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चिंता का शरीर पर प्रभाव (Anxiety Effects on the Body) कितना घातक हो सकता है जानिए

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 14/07/2022

    चिंता का शरीर पर प्रभाव (Anxiety Effects on the Body) कितना घातक हो सकता है जानिए

    हर व्यक्ति चिंता का अनुभव करता है, लेकिन क्रोनिक एंजायटी जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। एंजायटी की वजह से व्यवहार में तो बदलाव आता ही है जिसकी वजह से फिजिकल हेल्थ पर भी खतरनाक प्रभाव पड़ सकता है। इस लेख में चिंता का शरीर पर प्रभाव (Anxiety Effects on the Body) कैसा होता है, जिसकी वजह से क्या-क्या परेशानियां हो सकती हैं। इसके बारे में जानकारी दी जा रही है।

    चिंता का शरीर पर प्रभाव (Anxiety Effects on the Body)

    चिंता का शरीर पर प्रभाव (Anxiety Effects on the Body) इसलिए भी बढ़ता जा रहा है क्योंकि एंजायटी जीवन हिस्सा बन चुकी है। उदाहारण के लिए हम इंटरव्यू के पहले या प्रेजेंटेशन के पहले एंजायटी का अनुभव कर सकते हैं। थोड़े समय के लिए एंजायटी हार्ट रेट और ब्रीदिंग को बढ़ा सकती है। ब्लड फ्लो को ब्रेन में केन्द्रित कर सकती है जहां इसकी जरूरत होती है। यह किसी सिचुएशन के लिए तैयार करने वाले फिजिकल रिस्पॉन्स होते हैं। अगर ये बहुत इंटेंस हो जाते हैं तो सिर हल्का होना या उल्टी आना जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।

    चिंता बहुत बढ़ने और लंबे समय तक बने रहने से इसका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा असर होता है। एंजायटी डिसऑर्डर लाइफ की किसी भी स्टेज पर हो सकता है, लेकिन ये आमतौर पर मिडिल एज में शुरू होता है। महिलाओं में पुरुषों की तुलना में एंजायटी डिसऑर्डर अधिक पाया जाता है।

    तनाव पूर्ण लाइफ एक्सपीरियंस एंजायटी डिसऑर्डर के रिस्क को बढ़ा सकते हैं और शरीर पर चिंता का प्रभाव बढ़ता जाता है। लक्षण तुरंत और कुछ सालों के बाद शुरू हो सकते हैं। गंभीर मेडिकल कंडिशन या सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर एंजायटी डिसऑर्डर का कारण बनता है।

    सेंट्रल नर्वस सिस्टम (Central nerves system) पर चिंता का प्रभाव

    चिंता का शरीर पर प्रभाव में सबसे पहले जानते हैं कि नर्वस सिस्टम को यह कैसे प्रभावित करती है? लंबे समय तक रहने वाले चिंता और पैनिक अटैक ब्रेन को रेगुलर बेसिस पर स्ट्रेस हॉर्मोन्स को रिलीज करने का कारण बनते हैं। इसकी वजह से सिर में दर्द, चक्कर आना और डिप्रेशन जैसे लक्षण ज्यादा और जल्दी-जल्दी दिखाई देने लगते हैं।

    जब हम चिंतित और तनावग्रस्त महसूस करते हैं, तो मस्तिष्क नर्वस सिस्टम को हॉर्मोन और रसायनों से भर देता है जो खतरे का जवाब देने में मदद करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल (Adrenaline and cortisol) दो उदाहरण हैं।

    कभी-कभी तनाव किसी काम को करने में मददगार साबित होता है, लेकिन लंबे समय तक तनाव फिजिकल हेल्थ के लिए नुकसानदायक हो सकता है। लंबे समय तक कोर्टिसोल के संपर्क में रहने से वजन बढ़ सकता है। इसलिए कहा जाता है कि चिंता का शरीर पर प्रभाव (Anxiety Effects on the Body) बुरा होता है।

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    कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Cardiovascular system) पर चिंता का प्रभाव

    चिंता का शरीर पर प्रभाव (Anxiety Effects on the Body) सिर्फ सेंट्रल नर्वस सिस्टम तक ही नहीं है यह कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को भी प्रभावित करती है। एंजायटी डिसऑर्डर हार्ट रेट में वृद्धि का कारण बनते हैं। इसके साथ ही इससे सीने में दर्द पल्पिटेशन भी हो सकता है। हाय ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज का रिस्क भी बढ़ जाता है। अगर किसी व्यक्ति को पहले से हार्ट डिजीज है तो एंजायटी डिसऑर्डर्स कोरोनरी इवेंट्स का रिस्क बढ़ा सकते हैं।

