दुनिया में कई तरह के लोग होते हैं जिनमें से कुछ ऐसे होते हैं जो छोटी-छोटी बातों में खुशी तलाश लेते हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें मनचाही चीज मिलने के बाद भी खुशी नहीं मिलती है।
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
दुनिया में कई तरह के लोग होते हैं जिनमें से कुछ ऐसे होते हैं जो छोटी-छोटी बातों में खुशी तलाश लेते हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें मनचाही चीज मिलने के बाद भी खुशी नहीं मिलती है।
ऐसे लोगों को बस दुखी और उदास होने का बहाना चाहिए और यही इनके दुखी रहने का कारण बन जाता है। इन्हें अनहैप्पीनेस एडिक्शन यानी की दुखी होने की लत होती है, जानिए दुखी रहने के कारण और इस लत से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?
खुशी कोई चीज नहीं है जिसे आप मुट्ठी में बंद कर लें या अलमारी में रख दें। ये तो एक भावना है जिसे बस महसूस किया जा सकता है। कोई 10 रुपए का एक फूल पाकर भी खुश हो जाता है तो किसी को लाखों रुपए की हीरे की अंगूठी भी खुशी नहीं दे पाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वह खुश होना ही नहीं चाहता है और उसने मायूसी को अपनी आदत में शामिल कर लिया है। ऐसी विचारधारा से बचकर खुश रहने का तरीका ढूंढ़ना चाहिए क्योंकि इसी में आपकी भलाई है।
अनहैप्पीनेस यानी उदास रहना। अपने आसपास गौर से देखें तो आपको ऐसे लोग जरूर मिल जाएंगे जो वर्तमान में खुश होने की बजाय भविष्य या बीते कल की बातें सोचकर मायूस हो जाते हैं।
ऐसे लोग यदि कुछ पल के लिए खुश हो भी जाएं तो अगले ही क्षण कुछ नकारात्मक बातें सोचकर दुखी हो जाएंगे, क्योंकि दुखी और उदास होना उनकी आदत में शुमार हो चुका है।
ऐसे लोगों के जीवन में यदि सब कुछ अच्छा हो रहा होगा तब भी यह मायूसी का कोई न कोई कारण तलाश ही लेते हैं और दूसरों से कहते हैं कि देखो मेरी जिंदगी कितनी मुश्किल हैं।
इन्हें लगता है कि यह खुशी पाने के योग्य ही नहीं है, जबकि इनकी नाखुशी का कारण इनकी नकारात्मक भावना है। यदि आप अपनी जिंदगी में खुश रहना चाहते हैं तो आपको अपनी उदास होने की इस लत से छुटकारा पाना होगा।
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हमेशा उदास रहने वाले लोगों का एटीट्यूड बहुत नेगेटिव हो जाता है। जिस तरह कुछ लोग नशे के आदी हो जाते हैं, वैसे ही कुछ लोगों को दुखी होने की लत लग जाती है और उन्हें उसी तरह रहना अच्छा लगता है।
वह खुद को दुख और मायूसी के एक घेरे में कैद कर लेते हैं और मान लेते हैं कि खुशी उनके करीब आएगी ही नहीं। उन्हें लगता है कि इस तरह से मायूस और नकारात्मक होकर ही उन्हें अपना जीवन गुजारना है।
वैसे कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दूसरों की सहानुभूति पाने के लिए हमेशा दुखी और मुसीबत में घिरे होने का दिखावा करते हैं।
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अनहैप्पीनेस एडिक्शन से छुटकारा पाने के लिए अपने व्यवहार और सोच में लचीलापन लाने और चीजों को उसी रूप में स्वीकार करने की क्षमता होना जरूरी है। हम में से अधिकांश लोग बचपन से यही सुनते आए हैं कि ज्यादा हंसने के बाद बहुत रोना भी पड़ता है।
