनिक एसिड (rosmarinic acid), कैफिक एसिड (caffeic acid), कार्नोसिक एसिड (carnosic acid) पाए जाते हैं। द जर्नल ऑफ एथ्नोफार्माकोलॉजी (The Journal of Ethnopharmacology) में छपे एक अध्ययन से पता चलता है कि रोजमेरी ऑयल का सेवन करने से हाइपोटेंशन रोगियों में रक्तचाप को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। जबकि अन्य अध्ययनों से पता चलता है कि अरोमाथेरेपी मसाज में इसके इस्तेमाल से रक्तचाप, हृदय गति और रेस्पिरेटरी रेट में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
ब्राम्ही
इस इंडियन हर्ब को निम्न रक्तचाप के लिए एक और प्रभावी घरेलू उपाय है। इसे थोड़े से कपूर और दालचीनी (एक चुटकी) के साथ लिया जाना चाहिए।
अर्जुन
आयुर्वेद में अर्जुन का इस्तेमाल कई रोगों के इलाज में किया जाता है। अर्जुन की छाल का चूर्ण डॉक्टर के निर्देशानुसार लेने से लो बीपी की समस्या को सही किया जा सकता है। ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में यह काफी उपयोगी है। लो ब्लड प्रेशर (हाइपोटेंशन) और हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) दोनों ही स्थितियों में अर्जुन का उपयोग किया जा सकता है।
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लो ब्लड प्रेशर का आयुर्वेदिक इलाज: दवा
त्रिकटु
काली मिर्च, सूखी अदरक और पिप्पली के मिश्रण से तैयार की गई यह दवा लो ब्लड प्रेशर में उपयोगी सिद्ध होती है।
मकरध्वज रस
लो ब्लड प्रेशर का आयुर्वेदिक इलाज करने के दौरान मकरध्वज रस का सेवन प्रभावकारी होता है। हाइपोटेंशन के इलाज एक साथ ही पेरिफेरल सर्कुलेटरी फेल्योर के ट्रीटमेंट में भी यह उपयोगी है। शारीरिक कमजोरी, थकान, मांसपेशियों में ऐंठन और लो ब्लड प्रेशर के उपचार में उपयोगी इस दवा की खुराक, डॉक्टर के निर्देशानुसार ही लेनी चाहिए।
आयुर्वेदिक चूर्ण
हिंगुवाचादि चूर्ण (hinguvachadi choornam), वैश्वानारम चूर्ण (vaiswanaram choornam), अश्वगंधा चूर्ण (ashwagandha choornam) और इंदुपुकानम चूर्ण ( induppukanam choornam) लो ब्लड प्रेशर की आयुर्वेदिक दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता हैं।
ऊपर बताई गई आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह से ही किया जाना चाहिए।
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लो ब्लड प्रेशर का इलाज : योग
अपने निम्न रक्तचाप को नियंत्रित करें। स्वस्थ जीवन के लिए हाइपोटेंशन के रोगियों के लिए योग आसन करने की सलाह दी जाती है। लो ब्लड प्रेशर योगासन इस प्रकार हैं-
- उत्तानासन (Uttanasana): यह मुद्रा मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में सुधार करती है।
- अधो मुख सवासना (Adho Mukha Svanasana): यह मुद्रा मस्तिष्क को शांत करती है और थकान से शरीर को छुटकारा दिलाती है।
- पवनमुक्तासन (Pavanmuktasana): यह मुद्रा रक्त परिसंचरण को बढ़ाती है। साथ ही पीठ के निचले हिस्से में तनाव को कम करती है।
- सर्वांगासन (Sarvangasana): यह योगासन मस्तिष्क में ब्लड सर्क्युलेशन को सुधारता है।
- मत्स्यासन (Matsyasana): यह मुद्रा पूरे शरीर में रक्त के उचित और पर्याप्त प्रवाह को सुनिश्चित करती है, जिससे रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
- बालासन (Balasana): बालासन आपके नर्वस सिस्टम को शांत करने में मदद करता है। जिससे आपके शरीर का ब्लड प्रेशर संतुलित होता है और लो ब्लड प्रेशर या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या नियंत्रित होती है।
- भस्त्रिका प्राणायाम (Bhastrika Pranayama): लो ब्लड प्रेशर के लिए भस्त्रिका प्राणायाम काफी फायदेमंद माना जाता है। सबसे पहले पद्मासन या वज्रासन जैसे किसी आरामदायक योगासन में बैठकर मन को शांत कर लें। अब बायीं नासिका को बंद करके दायीं नासिका से सांस लें और फिर छोड़ें। इसके बाद धीरे-धीरे गति बढ़ाएं। फिर 10 बार सांस लेने के बाद सांस को भरकर अंदर कुंभक करें और मूलबंध, उड्डियानबंध और जालंधर बंध लगाएं। इसके बाद दायीं नासिका को बंद करके बायीं नासिका से इसी प्रक्रिया को दोहराएं।
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लो ब्लड प्रेशर का आयुर्वेदिक इलाज कितनी प्रभावी है?