    डायजेस्टिव सिस्टम (Digestive system) पर चिंता का प्रभाव

    चिंता का बॉडी पर प्रभाव ऐसा होता है कि यह हमारे पाचन तंत्र को भी बुरी तरह प्रभावित कर देती है। इसकी वजह से व्यक्ति पेट में दर्द, उल्टी, डायरिया और डायजेस्टिव से संबंधित दूसरी परेशानियों को महसूस करते हैं। इसकी वजह से भूख में कमी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। एंजायटी डिसऑर्डर्स और इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के बीच कनेक्शन भी हो सकता है। आईबीएस उल्टी, डायरिया और कब्ज का कारण बनता है।

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    इम्यून सिस्टम (Immune system) पर चिंता का प्रभाव

    चिंता का शरीर पर प्रभाव (Anxiety Effects on the Body) वीक इम्यून सिस्टम के रूप में सामने आ सकता है। अल्पावधि में, यह पल्स और ब्रीदिंग रेट को बढ़ाता है, जिससे मस्तिष्क को अधिक ऑक्सीजन मिल सकती है। यह इंटेंस सिचुएशन के लिए उचित प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार करता है। इससे हमारे इम्यून सिस्टम को एक ब्रीफ बूस्ट मिल सकता है। कभी-कभी तनाव से के गुजरने पर हमारा शरीर सामान्य कामकाज पर लौट आता है।

    लेकिन हम आप बार-बार चिंतित और तनावग्रस्त महसूस करते हैं या यह लंबे समय तक रहता है, तो शरीर को कभी भी सामान्य कामकाज पर लौटने का संकेत नहीं मिलता है। यह हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकता है, जिससे हम वायरल संक्रमण और बार-बार होने वाली बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। साथ ही, यदि व्यक्ति एंजायटी से ग्रसित है, तो हो सकता है कि नियमित टीके भी काम न करें।

    रेस्पिरेटरी सिस्टम (Respiratory system) पर चिंता का प्रभाव

    चिंता का शरीर पर प्रभाव इतना बुरा हो सकता है अब तक आप ये तो समझ ही गए होंगे। बता दें कि यह रेस्पिरेटरी सिस्टम को भी बुरी तरह प्रभावित करती है। एंजायटी की वजह से रैपिड ब्रीदिंग होती है। अगर आपको क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज है तो एंजायटी रिलेटेड कॉम्प्लिकेशन्स की वजह से प्रभावित व्यक्ति का हॉस्पिटलाइजेशन का रिस्क बढ़ सकता है। एंजायटी अस्थमा के लक्षणों को भी और बुरा बना सकती है।

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    शरीर पर चिंता के अन्य प्रभाव (Other effects of anxiety)

    शरीर पर चिंता का प्रभाव

    चिंता का शरीर पर प्रभाव (Anxiety Effects on the Body) जो ऊपर बताए गए हैं उनके अलावा भी एंजायटी डिसऑर्डर दूसरे लक्षणों का भी कारण बन सकते हैं। जिन्में निम्न शामिल हैं।

    यदि व्यक्ति PTSD से प्रभावित है, तो वह फ्लैशबैक का अनुभव कर सकता है, एक दर्दनाक अनुभव को बार-बार अनुभव कर सकता है। आप क्रोधित हो सकते हैं या आसानी से चौंक सकते हैं, और शायद भावनात्मक रूप से पीछे हट जाते हैं। अन्य लक्षणों में बुरे सपने, अनिद्रा और उदासी शामिल हैं। चिंता का शरीर पर प्रभाव (Anxiety Effects on the Body) के बाद एंजायटी डिसऑर्डर के बारे में भी थोड़ा जान लीजिए।

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    एंजायटी डिसऑर्डर के प्रकार (Types of anxiety disorder)

    एंजायटी डिसऑर्डर के कई प्रकार हैं। जो निम्न हैं।

    • जेनेरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर (Generalized anxiety disorder) : इस डिसऑर्डर में व्यक्ति बिना की लॉजिक रीजन के बहुत अधिक तनाव महसूस करता है।
    • सोशल एंजायटी डिसऑर्डर (Social anxiety disorder) : इसमें डिसऑर्डर में सामाजिक परिस्थितयों और दूसरों द्वारा जज किया जाने और अपमानित होने का डर शामिल है।
    • पोस्ट टॉर्मेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (Post-traumatic stress disorder) : किसी ट्रॉमेटिक इवेंट को देखने या अनुभव करने के बाद यह व्यक्ति इस डिसऑर्डर को विकसित करता है।
    • ऑब्सेसिव कंप्लसिव डिसऑर्डर (Obsessive-compulsive disorder) : इसमें प्रभावित व्यक्ति किसी चीज को बार-बार करने की इच्छा का समाना करते हैं। जैसे कि हाथ धोना, काउंट करना ।
    • पैनिक डिसऑर्डर (Panic disorder): इसमे पैनिक अटैक, चिंता की सहज भावनाओं, डर आदि का कारण बनता है।

    उम्मीद करते हैं कि आपको चिंता का शरीर पर प्रभाव (Anxiety Effects on the Body) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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