चिंता का शरीर पर प्रभाव (Anxiety Effects on the Body) सिर्फ सेंट्रल नर्वस सिस्टम तक ही नहीं है यह कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को भी प्रभावित करती है। एंजायटी डिसऑर्डर हार्ट रेट में वृद्धि का कारण बनते हैं। इसके साथ ही इससे सीने में दर्द पल्पिटेशन भी हो सकता है। हाय ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज का रिस्क भी बढ़ जाता है। अगर किसी व्यक्ति को पहले से हार्ट डिजीज है तो एंजायटी डिसऑर्डर्स कोरोनरी इवेंट्स का रिस्क बढ़ा सकते हैं।
डायजेस्टिव सिस्टम (Digestive system) पर चिंता का प्रभाव
चिंता का बॉडी पर प्रभाव ऐसा होता है कि यह हमारे पाचन तंत्र को भी बुरी तरह प्रभावित कर देती है। इसकी वजह से व्यक्ति पेट में दर्द, उल्टी, डायरिया और डायजेस्टिव से संबंधित दूसरी परेशानियों को महसूस करते हैं। इसकी वजह से भूख में कमी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। एंजायटी डिसऑर्डर्स और इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के बीच कनेक्शन भी हो सकता है। आईबीएस उल्टी, डायरिया और कब्ज का कारण बनता है।
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इम्यून सिस्टम (Immune system) पर चिंता का प्रभाव
चिंता का शरीर पर प्रभाव (Anxiety Effects on the Body) वीक इम्यून सिस्टम के रूप में सामने आ सकता है। अल्पावधि में, यह पल्स और ब्रीदिंग रेट को बढ़ाता है, जिससे मस्तिष्क को अधिक ऑक्सीजन मिल सकती है। यह इंटेंस सिचुएशन के लिए उचित प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार करता है। इससे हमारे इम्यून सिस्टम को एक ब्रीफ बूस्ट मिल सकता है। कभी-कभी तनाव से के गुजरने पर हमारा शरीर सामान्य कामकाज पर लौट आता है।
लेकिन हम आप बार-बार चिंतित और तनावग्रस्त महसूस करते हैं या यह लंबे समय तक रहता है, तो शरीर को कभी भी सामान्य कामकाज पर लौटने का संकेत नहीं मिलता है। यह हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकता है, जिससे हम वायरल संक्रमण और बार-बार होने वाली बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। साथ ही, यदि व्यक्ति एंजायटी से ग्रसित है, तो हो सकता है कि नियमित टीके भी काम न करें।