अभ्यंग और शिरोधरा जैसी आयुर्वेदिक थेरिपी ब्लड फ्लो को बेहतर करके रक्त चाप को कंट्रोल करती है। आयुर्वेदिक हर्ब जैसे अर्जुन हार्ट हेल्थ को दुरुस्त करने के साथ ही लो ब्लड प्रेशर जैसी स्थितियों से हृदय की सुरक्षा करती है। अल्टरनेटिव चिकित्सा के रूप में लो ब्लड प्रेशर का आयुर्वेदिक इलाज प्रभावी सिद्ध होता है।
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लो बीपी की आयुर्वेदिक दवा के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
हाइपोटेंशन का आयुर्वेदिक इलाज करने के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली हर्ब्स और दवाओं का कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकता है। इसलिए, किसी भी स्वास्थ्य स्थिति के लिए आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी बहुत जरूरी है खासकर गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को इसके इस्तेमाल में बहुत सतर्कता रखने की आवश्यकता है।
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आयुर्वेद के अनुसार लो ब्लड प्रेशर का आयुर्वेदक इलाज करते समय जीवनशैली में क्या बदलाव जरूरी हैं?
आयुर्वेदिक इलाज तभी ज्यादा प्रभावी होता है जब जीवनशैली में जरूरी बदलाव किए जाए। लो ब्लड प्रेशर के आयुर्वेदिक इलाज के दौरान अपनी लाइफ स्टाइल में क्या करें और क्या नहीं?
क्या करें?
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
- छोटे-छोटे मील्स दिन में कई बार लें।
- अगर आपका सवाल है कि ब्लड प्रेशर कम होने पर क्या खाना चाहिए? तो बता दें कि विटामिन बी -12 से भरपूर खाद्य पदार्थ लें।
- बिस्तर पर से आराम से उठें।
- शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
क्या न करें?
- कॉफी या ग्रीन टी पीने से आपको अस्थायी रूप से ब्लड प्रेशर को बढ़ाने में मदद मिल सकती है, लेकिन यह केवल तुंरत राहत के लिए मददगार है। इसलिए, कैफीन की मात्रा को सीमित करें।
- कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कैंडीज, कुकीज, सोडा, आलू और ब्रेड उत्पाद को अवॉयड करें।
- हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइजेज से बचें।
- धूप से बचें।
- तनाव लेने से बचें।
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लो ब्लड प्रेशर के घरेलू उपाय क्या हैं?
लो ब्लड प्रेशर के घरेलू उपाय निम्नलिखित हैं-
- चुकंदर का रस निम्न रक्तचाप के लिए सबसे प्रभावी घरेलू उपचारों में से एक है। इस स्थिति का इलाज करने के लिए रोगी को प्रतिदिन दो बार एक कप बीटरूट जूस पीना चाहिए।
- लो ब्लड प्रेशर के लिए सबसे सरल उपाय में से एक है हॉट एप्सम सॉल्ट बाथ। रोगी को दस से बीस मिनट तक इसके गर्म पानी से नहाना चाहिए।
- हाइपोटेंशन के घरेलू उपाय के तौर पर नमक का उपयोग करना अच्छा रहता है। जब तक उचित आहार और आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से रक्तचाप सामान्य स्तर तक नहीं पहुंच जाता, तब तक यह आवश्यक है कि रोगी को प्रतिदिन नमक का सेवन उचित मात्रा में करना चाहिए।
- हल्दी, दालचीनी, अदरक, लहसुन, काली मिर्च और इलायची जैसी हर्ब्स का सेवन डायट में करें। इससे लो ब्लड प्रेशर के लक्षणों से निपटने में मदद मिलती है।
लो ब्लड प्रेशर की समस्या आमतौर पर आनुवांशिक के साथ-साथ जीवनशैली से जुड़े कारणों की वजह से होती है। जिसके इलाज में आयुर्वेद काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके अलावा, आयुर्वेदिक औषधियां के कारण दुष्प्रभाव दिखने की आशंका भी बहुत कम होती है। लेकिन इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि इससे किसी खास व्यक्ति को खास परिस्थिति में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए आयुर्वेद के तरीकों का इस्तेमाल किसी एक्सपर्ट की निगरानी में ही करें।
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