सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर क्या है?
सोमेटिक सिम्प्टम डिसऑर्डर एक तरह की मानसिक बीमारी है। इस बीमारी की वजह से व्यक्ति बहुत जल्द भावुक हो जाता है या अत्यधिक किसी भी परिस्थिति में भावुक हो सकता है। ऐसी स्थिति में शरीर के कुछ हिस्सों में दर्द के अहसास के साथ-साथ मानिसक प्रताड़ना और अत्यधिक दुख जैसे अहसास होने लगता है। दरअसल इस दौरान पीड़ित खुद को बेहद परेशान और दुविधा और असहाय महसूस करता है।
सोमेटिक सिम्प्टम डिसऑर्डर होने पर इसका इलाज खुद से नहीं किया जा सकता है। इसके इलाज के लिए सिर्फ डॉक्टर की सलाह लें। सबसे पहले शरीर में हो रहे बदलाव को समझें।
सोमेटिक सिम्प्टम डिसऑर्डर के लक्षण अलग-अलग भी हो सकते हैं और हर मनुष्य में यह अलग-अलग भी होते हैं। सोमेटिक सिम्प्टम डिसऑर्डर के सबसे सामान्य लक्षण शरीर में पीड़ा (दर्द) होना भी हो सकता है।
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सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर कितना सामान्य है?
सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर से जुड़ी परेशानियों को जानने के लिए डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है। अत्यधिक चिंता या तनाव की स्थिति भी किसी को बीमार करने के लिए काफी है। इसलिए किसी भी शारीरिक परेशानी से बचने के लिए सबसे पहले खुश रहें और अपने आपको फिट रखें। सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर सामान्य है और यह किसी को भी हो सकता है।
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सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर के क्या-क्या कारण हो सकते हैं?
सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर के कुछ सामान्य कारण निम्नलिखित हैं:
- विशिष्ट संवेदनाएं जैसे, दर्द या सांस की तकलीफ, कमजोरी या थकावट होने पर इस डिसऑर्डर की समस्या की संभावना ज्यादा होती है।
- एक से अधिक कारण हो सकते हैं। क्योंकि हर व्यक्ति के शरीर की बनावट अलग होती है इसलिए सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर के साथ-साथ अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।
अत्यधिक सोच-विचार करना
- भविष्य में होने वाली बीमारी के बारे में बार-बार या अत्यधिक सोचना की उन्हें या उनके परिवार के सदस्यों को यह (कोई भी बीमारी) बीमारी हो जाएगी। भविष्य में होने वाली परेशानी के बारे में ज्यादा सोचना।
- सामान्य शारीरिक संवेदनाओं को गंभीर शारीरिक बीमारी का संकेत माना जाता है
- सामान्य इलाज को गंभीर समस्या समझन लेना और बिना कारण परेशान होना।
- इलाज के दौरन नकारात्मक सोच रखना कि पता नहीं वो ठीक हो पाएंगे या नहीं।
- शारीरिक गतिविधि से शरीर को नुकसान होने का डर होना।
- स्वस्थ होने के बावजूद बार-बार हेल्थ सेंटर जाना (बिना कारण भी ऐसे व्यक्ति महसूस करते हैं की वो बीमार हैं और इसी कारण वो हमेशा अस्पताल पहुंच जाते हैं)
- इलाज के दौरान जरूरत से ज्यादा सेंसेटिव हो जाना
हो सकता है इन लक्षणों के अलावा और भी अन्य लक्षण हो सकते हैं। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लेना ज्यादा जरूरी है।
हमें डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
अगर आपको कोई भी लक्षण या कारण नजर आते हैं तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए। क्योंकि हर इंसान के शरीर की बनावट अलग होती है। इसलिए डॉक्टर से मिलकर सलाह लेना जरूरी है।
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सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर के क्या कारण हैं?
सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं। जैसे-
- जेनेटिकल या बायोलॉजिकल कारण जैसे दर्द के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होना
- नकारात्मक सोच रखने की वजह से भी सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर की समस्या हो सकती है
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किन कारणों से बढ़ सकता है सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर?
सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
- चिंतित रहना या डिप्रेशन होना
- किसी भी कारण शारीरिक परेशानी होना
- अत्यधिक तनाव में रहना या हिंसा झेलना
- बचपन में हुई कोई परेशानी
- कम पढ़ा-लिखा होना भी सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर के कारणों में शामिल है
निदान और उपचार
दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
कैसे पहचानें सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर को?
सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर को निम्नलिखित तरह से समझा जा सकता है। जैसे-
- कोई भी शारीरिक जांच या डॉक्टर द्वारा बताये गए जांच।
- तनाव, फैमली हिस्ट्री, डर, रिलेशनशिप प्रॉब्लम जैसे कई कारण जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है।
- एल्कोहॉल या ड्रग्स के अत्यधिक सेवन से भी यह समस्या हो सकती है।
इलाज करने का तरीका क्या है?
अमेरिकन साइकिएट्रिक एसोसिएशन द्वारा किए गए रिसर्च के अनुसार डाइग्नोस्टिक एंड स्टेटिकल मैन्युअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर (DSM-5) के तहत नीचे दी जा रही जानकारियां डाइग्नोसिस करने में मदद करते हैं:
- सोमैटिक लक्षण होना
- किसी बात पर बेवजह चिंता करना
- लक्षणों का छह महीने से ज्यादा होना
सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर का इलाज कैसे किया जाता है?
साइकोथेरेपी- कॉग्नेटिव बीहैव्यरलथेरेपी आपकी मदद कर सकती है:
- स्वास्थ्य और शारीरिक लक्षणों के बारे में समझें
- तनाव को कैसे कम करें यह भी समझें
- शारीरिक लक्षणों का सामना करना सीखें
- अत्यधिक लक्षणों पर ध्यान न दें
- रोजमर्रा की गतिविधियां, दफ्तर के कामकाज, रिलेशनशिप और लोगों से मिलना जुलना शुरू करें
- डिप्रेशन और मेंटल हेल्थ को समझें
इलाज
- एंटी-डिप्रिसेंट दवाएं सोमैटिक सिम्प्टम डिसऑर्डर से होने वाले डिप्रेशन (अवसाद) के लक्षणों को कम करने में मदद करती है।
जीवनशैली में बदलाव या घरेलू उपचार
कुछ घरेलू उपचार और जीवनशैली में बदलाव लाकर सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर को ठीक किया जा सकता है। इन बदलाओं में शामिल है:
- ड्रग्स और एल्कोहॉल का सेवन न करें।
- सोशल वर्क, घर के काम-काज और लोगों के साथ मिलें और बातचीत करें।
- शारीरिक तौर से एक्टिव रहें।
- तनाव से दूर रहें और आराम करें।
- आपने आप को व्यस्त रखें, लोगों के साथ बात करें और लोगों पर भरोसा करें।
- यदि आपको चिंता या डिप्रेशन (अवसाद) की समस्या है, तो जल्द से जल्द हेल्थ एक्सपर्ट की मदद लें
- जब आप तनावग्रस्त हों तो इस स्थिति को पहचानना सीखें और यह आपके शरीर को कैसे प्रभावित करता है यह भी समझें। परेशानी को समझकर इससे बचा जा सकता है।
- अगर आपको ऐसा लगता है कि आपको सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर है, तो शारीरिक और मानसिक परेशानी से बचने के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
- इस परेशानी को दूर करने या खराब होने से बचाने में मदद करने के लिए अपनी जो सलाह आपके डॉक्टर आपको दे रहें उसे ठीक तरह से फॉलो करें।
यदि आपके मन में सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर से जुड़े कोई सवाल हैं, तो इसे डॉक्टर से समझना बेहतर होगा। बेहतर इलाज के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें और किसी भी बीमारी का खुद से इलाज न करें। किसी भी शारीरिक परेशानी होने पर उसे दूर करने की कोशिश करें और नकारात्मक सोच न लाएं। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार की सलाह नहीं देता है।