यह बात कुछ लोगों के जेहन में इतनी गहरी बैठ जाती कि वह इसे सच मानकर जीवन में खुश होना और हंसना ही छोड़ देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इसके बाद कुछ बुरा होगा और बस यही सोच उन्हें हमेशा दुखी और मायूस कर देती है।
कुछ समय पहले एक हैप्पीनेस सर्वे किया गया था जिसमें भारत की रैंकिंग काफी नीचे थी। चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी नीचे यानी यहां के लोग भी भारतीयों से अधिक खुश रहते हैं।
खुश रहने के मामले में न्यूजीलैंड के लोग बहुत आगे हैं, क्योंकि वह बहुत लचीले होते हैं और हर तरह के हालात का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं फिर चाहे वो अच्छा हो या बुरा।
एक अध्ययन के मुताबिक, जो लोग लचीले होते हैं और जिनमें हालात का सामना करने की क्षमता होती है वो बहुत देर तक दुखी नहीं रह पाते हैं।
मुंबई की रहने वाली 37 वर्षीय सीमा तनेजा एक वर्किंग वुमेन हैं। सीमा से जब हैलो स्वास्थ्य की टीम से दुखी रहने के कारण से जुड़े सवाल किये तो सीमा ने बताया कि “मेरे ऑफिस में एक महिला सहकर्मी हैं और वह हमेशा दूसरों को परेशान करती रहती हैं और अपनी कमियों को दूर करने की बजाये दूसरों की गलती निकालती रहती हैं। उनकी यह आदत अब उनके दुखी रहने का कारण बन गई है क्योंकि उनके ऐसे स्वभाव की वजह से अब उनसे ऑफिस में कोई बात नहीं करता है।’
कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं, जो किसी पर भी भरोसा करना नहीं चाहते हैं। ऐसे स्थिती भी दुख का कारण हो सकती है।
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अगर किसी भी व्यक्ति की आदत ऊपर बताई गई आदतों से मिलती है, तो उन्हें ध्यान देना चाहिए और इससे निपटने के तरीकों के बारे में सोचना चाहिए।
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आपको अपना एटीट्यूड बदलना होगा और बीते कल और भविष्य के बारे में सोचकर परेशान होने की बजाय वर्तमान में जो कुछ आपके पास है उसे महसूस करके खुश होने की कोशिश करें। खुशी को टालने की आदत छोड़ दें, जैसे- मुझे दूसरी नौकरी मिलेगी तो मैं खुश रहूंगा/रहूंगी, प्रमोशन या इंक्रीमेंट मिलने पर मैं खुश हो जाऊंगा या इसी तरह की दूसरी बातें। एक चीज मिलेगी तो आपको दूसरे की लालसा होगी इस
तरह से तो खुशी हमेशा दूर होती चली जाएगी। छोटी-छोटी बातों और पल में खुशियां ढूंढ़ना और महसूस करना सीखिए, तभी जिंदगी को सही मायने में जी पाएंगे।
अगर आप या आपका कोई करीबी व्यक्ति दो हफ्ते से ज्यादा समय से लगातार दुखी रहता है तो उसे किसी प्रोफेशनल थेरेपिस्ट की जरूरत है। उस व्यक्ति का कोई करीबी भी उन्हें इस मुश्किल वक्त से बाहर निकाल सकता है।
कहते हैं कि प्यार में बहुत ताकत होती है इसलिए अपनों का प्यार इस भावना को दूर करने में बहुत मददगार साबित हो सकता है। लेकिन अगर दुखी रहने की वजह से नकारात्मक विचार और आत्महत्या जैसे ख्याल आ रहे हैं तो आपको तुरंत किसी थेरेपिस्ट की मदद लेनी चाहिए।
वैसे खुश या दुखी रहना, ये दोनों भावनाएं काफी हद तक हमारे खुद के हाथ मे होती हैं। हम चाहें तो परिस्थिति को स्वीकार कर उसमें खुश रहना सीख सकते हैं या फिर उसे अपना नसीब समझकर दुख को अपना साथी बना सकते हैं।
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अगर आप दुखी रहते हैं और दुखी रहने के कारण से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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